भारत मे होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले विदेशी मीडिया ‘द गार्जियन’ ने वैश्विक स्तर पर एंटी इंडिया प्रोपगेंडा चलाने का प्रयास किया है। उन्होंने हाल में अपने एक आर्टिकल में भारत सरकार पर गंभीर इल्जाम लगाए। इसमें कहा गया कि भारत सरकार आतंकियों को मारने के नाम पर पाकिस्तान में हत्याएँ करवा रही है। रिपोर्ट में दावा किया गया कि उन्होंने इस संबंध में दोनों देशों के खुफिया अधिकारियों से बात की और पाकिस्तानी जाँचकर्ताओं द्वारा साझा किए गए दस्तावेज बताते हैं कि भारत ने 2019 के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर विदेशों में हत्याएँ करनी शुरू कर दीं। भारत ने इन आरोपों से साफ मना किया है, लेकिन द गार्जियन ने फिर भी पाकिस्तान के लिए अपना प्रोपगेंडा चलाया ये सोचकर कि इससे पीएम मोदी की छवि बिगड़ेगी लेकिन हुआ उनकी सोच से अलग…।
रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत की खुफिया एजेंसी को अब भारत के पीएम मोदी के कार्यालय द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इस लेख में कनाडा में खालिस्तानी निज्जर की हुई मौत से लेकर 2020 के बाद पाकिस्तान में अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा की गई करीब 20 हत्याओं के पीछे भारत का हाथ बताया गया। साथ ही दावा किया गया कि भारतीय अधिकारियों ने पहली बार अपने विदेशों में चलाए जा रहे अभियान की चर्चा की है। उन्होंने ये भी कहा कि हत्याओं में प्रत्यक्ष संलिप्तता के विस्तृत दस्तावेज देखे हैं।
भारत पर इल्जाम लगाने का काम गार्जियन ने यहीं नहीं रोका। विस्तृत लेख में पाकिस्तान के हवाले से उन्होंने जमकर भारत पर सवाल उठाए। यहाँ तक कहा गया कि ये सारी मौतें UAE से संचालित होने वाली भारतीय खुफिया स्लीपर सेल द्वारा की गई है। सबसे हास्यास्पद बात तो ये हैं कि इसमें कहा गया है कि भारतीय एजेंटों ने जिहादियों को अपने इस काम के लिए चुना है और विश्वास दिलाया है कि वो काफिरों को मारेंगे।
इनके मुताबिक भारत ने ऐसा पुलवामा हमले के बाद करना शुरू किया जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। इतना ही नहीं गार्जियन ने अपनी रिपोर्ट में ज्यादातर जगह किसी अधिकारी का नाम नहीं लिखा है। सिर्फ भारतीय और पाकिस्तानी लिखकर उन्होंने अपने पूरे दावे कर डाले हैं। इसमें ऐसा कहा गया कि ऐसे ऑपरेशन करने के लिए सरकार से अनुमति चाहिए होती है बिन उनके ये सब नहीं होता।
आतंकियों की मौत का रोना रोया द गार्जियन
आगे बढ़ें तो दावा किया गया है कि भारत ने ये सब करने के लिए इजरायल की मोसाद और रूस की केजीबी से प्रेरणा ली है। इस लेख में 2018 में सऊदी एम्बेसी में हुई सऊदी के पत्रकार जमाल खासहोगी की हत्या का जिम्मेदार भी रॉ अधिकारियों को ठहराया गया।
आतंकी जाहिद अखुंद की कराची में हुई हत्या के पीछे भी इस आर्टिकल में भारत का नाम लगाया गया और दावा किया गया कि भारत उसकी मूवमेंट के लिए लिए पेमेंट करता था और हत्या को अंजाम देने के लिए अफगानी लोगों को लाखों रुपए दिए गए थे। इसके बाद जैश के आतंकी शाहिद लतीफ की हत्या के पीछे भी इन्होंने भारत का नाम लगाया। इसके बाद हिजबुल मुजाहिद्दीन के बशीर अहमद पीर और सलीम रहमानी की हत्या को भी इन्होंने भारत से जोड़ा। लश्कर-ए-तैयबा के टॉप कमांडर रियाज अहमद की हत्या का नाम भी रॉ पर लगाया गया।
इस रिपोर्ट में पाकिस्तान का पक्ष मजबूती से रखने के लिए भारतीयों पर ये इल्जाम भी लगाया गया है कि इंडिया ने ऐसी हत्याएँ कराने के लिए 2 साल तक यूएई में स्लीपर सेल को स्थापित किया। इसके बाद ये हत्याएँ शुरू हुईं। इसके अलावा पाकिस्तान के विदेश सचिव साइरस सज्जाद काजी भी जनवरी दो हत्याओं के पीछे भारत पर इल्जाम लगा चुके हैं।
भारत ने किया इनकार
बता दें कि एक ओर जहाँ गार्जियन ने अपना पूरा आर्टिकल भारत पर आरोप लगाते हुए प्रकाशित किया है वहीं खुद को निष्पक्ष दिखाने के लिए भारत के विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया भी इसमें जोड़ी है। जिसमें साफ है कि भारत ने इन आरोपों से इनकार किया है और इसे भारत विरोधी प्रोपगेंडा करार दिया है। मगर, द गार्जियन को इस प्रतिक्रिया को न तो अपने खबर के टॉप में रखना जरूरी समझा और न ही भारत के पक्ष को हेडलाइन में जगह दी। इस खबर के प्रकाशित होने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी साफ कहा कि रिपोर्ट में लगाए गए आरोप झूठे है और सिर्फ भारत के खिलाउ प्रोपगेंडा चलाने के लिए हैं। भारत की नीति में टारगेट किलिंग नहीं है।
द गार्जियन का एंटी इंडिया प्रोपगेंडा
गौरतलब है कि इस पूरे आर्टिकल को लिखने वाले पत्रकारों में एक नाम हन्ना एलीस पीटरसन का भी है। पिछले दिनों ऑपइंडिया ने आपको बताया था कि कैसे हन्ना एलिस भारत विरोधी प्रोपगेंडा अपने समाचार पत्र के माध्यम से चलाती रहती हैं और सोशल मीडिया पर हिंदुत्व से नफरत दिखाती हैं। हमारे उस लेख के बाद अब उनका गार्जियन पर 4 अप्रैल को ये आर्टिकल प्रकाशित हुआ है वो भी ऐसे समय में जब भारत में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं।
भारत द्वारा ये पक्ष साफ किए जाने के बाद कि वो टारगेट किलिंग नहीं करते फिर भी द गार्जियन ने पाकिस्तानी अधिकारियों के हवाले से भारत पर कई इल्जाम लगाए हैं।
इसका मकसद साफ है कि वो एक बार फिर से भारत विरोधी प्रोपगेंडा वैश्विक स्तर पर चलाने के लिए एक्टिव हो गए हैं ताकि मोदी सरकार पर सवाल खड़ा करवा सकें। हालाँकि उनका ये हथकंडा काम नहीं आया क्योंकि मोदी सरकार में आतंकियों के खिलाफ हुई कार्रवाई से लोग पहले से ही बहुत संतुष्ट हैं जब उन्होंने ये रिपोर्ट पढ़ी कि भारत सरकार विदेशों में भी आतंकियों के सफाए के लिए अभियान चला रही है तो भारतीय मीडिया में पीएम मोदी का बखान होने लगा।
द गार्जियन ने कोशिश की थी कि इस रिपोर्ट से उनपर सवाल उठें लेकिन सोशल मीडिया पर लोग मोदी सरकार की तारीफ करने लगे। अब देखना है कि द गार्जियन या अन्य कोई मीडिया चुनाव से पहले मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए क्या दाव खेलते हैं।
मालूम हो कि ऐसा काम वो पहली बार नहीं कर रहे हैं। इससे पहले इसी द गार्जियन ने लेस्टर हिंसा पर मुस्लिमों को बचाने के लिए एकतरफा रिपोर्टिंग की थी। इंग्लैंड में हुई हिंसा का जिम्मेदार इन्होंने आरएसएस को ठहरा दिया था। अब यही द गार्जियन भारत के खिलाफ ऐसी रिपोर्ट प्रकाशित कर रहा है। उनके लिए ये सब नया नहीं है और न ही अब भारतीय पाठकों को ये नया लगता है। द गार्जियन के बारे में पाठक जान चुके हैं कि न्यूज कंटेंट के नाम पर भारत विरोधी प्रोपगेंडा चलाना विदेशी मीडिया के लिए नया नहीं है।