Sunday, September 8, 2024
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पिता को बना दिया ‘किंग मेकर’, आंध्र में ला दी NDA की आँधी: जिस सीट पर TDP का नामलेवा नहीं वहाँ से रिकॉर्ड तोड़ जीत, कौन हैं नारा लोकेश

नारा लोकेश, टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के बेटे हैं और स्टैडफॉर्ड यूनिवर्सिटी से उन्होंने एबीए की पढ़ाई की है। इन चुनावों में उनकी भूमिका अहम थी। साल 2019 के विधानसभा चुनाव जब टीडीपी को मात्र 23 सीट पाकर सिमटना पड़ा था उस समय कहा गया था कि ये तेलुगु देसम पार्टी का अंत है।

साल 2024 में हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव दोनों में ही तेलुगु देशम पार्टी का प्रदर्शन सराहनीय दिखा। इस बीच टीडीपी के महासचिव नारा लोकेश की लगातार चर्चा रही। उन्हें लेकर कहा गया कि उनकी वजह से ही आंध्र प्रदेश में टीडीपी को बढ़त मिली।

उन्होंने खुद विधानसभा चुनाव में मंगलगिरी निर्वाचन क्षेत्र से वाईएसआरसीपी के मुरुगुडु लावण्या के खिलाफ 91,413 वोटों के रिकॉर्ड अंतर से जीत हासिल की। ​​लोकेश को 1,67,710 वोट मिले, जबकि लावण्या को 76,297 वोट मिले। लोकेश की जीत के साथ, टीडीपी ने लगभग चालीस वर्षों में पहली बार मंगलगिरी में जीत हासिल की है।

41 वर्षीय लोकेश, टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के बेटे हैं और स्टैनफॉर्ड यूनिवर्सिटी से उन्होंने एबीए की पढ़ाई की है। इन चुनावों में उनकी भूमिका अहम थी। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में जब टीडीपी को मात्र 23 सीट पाकर सिमटना पड़ा था उस समय कहा गया था कि ये तेलुगु देसम पार्टी का अंत है। हालाँकि, टीडीपी ने अपनी लड़ाई लड़ी और इन चुनावों में अपनी जगह बनाई।

पाँच साल बाद टीडीपी को 135 सीटें मिली हैं। उनकी सहयोगी पार्टी पवन कल्याण जन सेना पार्टी को 21 सीटें मिली हैं। भाजपा ने 8 सीटें जीती हैं तो कुल गठबंधन की सीट 164 हो गई है। ये प्रचंड बहुमत टीडीपी की सरकार को 175 विधानसभा सीटों पर मिला है।

इस जीत का प्रमुख कारण नारा लोकेश को इसलिए भी मिल रहा है क्योंकि नारा लोकेश युवाओं के बीच बहुत फेमस थे। सोशल मीडिया पर उनकी तमाम रील्स और शॉर्ट्स चल रहे थे। उन्हें आंध्र प्रदेश और टीडीपी का भविष्य कहा जा रहा था।

इस पूरी जीत में नारा लोकेश द्वारा की गई 400 दिनों की पदयात्रा को भी अहम बताया जा रहा है। उन्होंने चुनावी प्रचार में खुद को हर वक्त आगे रखा। वह एक महीने तक रोजाना 28 हजार कदम चलते थे। लोगों से मिलते थे, उनकी बात समझते थे।

जनवरी 2023 में शुरू हुई उनकी पदयात्रा में 4000 किलोमीटर दूरी को कवर किया गया था। इसका मकसद था कि लोग उनकी पार्टी से जमीनी स्तर पर जुड़ें। पार्टी की नीतियों और लक्ष्यों को जानें।

उनकी राजनीति को हवा तब मिली जब उनके पिता को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया। इसके बाद उन्होंने पदयात्रा रोककर पार्टी का कार्यभार थामा। अपनी शिक्षा और अनुभव से पार्टी को मजबूत किया। उन्होंने यात्रा से भी पहले पार्टी को डिजिटली मजबूत करना शुरू कर दिया था। उन्होंने पार्टी में लोगों को शामिल और पार्टी सदस्यों के मैनेज करने के लिए व्हॉट्सएप और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म का बराबर इस्तेमाल किया। नतीजा ये हुआ कि पदयात्रा से पहले उनके साथ 5 लाख लोग जुड़े।

अब उनके राजनैतिक करियर की बात करें तो एमएलसी चुने जाने पर ही लोकेश को 2017-2019 के बीच नायडू कैबिनेट में आईटी, पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री का पद मिल गया था। लोगों ने ये देख उनका काफी विरोध भी किया था क्योंकि उन्हें लोगों द्वारा निर्वाचित नहीं किया गया था। हालाँकि बाद में वो माहौल शांत हुआ। बताया जाता है कि नारा लोकेश ने एनटीआर मेमोरियल ट्रस्ट में प्रमुख भूमिका निभाई थी जो ये स्वास्थ्य सेवा, कौशल और आपदा प्रबंधन पर काम करता है। इसके अलावा आँध्र प्रदेश में नारा लोकेश भाजपा और टीडीपी के गठबंधन के कोर समर्थक रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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