पिछले दिनों दिल्ली में हुए दंगों में इस्लामिक कट्टरता का घिनौना रूप देखने को मिला। दिलवर सिंह नेगी के हाथ-पैर काटकर उसे जलती हुई दुकान में फेंक दिया गया। कॉन्स्टेबल रतन लाल को इरादतन घेर कर मार डाला गया। एक बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से हिन्दुओं का नरसंहार करने की कोशिश की गई, जिसमें कितने ही मासूम हिन्दुओं को धार्मिक घृणा का शिकार बनाया गया।
ऊपर से एक फर्जी नैरेटिव बनाने की कोशिश की जा रही है कि मरने वाले दोनों तरफ के हैं। दोनों तरफ के लोगों की जानें गईं। लेकिन हकीकत तो ये है हिन्दुओं की नृशंस हत्या करने और उनके घरों-दुकानों को जलाने के लिए कई दिन पहले ही सात ट्रकों में भरकर पत्थर ताहिर हुसैन की छत पर जमा हो गए थे। वहीं शिव विहार के लोगों का कहना है कि हाजी युनुस ने पास की मस्जिद में जाकर एक लंबी मीटिंग की और उसके बाद लगभग 400 लीटर पेट्रोल से हिन्दुओं और उनके घरों-दुकानों पर हमला किया गया।
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