Sunday, September 8, 2024
Homeराजनीतिकैंसर से जूझ रहे हैं सुशील कुमार मोदी, कहा - लोकसभा चुनाव में नहीं...

कैंसर से जूझ रहे हैं सुशील कुमार मोदी, कहा – लोकसभा चुनाव में नहीं रहूँगा सक्रिय, PM मोदी को सबकुछ बता दिया है

72 वर्षीय भाजपा नेता ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संबंध में जानकारी दे दी है। हालाँकि, इस अवस्था में भी उन्होंने देश, बिहार और पार्टी के प्रति सदैव समर्पित करने का वचन देते हुए आभार जताया।

बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर खुद ही पोस्ट कर के ये जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि वो पिछले 6 महीने से कैंसर से संघर्ष कर रहे हैं, अब लगा कि लोगों को बताने का समय आ गया है। साथ ही उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 में अपनी सक्रियता को लेकर भी असमर्थता जताई है। 72 वर्षीय भाजपा नेता ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संबंध में जानकारी दे दी है।

हालाँकि, इस अवस्था में भी उन्होंने देश, बिहार और पार्टी के प्रति सदैव समर्पित करने का वचन देते हुए आभार जताया। सुशील कुमार मोदी नवंबर 2005 से लेकर जून 2013 तक और फिर जुलाई 2017 से लेकर नवंबर 2020 तक बिहार के उप-मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान उनके पास राज्य का वित्त मंत्रालय भी रहा। बीच की अवधि में वो बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष रहे। सुशील कुमार मोदी उन गिने-चुने नेताओं में हैं जो चार सदन के सदस्य रहे।

दिसंबर 2020 में उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया गया था। उससे पहले वो 2004 में भागलपुर से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। पटना सेन्ट्रल विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने बतौर विधायक हैट्रिक भी लगाई थी। सुशील कुमार मोदी बिहार के लिए 13 बार बजट पेश कर चुके हैं, जो एक रिकॉर्ड है। सुशील कुमार मोदी को बिहार में नब्बे के दशक से ही लालू यादव विरोधी राजनीति का केंद्र माना गया, चारा घोटाले पर कार्रवाई के लिए जम कर आवाज़ उठाने वालों में से वो एक थे।

सुशील कुमार मोदी उन नेताओं में हैं, जो 70 के दशक में जयप्रकाश नारायण (JP) के आंदोलन में बतौर छात्र नेता उभरे। वो RSS से भी जुड़े रहे हैं। ABVP में वो कई बड़े पदों पर रहे। 1990 से लेकर 2023 तक वो लगातार 33 वर्षों तक चारों सदन में किसी न किसी पद पर रहे। सुशील कुमार मोदी बिहार में भाजपा के सबसे वफादार सिपाहियों में से एक रहे हैं, जिन्होंने पार्टी द्वारा जब जो आदेश दिया गया उसका पालन किया। हालाँकि, पार्टी संगठन और जनता में उनके प्रति कई बार असंतोष भी देखने को मिला।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

शेख हसीना का घर अब बनेगा ‘जुलाई क्रांति’ का स्मारक: उपद्रव के संग्रहण में क्या ब्रा-ब्लाउज लहराने वाली तस्वीरें भी लगेंगी?

यूनुस की अगुवाई में 5 सितंबर 2024 को सलाहकार परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसे "जुलाई क्रांति स्मारक संग्रहालय" के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -