ऑपइंडिया इस हफ्ते लगातार आपको बिहार में कृषि करने वाले छोटे-बड़े किसानों व खेती करने वाले जानकारों से मिलवा रहा है। इसी क्रम में आज हमारी बातचीत हुई बेगूसराय के केशाबे गाँव में प्रयोगधर्मी, वैज्ञानिक कृषि करने वाले राज नारायण से। राज नारायण का एक पूरा फार्म है, जहाँ बाहर उन्होंने एक बोर्ड लगाया है और उस पर लिखे सदविचार से पता चलता है कि उनकी खेती विनोभा भावे और महात्मा गाँधी के दर्शन से प्रेरित है।
राज नारायण बताते हैं कि विनोभा और गाँधी जी का मूल रूप से संदेश था- ‘जीवन सरल हो, सादगी पूर्ण हो और आत्मनिर्भर हो’ बस इसीलिए वह कोशिश करते हैं कि उनकी खेती और उनका जीवन भी इसी दर्शन पर चले। उनका कहना है कि वह बाजार पर निर्भर नहीं रहना चाहते, चाहे जरूरत संसाधनों को लेकर ही क्यों न हो। उन्होंने आत्मनिर्भर होने के लिए अपना मिशन तैयार किया है। इस मिशन में उन्होंने संसाधन स्वावलंबन व संसाधन संरक्षण को शामिल किया है और वह लगातार इसका उपयोग अपनी खेती में कर रहे हैं।
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