सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (4 मार्च 2024) को अपने आदेश में आम आदमी पार्टी को उनका चुनाव कार्यालय हटाने के लिए कहा है। यह कार्यालय दिल्ली के राउज एवेन्यू क्षेत्र में स्थित है, जिस पर हाईकोर्ट की जमीन पर अतिक्रमण का आरोप है। हालाँकि चुनावों को देखते हुए AAP को 15 जून तक की मोहलत दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने इसी आदेश में आम आदमी पार्टी को दूसरे पार्टी कार्यालय के लिए भूमि और विकास ऑफिस से सम्पर्क करने के निर्देश दिए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की 3 सदस्यीय बेंच में हुई। अपने फैसले में अदालत ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने साल 2015 से उस स्थान पर अवैध ढंग से कब्ज़ा कर रखा है, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट के लिए आवंटित किया गया था। अदालत ने अपने इसी फैसले में आगे कहा कि आने वाले 2024 लोकसभा चुनावों को देखते हुए आम आदमी पार्टी को जगह खाली करने के लिए 15 जून 2024 तक का समय दिया जाता है।
अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने भूमि और विकास कार्यालय (एल एंड डीओ) को निर्देश जारी किया है कि वो AAP के लिए कोई वैकल्पिक जगह का प्रस्ताव लेकर आएँ। अपने निर्देश पर अमल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भूमि और विकास कार्यालय को 4 सप्ताह का समय दिया है। अपने निर्देश में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि AAP को तत्काल वैकल्पिक भूमि की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट में आम आदमी पार्टी का पक्ष एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने रखा।
अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आम आदमी पार्टी को वैकल्पिक तौर पर दिल्ली के बदरपुर जाने को कहा जा रहा है, जो ठीक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह से AAP को बदरपुर जाने के लिए कहा गया है, वैसे बाकी पार्टियों को भी वहीं जाने के आदेश दिए जाएँ। अभिषेक मनु ने नए कार्यालय के लिए सेन्ट्रल दिल्ली में किसी जगह की माँग की है। हालाँकि इन दलीलों ने अदालत ने कहा कि किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
इससे पहले 13 फरवरी 2024 को भी सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट की जगह कब्जा करने को लेकर आम आदमी पार्टी कर तल्ख़ टिप्पणी की थी। तब न्यायमित्र के परमेश्वर ने बताया था कि दिल्ली हाईकोर्ट के अधिकारी आम आदमी पार्टी का ऑफिस होने की वजह से वहाँ कब्ज़ा लेने में नाकाम रहे थे। 13 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बावजूद आम आदमी पार्टी जमीन पर अपना कब्ज़ा जायज ठहराती रही। तब आप पार्टी ने अपना स्टैंड क्लियर करते हुए कहा था कि दिल्ली हाईकोर्ट को जगह देने से बहुत पहले ही उनकी पार्टी को वो जगह कानूनी तौर पर आवंटित हो गई थी।