Friday, November 22, 2024
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संविधान का करो संशोधन, और ज्यादा आरक्षण के लिए कोर्ट की लगाई 50% सीमा हटाओ, जाति जनगणना भी हो: कॉन्ग्रेस

जयराम रमेश ने कहा है कि आरक्षण की सीमा को 50% से बढाकर उसे संविधान की नवीं अनुसूची में डालना पर्याप्त नहीं है क्योंकि देश के कोर्ट इसकी समीक्षा कर सकते हैं और इस पर रोक लग सकती है। उन्होंने कहा कि संविधान में संशोधन करके 50% आरक्षण की सीमा हटाकर SC-ST और OBC को आरक्षण दिया जाए।

कॉन्ग्रेस मीडिया इंचार्ज और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने कहा है कि संसद में कानून लाकर 50% आरक्षण की सीमा को खत्म कर दिया जाए। उन्होंने कहा है कि सरकार ऐसा कानून लाए जिससे सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण पर लगाई गई 50% की सीमा टूट जाए। उन्होंने साथ ही में जातिगत जनगणना की माँग भी है।

जयराम रमेश ने कहा है कि आरक्षण की सीमा को 50% से बढाकर उसे संविधान की नवीं अनुसूची में डालना पर्याप्त नहीं है क्योंकि देश के कोर्ट इसकी समीक्षा कर सकते हैं और इस पर रोक लग सकती है। उन्होंने कहा है कि संविधान में संशोधन करके 50% आरक्षण की सीमा हटाकर SC-ST और OBC को आरक्षण दिया जाए।

मीडिया से बात करते हुए जयराम रमेश ने कहा, “अलग-अलग राज्यों के आरक्षण को संविधान को नवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। तमिलनाडु का आरक्षण नवीं अनुसूची में शामिल है लेकिन 2007 में न्यायपालिका ने कहा है कि वह नवीं अनुसूची का भी परीक्षण कर सकती है। हमने अपने घोषणा पत्र में भी 50% सीमा को संविधान संशोधन से हटाने का वादा किया था।”

जयराम रमेश ने आगे कहा, “संविधान में कहीं नहीं लिखा कि आरक्षण 50% होना चाहिए। यह न्यायपालिका के दिए गए निर्णयों से आया है। हम चाहते हैं कि संविधान का संशोधन हो और आरक्षण की 50% सीमा हटा दी जाए। इसके अलावा राज्यों को अधिकार दिए जाएँ।”

जयराम रमेश ने आरक्षण के लिए संशोधन पर बात करते हुए जेडीयू पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जेडीयू ने 65% आरक्षण के लिए नवीं अनुसूची की बात की है लेकिन वह भाजपा पर इस बात के लिए दबाव नहीं डाल रहे। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी प्रश्न पूछे।

जयराम रमेश ने देश भर में जातिगत जनगणना की माँग भी की है। जयराम रमेश ने कहा कि जातिगत जनगणना जरूरी है। उनका कहना है कि देश होने वाली आगामी जनगणना में जाति का नाम भी शामिल कर लिया जाए।

गौरतलब है कि हाल ही में पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार के 65% आरक्षण देने के फैसले पर रोक लगा दी थी। पटना हाई कोर्ट ने इसके पीछे 50% सीमा का हवाला दिया था। इसके बाद से जातिगत आरक्षण पर बहस दोबारा से चालू हो गई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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