“हमास की कैद में कई महिलाएँ थीं। उनके साथ कई बार बलात्कार किया गया। ऐसी कई औरतें थीं जिन्हें लंबे वक्त से पीरियड्स नहीं आए। ये संकेत है कि वे गर्भवती हो सकती हैं।” – ये कहना है हमास आंतकियों की कैद से छुड़ाई गई 48 साल की सामाजिक कार्यकर्ता शेन गोल्डस्टाइन एल्मॉग का।
बताते चलें कि शेन ने ये खुलासा इजरायली संसद यानी नेसेट में मंगलवार (23 जनवरी, 2024) को युद्ध में यौन और लिंग आधारित हिंसा विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान किया। इजरायली अखबार YnetNews की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस कार्यक्रम के दौरान हमास की बंधक रही महिलाओं ने ऐसे खौफ में ला देने और सिहरन पैदा करने वाले वाकए बताए हैं, जो उन्होंने वहाँ रहते देखे। इन औरतों ने हमास के बंधक होने की तुलना धरती पर नरक से की है।
इसके साथ ही हमास आंतकियों के चंगुल से बच कर निकल आई इन महिलाओं ने उन लोगों के लिए फ़िक्र जताई है जो अब भी 7 अक्टूबर, 2023 के इजरायल पर हमले के बाद से अभी भी दरिंदे आतंकवादियों की कैद में हैं।
YnetNews ने एल्मॉग के हवाले से लिखा, “कैद में कई ऐसी महिलाएँ हैं जिन्हें लंबे वक्त से मासिक धर्म नहीं हुआ है और शायद यही वह है जिसके लिए हमें प्रार्थना करनी चाहिए कि उनका शरीर उनकी रक्षा करेगा और वो ऐसी प्रेग्नेंसी से बच पाएँ। उन्हें वापस लाने के लिए हमें सब कुछ करने की ज़रूरत है।”
उन्होंने आगे बताया कि वहाँ खाने से लेकर सफाई तक हालात मुश्किल हैं। उन पर बड़ा खतरा भी मँडरा रहा है। उन्होंने बताया, “हम नहीं जानते कि कब इन बंधकों को नुकसान पहुँचाने के आदेश हो जाएँ। मैं उनके बारे में बहुत फिक्रमंद हूँ।” शेन गोल्डस्टाइन एल्मॉग ने आगे कहा, “आतंकवादी लड़कियों के लिए बेकार अश्लील तरह के कपड़े लाते हैं। वो उनके लिए गुड़ियों को पहनाने वाले उत्तेजक कपड़े लाते हैं। उन्होंने लड़कियों को अपनी गुड़िया में बदल दिया, ताकि वे जो चाहें कर सकें और ये यकीन लायक़ नहीं कि वे (लड़कियाँ) अभी भी वहीं हैं।”
उन्होंने कहा, “मैं साँस नहीं ले सकती। मैं इस सबका सामना नहीं कर सकती और यह बहुत मुश्किल है। हम छोड़े गए 4 महीने होने वाले हैं और वे अभी भी वहीं हैं।” शेन गोल्डस्टाइन एल्मॉग ये भी बताया कि कैद में उनकी एक ऐसी लड़की से बात हुई थी जिसे बंधक बनाने के बाद से हमास आतंकवादी लगातार उसका बलात्कार कर रहे थे।
बताते चलें कि शेन गोल्डस्टाइन एल्मॉग को उनके तीन बच्चों सहित 7 अक्टूबर, 2023 को गाजा की सीमा के पास केफ़र अज़ा किबुत्ज़ से हमास के आतंकियों ने अगुवा कर लिया था। ये इलाका हमास के आतंकवादी हमलों के दौरान सबसे अधिक प्रभावित हुआ था। वहाँ उनके पति और बड़ी बेटी को मार डाला गया। वो उन किस्मत वाले बंधकों में से एक है जिन्हें 26 नवंबर, 2023 को हमास आतंकियों ने छोड़ा था।
उनके साथ बंधक बनाई गई उनकी बेटी अगम एल्मॉग ने आर्मी रेडियो से गाजा पट्टी में कैद अपने वक्त के बारे में बताते हुए कहा था, “मुझे शहर में हमारे जाने की याद है। मैंने बस अपनी माँ से कहा था कि वे मुझे प्रताड़ित करने वाले हैं, वे मेरा बलात्कार करने वाले हैं।”
उस दौर को याद कर उसने आगे कहा, “शरीर जो महसूस करता है उसकी मुकाबले में शब्द बहुत छोटे हैं। तो यह ऐसा ही था।” इसी तरह 34 साल की शेरोल एलोनी क्यूनिओ इज़राइल-हमास अदला-बदली समझौते में रिहा होने वाली एक बंधक हैं।
'We need to do everything to release all hostages prior to anything else'
— i24NEWS English (@i24NEWS_EN) December 11, 2023
Sharon Alony-Cunio and her 3-year-old twin daughter were released from #Hamas captivity after 52 days her husband, David, remains in #Gaza pic.twitter.com/9aSd49X0a9
वो अपनी दो छोटी लड़कियों के साथ गाजा में बंधक के तौर तक 52 दिनों तक रहीं थी। लेकिन उन्हें अपने पति की जान का डर है जो अभी भी बमबारी वाले फिलिस्तीनी इलाके में बंदी हैं। अब वह अपने तीन साल के जुड़वाँ बेटियों जूली और एम्मा के साथ इजरायल घर वापस आ गई है।
वो अन्य 137 बंधकों को रिहा कराने की गुहार लगा रही है। उन्होंने अपने इंटरव्यू में समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, “हर मिनट अहम हैं। वहाँ हालात अच्छे नहीं हैं और उनकी रिहाई का वक्त लंबा खींचता जा रहा हैं।” शेरोल एलोनी के मुताबिक, “यह एक रूसी रूलेट जैसा जानलेवा खेल है।”
आतंकवादियों ने गाजा से एक मील से कुछ अधिक दूरी पर किबुत्ज़ में उनके घर पर कब्ज़ा कर उसमें आग लगा दी थी और बंदूक की नोक पर उन पति डेविड और दो बेटियों सहित बंधक बना अपने साथ ले गए थे।
उसने बताया कि उनकी दूसरी बेटी को 10 दिनों के लिए गाजा में उनसे अलग रखा गया था। वो बताती हैं, “आप नहीं जानते कि शाम को पीटा (रोटी) मिलेगा या नहीं, इसलिए सुबह आप शाम के लिए कुछ बचाकर रख लेते थे। उन्होंने आगे कहा, “टॉयलेट जाने की मंजूरी का इंतजार करना पड़ता था। लड़कियों के लिए एक परेशानी थी, इसलिए उन्हें सिंक और कूड़ेदान का यूज करना पड़ता था।
वो आगे कहती हैं, “कभी-कभी जब बिजली गुल हो जाती थी, तो वे हमें दरवाज़ा खोलने देते थे। वे पर्दा डालते थे और फिर हम फुसफुसाते थे। आप केवल फुसफुसाहट के साथ एक बच्चे को 12 घंटे तक कैसे साथ रख सकते हैं?” वह कहती हैं कि हर दिन रोना, हताशा और फिक्र होती है। हम कब तक यहाँ रहेंगे? क्या वे हमारे बारे में भूल गए हैं? क्या उन्होंने हमें छोड़ दिया है?