कॉन्ग्रेस ने 11 जनवरी 2024 को एक पत्र जारी करके अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने से मना कर दिया। इस समारोह का आयोजन 22 जनवरी 2024 को होना है, जिसमें देश-दुनिया भर से लोग शामिल होंगे। इस समारोह के लिए कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कॉन्ग्रेस नेता सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी को निमंत्रण पत्र भेजा गया था।
कॉन्ग्रेस ने इस निमंत्रण को ठुकरा दिया है और एक पत्र जारी करके प्राण प्रतिष्ठा में ना जाने की वजह बताई है। पत्र में लिखा गया है, “भगवान राम की पूजा-अर्चना करोड़ों भारतीय करते हैं। धर्म मनुष्य का व्यक्तिगत विषय होता आया है, लेकिन बीजेपी और आरएसएस ने वर्षों से अयोध्या में राम मंदिर को एक राजनीतिक परियोजना बना दिया है।”
जहाँ कॉन्ग्रेस ने इस पत्र में धर्म को निजी विषय बताया है, वहीं सोशल मीडिया पर साल 2016 में लिखा गया सोनिया गाँधी का एक अन्य पत्र वायरल हो रहा है। यह पत्र सोनिया गाँधी ने वेटिकन के पोप फ्रांसिस को लिखा था, जिसमें भारत में दशकों तक रहीं ईसाई नन मदर टेरेसा के संत घोषित करने की प्रक्रिया से संबंधित था। इस पत्र को कॉन्ग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से साझा किया गया था।
Congress President Smt. Sonia Gandhi's letter to Pope Francis on Canonization Ceremony of Mother Teresa pic.twitter.com/cCk3Yn12I1
— Congress (@INCIndia) August 30, 2016
इस पत्र में सोनिया गाँधी ने लिखा था कि मदर टेरेसा के संतीकरण से भारत में रहने वाले 2 करोड़ ईसाइयों सहित सभी नागरिक इस बात से बहुत गर्वित और प्रसन्न हैं कि पोप और कैथोलिक चर्च द्वारा मदर टेरेसा की आत्मा की पवित्रता, उद्देश्य की पवित्रता और मानवता की सेवा के माध्यम से ईश्वर की सेवा की।
उन्होंने आगे लिखा कि मदर टेरेसा का संत घोषित किया जाने वाला समारोह सभी भारतीयों के लिए उन्हें धन्यवाद देने का अवसर है, क्योंकि उन्होंने भारत में बिताए गए अपने समय में ‘देश के सबसे गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा’ की। उन्होंने आगे लिखा है कि टेरेसा ने अपना जीवन निस्वार्थ सेवा में बिताया और हर किसी को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए और सीखना चाहिए कि ‘हमारे रोजमर्रा के जीवन में करुणा और प्रेमपूर्वक रहने और दयालुता कैसे दिखाई जाए’।
सोनिया गाँधी ने भी टेरेसा के संतीकरण के इस पवित्र आयोजन के लिए वेटिकन जाने की इच्छा जताई थी। हालाँकि, उन्होंने कहा था वह बीमारी के कारण इस पवित्र आयोजन में नहीं शामिल हो पाएँगी। अपनी जगह उन्होंने कॉन्ग्रेस के दो नेताओं- मारग्रेट अल्वा और लुइज़िन्हो फलेइरो को वेटिकन सिटी में आयोजित समारोह में भेजा था।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव (संचार) श्री @Jairam_Ramesh जी का वक्तव्य- pic.twitter.com/K22nOQNqr5
— Congress (@INCIndia) January 10, 2024
जो सोनिया गाँधी कल तक पूरे देशवासियों की तरफ से मदर टेरेसा को संत की उपाधि दिए जाने पर ख़ुशी जता रही थीं और ईसाइयों के सबसे बड़े पद पोप को पत्र लिख रहीं थीं, वहीं अब उनकी पार्टी हिन्दुओं के आराध्य के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को निजी मामला बताकर जाने से मना कर रही हैं।
कॉन्ग्रेस ने इस पूरे आयोजन को भाजपा और आरएसएस का कार्यक्रम बताया है। अब यह भी प्रश्न उठ रहा है कि यदि सोनिया गाँधी को धार्मिक मामले में राजनीतिक संगठनों का जुड़ा होना पसंद नहीं है तो वह एक ईसाई नन के संतीकरण के आयोजन पर इतना ख़ुशी क्यों थीं और अपनी पार्टी की तरफ से पत्र क्यों लिख रही थीं?
मदर टेरेसा को लेकर भी भारतीय जनमानस में कई प्रश्न उठते रहे हैं। मदर टेरेसा पर आरोप है कि वह गरीबों को ईसाइयत में धर्मान्तरित करने का चक्र चलाती थीं। इसके साथ ही वह इलाज के ऐसे तरीकों को बढ़ावा देती थीं, जो कि सही नहीं थे। दरअसल, मदर टेरेसा एक धार्मिक मिशन पर भारत में थीं और उनके काम को कैथोलिक ईसाइयों द्वारा समर्थन मिलता था।