हिन्दू महासभा के नेता कमलेश तिवारी की हत्या के बाद कई तरह के सवाल उभरे हैं। सवाल वैचारिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का है। कोई भी धर्म या मज़हब हो, उसे इतिहास की कसौटी पर समय-समय पर तौला गया है और उसके बारे में विभिन्न प्रकार की धारणाएँ दी गई हैं। हिन्दू देवी-देवता, इतिहास और पवित्र पुस्तकें हमेशा से चर्चा का विषय रही हैं और इन्हें लेकर न जाने कितनी आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की गई हैं, इसका अनुमान भी लगाना मुश्किल है। हिन्दू ख़ुद को सबसे खुले विचारों वाला बता कर सब कुछ बर्दाश्त तो कर लेते हैं लेकिन एक बहुत बड़ा धड़ा ऐसा भी तो है जिसे यह सब देख कर नाराज़गी महसूस होती है। अगर लिबर्टी है तो फिर एक-पक्षीय क्यों है? वन-साइडेड क्यों है?
कमलेश तिवारी ने 2015 में पैगम्बर मुहम्मद पर कोई टिप्पणी की थी। इसे लेकर बवाल मचा। ख़बरें आईं कि 1 लाख मुस्लिमों ने सड़क पर उतर कर उन्हें फाँसी पर लटकाने की माँग की। मौलानाओं ने उन पर फतवे जारी किए, उनका सिर कलम करने की बात कही गई और उन्हें सरेआम धमकी दी गई। भारत में हिन्दुओं को ‘मॉब लिंचिंग करने वाला’ साबित करने की कवायद में मीडिया और बुद्धिजीवियों का एक बड़ा वर्ग शामिल है। क्या आपने सुना है कि किसी हिन्दू ने किसी मुस्लिम को इसीलिए मार डाला क्योंकि उसने राम, कृष्ण या फिर दुर्गा को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी? नहीं।
चार्ली हेब्दो (Charlie Hebdo) फ्रांस से प्रकाशित होने वाली की एक मैगजीन है, जो अपने कार्टूनों के जरिए कटाक्ष और व्यंग्य का पुट लिए सामग्री के लिए जानी जाती है। इसमें एक बार पैगम्बर मुहम्मद को लेकर कार्टून छापा गया था, जिसके बाद दुनिया भर के मुस्लिम सड़कों पर उतर आए। कई जगह रैलियाँ हुईं। 2011 में और फिर 2015 में, दो बार इसके दफ्तर पर आतंकी हमला हुआ। दूसरे हमले में 12 लोग मारे गए। अगर कोई हिन्दू ये कहता है कि उसका धर्म ख़तरे में है तो बुद्धिजीवी उसे याद दिलाते हैं कि ‘क्या तुम्हारा धर्म इतना कमज़ोर है कि ये इन छोटी-मोटी चीजों से ख़तरे में आ जाता है?’ तो फिर उस मज़हब के बारे में क्या कहा जाएगा, जिसका अनुसरण दुनिया भर की एक चौथाई जनसंख्या करती है? वह तो कभी ख़तरे में आ ही नहीं सकता।
But, Zakir Naik, Imam who threatened to kill #KamleshTiwari, Owaisi, Burhan Wani etc were all peacefuls just furthering their religion against Kaafirs.??? pic.twitter.com/QiIqEBzh8I
— WHITE KNIGHT (@Made_in_IND) October 19, 2019
आइए, कुछ उदाहरण से देखते हैं कि कैसे हिन्दुओं के धार्मिक प्रतीकों और भावनाओं से बार-बार इसी देश के लोगों ने खिलवाड़ किया और उनका कुछ नहीं बिगड़ा, जो बताता है कि सहिष्णु कौन है? कमलेश तिवारी को तो जेल की सजा भी मिली थी। लेकिन, करूणानिधि, ज़ाकिर नाइक, एमएफ हुसैन और ओवैसी में से कितने जेल गए? इन उदाहरणों से आपको पता चलेगा कि ‘सेक्सी दुर्गा’ को ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ बताने वाले पैगम्बर मुहम्मद पर टिप्पणी को मज़हब विशेष का अपमान बताना नहीं भूलते। आइए आपको उन लोगों और उनकी करतूतों को याद दिलाते हैं।
हिन्दू देवी-देवताओं की नंगी तस्वीरें बनाओ और 3 पद्म अवॉर्ड्स लेकर जाओ
एमएफ हुसैन को पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण दिया गया। उन्हें 60 के दशक से लेकर 90 के दशक तक लगातार सरकारी अवॉर्डों से नवाजा जाता रहा। हुसैन ने हिन्दू देवी-देवताओं की नंगी तस्वीरें बनाई थीं। इस मामले को लेकर ख़ूब विरोध प्रदर्शन हुआ था। तब महाराष्ट्र के तत्कालीन उप-मुख्यमंत्री आरआर पाटिल को सामने आकर यह कहना पड़ा था कि हुसैन के ख़िलाफ़ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। हुसैन ने हिन्दू देवी-देवताओं की नंगी तस्वीरों पर पूरी की पूरी सीरीज ही की थी। तब नितिन गडकरी महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष थे। उन्होंने भी एमएफ हुसैन की गिरफ़्तारी की माँग की थी।
हुसैन ने भारत माता की भी नंगी तस्वीर बनाई। उस तस्वीर को भारत के नक़्शे के साथ दिखाया गया और शरीर के विभिन्न भागों पर भारत के अलग-अलग राज्यों को दर्शाया गया। विश्व हिन्दू परिषद् और भारत जाग्रति समिति के कड़े विरोध प्रदर्शन के बाद एमएफ हुसैन ने दावा किया कि उन्होंने माफ़ी माँगी है। हुसैन इन तस्वीरों को बेच कर कश्मीर भूकंप पीड़ितों के लिए फण्ड जुटाने का दावा कर रहे थे। एमएफ हुसैन सुरक्षित रहे, आजीवन। उन्हें न जेल हुई और न ही किसी ने उन्हें कोई नुकसान पहुँचाया। जरा सोचिए, अगर उन्होंने यही काम किसी अन्य मज़हब के साथ किया होता तो क्या होता?
राम को दारूबाज बताने वाले करूणानिधि
करूणानिधि 5 दशक तक तमिलनाडु की राजनीति की सबसे महत्वपूर्ण धुरी बने रहे। 5 बार मुख्यमंत्री रहे लेकिन अपने बाद के दिनों में भी उन्होंने भगवान राम को लेकर आपत्तिजनक बातें कहनी नहीं छोड़ी। द्रविड़ आंदोलन के सबसे बड़े नेता माने जाने वाले करूणानिधि ने राम को काल्पनिक बताते हुए यहाँ तक दावा कर दिया कि महर्षि वाल्मीकि ने उन्हें दारूबाज कहा है। उन्होंने इस मुद्दे पर भाजपा के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी को रामायण पर चर्चा के लिए चुनौती देते हुए ये बातें कही थीं। करूणानिधि ने मुख्यमंत्री रहते ये बयान दिया था। विरोध तो हुआ लेकिन कोई उनका क्या बिगाड़ लेता? पुलिस-प्रशासन हाथ में ही था।
ऐसा नहीं है कि उनकी जुबान फिसल गई थी। रामसेतु के मुद्दे पर तो उन्होंने एक बार ये तक पूछ डाला था कि क्या राम कोई सिविल इंजीनियर थे? सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट का विरोध करते हुए उन्होंने पूछा था कि श्रीराम ने किस कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी? उन्होंने पूछा था कि राम ने सेतु कब बनाया और इसका क्या सबूत है? करूणानिधि का 2018 में निधन हो गया। उनके समर्थक उन्हें भारत रत्न देने की माँग भी करते हैं लेकिन वो न तो कमलेश तिवारी की तरह इस मामले में जेल गए और न ही उनसे किसी ने मारपीट की।
हिन्दुओं को लगातार ललकारते रहने वाले ओवैसी ब्रदर्स
दो ओवैसी हैं। कहा जाता है कि एक अच्छा है और एक बुरा है। एक एआईएमआईएम पार्टी का अध्यक्ष है, तो दूसरा तेलंगाना विधानसभा में पार्टी के विधायक दाल के नेता। असदुद्दीन ओवैसी जिस बात को शालीनता से कहते हैं और विभिन्न मीडिया मंचों पर उपस्थिति दर्ज करा कर बयान देते हैं, उनका भाई अकबरुद्दीन उसी बात को जनता के बीच भड़काऊ तरीके से कहता है। अकबरुद्दीन ‘मुस्लिमों की ताक़त देखने के लिए’ 15 मिनट के लिए पुलिस हटा लेने की बात करता है। खैर, ओवैसी भाई शक्तिशाली हैं। विरोध का उन पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। तेलंगाना की सरकार भी कुछ नहीं करती क्योंकि मुख्यमंत्री केसीआर इनके साथ मिलकर चुनाव लड़ते हैं।
ज़ाकिर नाइक ने गणेश जी का अपमान किया
इस्लामिक उपदेशक ज़ाकिर नाइक मलेशिया में बैठा हुआ है। वहाँ बैठ कर वह तरह-तरह की बातें करता रहता है। भारतीय जाँच एजेंसियाँ उसके प्रत्यर्पण में जुटी है लेकिन इमरान ख़ान ने जब से मुस्लिम देशों को कश्मीर और इस्लाम को जोड़ कर देखने की बात कही है, तुर्की के साथ-साथ मलेशिया के सुर भी बदले-बदले से हैं। हालाँकि, मलेशिया इससे पहले भी ज़ाकिर नाइक पर कार्रवाई कर चुका है लेकिन उसकी बयानबाजी नहीं रुकी। ज़ाकिर नाइक ने यह मानने से इनकार कर दिया कि गणेश एक देवता हैं और हिन्दुओं को चुनौती दी कि वे इस बात को साबित कर के दिखाएँ।
ज़ाकिर नाइक ने हिन्दुओं का अपमान करते हुए उनसे पूछा कि जो भगवान अपने बेटे को नहीं पहचान पाया, वो कैसे समझेगा कि उसका भक्त ख़तरे में है और कैसे बचा पाएगा? ज़ाकिर नाइक भी ऐसे बयान देकर निकल लेता है। गला सिर्फ़ कमेलश तिवारी का रेता जाता है क्योंकि वो हिन्दू हैं और उन्होंने इस्लाम पर टिप्पणी की है। फिर भी हिन्दू ही ‘मॉब लिंचिंग’ करता है, फिर भी ‘अल्पसंख्यकों को ही दबाया जा रहा’ है। और तो और, आर्टिस्टिक लिबर्टी के नाम पर भी किसी अन्य मज़हब को लेकर कभी कुछ देखने को नहीं मिला लेकिन हिन्दू देवी-देवताओं का तरह-तरह से मज़ाक बनाया गया।