ऑस्ट्रेलिया की जेल से विशाल जूड की रिहाई के बाद अभी हाल में वो भारत लौटे हैं। उन्होंने विदेश में अपने देश के लिए आवाज उठाने की कीमत 6 माह चुकाई। खालिस्तानियों के विरोध में आवाज बुलंद करने वाले और देश की आन की खातिर उनसे लड़ने वाले विशाल 16 अप्रैल 2021 से 15 अक्टूबर 2021 तक जेल में बंद रहे। कोर्ट में सबूत भी दिए गए कि उन्हें खालिस्तानियों ने उकसाया था, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब लंबे अरसे बाद वह लौटे हैं। ऐसे में ऑपइंडिया की एडिटर-इन-चीफ नुपूर जे शर्मा ने उनका साक्षात्कार लिया है।
इंटरव्यू में विशाल जूड और उनके वकील अमरेंद्र सिंह ने उन घटनाओं के क्रम बारे में बात की जिसके कारण उनकी और सिखों की झड़प हुई और उन्हें जेल में रहना पड़ा। पहली घटना क्वेकर हिल की थी, जहाँ खालिस्तानी भारत में किसानों के विरोध में एकत्र हुए थे। इस घटना में, वे ‘मोदी &*% है’ और अन्य भारत विरोधी आक्रामक नारे लगा रहे थे। वे भारतीय ध्वज का भी अपमान कर रहे थे। लेकिन विशाल उनके सामने खड़े हो गए और पार्क की बेंच पर खड़े होकर भारतीय ध्वज फहराया। इसके बाद खालिस्तानियों ने विशाल पर हमला कर दिया।
दूसरी घटना 14 फरवरी की है। उस समय गणतंत्र दिवस पर कथित किसानों द्वारा की गई हिंसा के ख़िलाफ़, विशाल जूड ने भारत के साथ एकजुटता दिखाने के लिए एक तिरंगा रैली का आयोजन किया था। उस रैली के दौरान खालिस्तानियों ने विशाल जूड को ढूँढना शुरू किया। जूड बताते हैं कि तिरंगा रैली को लेकर खालिस्तानियों ने ऑस्ट्रेलिया पुलिस को झूठ बोला था कि इस रैली में भाग लेने वाले गुरुद्वारे पर हमला करने जा रहे हैं। इसके बाद रैली की परमिशन होते हुए भी उन्हें रैली खत्म करनी पड़ी और वापस लौटना पड़ा।
इस बीच विशाल को खालिस्तानियों ने ढूँढा और बेस बॉल के बैट से मारने चले, लेकिन जूड ने उनसे वो बल्ला छीना और डराने के लिए कार उसी से उनकी कार पर मार दिया। बस यही वो घटना थी जिसके कारण विशाल को 6 माह सजा काटनी पड़ी। खालिस्तानियों से आत्मरक्षा में छीना गया बेस बॉल का बैट और बचाव में किया गया हमला जूड पर आरोप लगाने का आधार बना। खास बात ये थी कि वो वीडियो जिसमें खालिस्तानियों ने जूड पर हमला किया वो गायब कर दी गई और इसके कारण कोई खालिस्तानी हिंसा मामले में नहीं पकड़ा गया।
इन घटनाओं के अलावा साक्षात्कार में विशाल और उनके वकील ने जेल में उनके साथ दुर्व्यवहार पर भी बात की। पहले दिन जेल का गार्ड जो सिख खालिस्तानी था उसने उन्हें धमकाया। दूसरी बार उसे कॉल पर धमकी आई। लेकिन आरोपित गार्ड की जब शिकायत की गई तो उसे सिर्फ चेतावनी दी गई और जूड को जेल के अंदर एक अलग स्थान पर ले जाया गया। उन्हें वहाँ उनके मूल अधिकारों से वंचित रखा गया। कभी-कभी उन्हें खाना नहीं दिया जाता था और कभी कभी परिवार को फोन करने की अनुमति नहीं मिलती थी।
इन बातों के अलावा, जूड के वकील ने यह भी स्पष्ट कहा कि भारतीय मीडिया और ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में कुछ जगह जूड के निर्वासन पर गलत रिपोर्ट हुई। हकीकत में उन्हें निर्वासित नहीं किया गया था, बल्कि उन्हें तो ऑस्ट्रेलिया का आजीवन वीजा लेने का विकल्प दिया गया था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था और भारत वापसी की इच्छा जताई।
मालून हो कि विशाल जूड हरियाणा से हैं और ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई करने गए थे। उन्हें 16 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था क्योंकि खालिस्तानियों ने उनके ख़िलाफ़ शिकायत कर दी थी। उनपर संपत्ति को तोड़ने और मारपीट का आरोप लगा था। वहीं खालिस्तानी पीड़ित दिखाए गए थे। इस तरह उनके लिए ऑस्ट्रेलिया कोर्ट ने 6 माह की सजा मुकर्रर की। 1 सितंबर को विशाल के वकील ने वादी से समझौता किया और उन्हें 2 मामलों में दोषी पाकर बाकी केस ड्रॉप कर दिए गए। विशाल के भाई ने ऑस्ट्रेलिया टुडे से कहा था, “बजरंग बली के आशीर्वाद से विशाल जल्द हमारे साथ होगा। हम सिडनी से उसकी रिहाई के इंतजार में हैं।”
आप ऑपइंडिया पर विशाल जूड और उनके वकील अमरेंद्र सिंह का इंटरव्यू इस लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं। ये लेख अंग्रेजी एडिटर नुपूर जे शर्मा द्वारा लिखे लेख पर आधारित है।