Friday, November 22, 2024
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CM पद को लेकर समझौता नहीं करेगी BJP: फडणवीस-ठाकरे, NCP-कॉन्ग्रेस-SS के बाद अब तीसरा विकल्प!

"शिवसेना ने 124 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जो महाराष्ट्र में कुल सीटों का आधा भी नहीं है। ऐसे में शिवसेना किस मुँह से 50-50 की बातें कर रही है? शिवसेना को गृह मंत्रालय भी नहीं दिया जाएगा।"

महाराष्ट्र में लगातार बदलते सियासी समीकरण के बीच सोमवार (नवम्बर 4, 2019) को एनसीपी के मुखिया ने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात का कोई ठोस परिणाम नहीं निकला क्योंकि क़रीब आधे घंटे तक चली बैठक के बाद निकल कर पवार ने दोहराया कि उन्हें विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला है। साथ ही उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि सोनिया के साथ सरकार गठन को लेकर चर्चा हुई। उन्होंने इसे महाराष्ट्र के ताज़ा राजनीतिक परिदृश्य पर हुई चर्चा करार दिया। लेकिन हाँ, पवार अपने मौजूदा स्टैंड को साफ़ करते हुए ये कहने से भी नहीं चूके कि भविष्य में क्या होगा, उन्हें पता नहीं।

भाजपा के दो महासचिवों सरोज पांडेय और भूपेंद्र यादव को महाराष्ट्र भेजा गया था लेकिन ये दोनों ही दिल्ली लौट आए हैं। पार्टी आलाकमान से चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी दिल्ली में हैं। दोनों महासचिव शिवसेना से आखिरी दौर की बातचीत करने के बाद ही दिल्ली आए हैं लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला। भाजपा सीएम पद को लेकर किसी भी प्रकार का समझौता करने को तैयार नहीं है। उधर महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री जयकुमार रावल ने शिवसेना के रुख को देखते हुए राज्य में दोबारा चुनाव कराने की इच्छा व्यक्त की।

फडणवीस के क़रीबी मंत्री ने कहा कि शिवसेना के रुख से भाजपा कार्यकर्ता नाराज़ हैं और वो चाहते हैं कि दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ें। भाजपा ‘देखो और इंतजार करो’ की भूमिका में है। पार्टी ने शिवसेना की माँगों के सामने झुकने से इनकार कर दिया है। एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने इकनोमिक टाइम्स को बताया कि शिवसेना ने 124 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जो महाराष्ट्र में कुल सीटों का आधा भी नहीं है। उनका सवाल था कि ऐसे में शिवसेना किस मुँह से 50-50 की बातें कर रही है? भाजपा इस बात को लेकर भी दृढ़ है कि शिवसेना को गृह मंत्रालय भी नहीं दिया जाएगा।

शिवसेना नेता संजय राउत ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाक़ात कर कहा कि राज्य में जल्दी से जल्दी सरकार का गठन होना चाहिए। राउत ने दावा किया कि शिवसेना सरकार गठन की राह में रोड़ा नहीं अटका रही है। फडणवीस ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाक़ात की। उन्होंने बताया कि वो महाराष्ट्र में हुए बेमौसम बरसात को लेकर केंद्र से मदद माँगने आए हैं। उधर एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने भी कहा कि राज्य में जल्द से जल्द नई हुकूमत को आना चाहिए, जिससे बारिश से बेहाल किसानों के लिए कुछ किया जा सके। दिल्ली और मुंबई में हुई किसी भी हाई-प्रोफाइल बैठक का कोई नतीजा सामने नहीं आया।

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी की चिंता है कि विचारधारा अलग होने के कारण शिवसेना-कॉन्ग्रेस का गठबंधन चल पाएगा या नहीं? हालाँकि, पार्टी नेता कहते हैं कि बाल ठाकरे के रहते शिवसेना ने प्रणव मुखर्जी की राष्ट्रपति उम्मीदवारी का समर्थन किया था। प्रतिभा पाटिल के समय भी शिवसेना ने भाजपा उम्मीदवार के ख़िलाफ़ जाते हुए उनका समर्थन किया था। एनसीपी और कॉन्ग्रेस इस विकल्प पर भी विचार कर रही है कि शिवसेना को समर्थन देकर राज्य में सरकार बनाई जाए और भाजपा को सत्ता से बाहर रखा जाए। उधर 121 विधायकों के समर्थन का दावा कर रही भाजपा ने फ़िलहाल अल्पमत वाली सरकारी के गठन वाली बातों को नकार दिया है।

मीडिया सूत्रों का कहना है कि शिवसेना ख़ुद चाहती है कि भाजपा को सरकार गठन के लिए राज्यपाल की तरफ़ से न्योता मिले क्योंकि स्पीकर के चुनाव के समय ही यह पूरी तरह साफ़ हो जाएगा कि पार्टी को कितना समर्थन है? यह भी देखने वाली बात है कि शिवसेना के एकमात्र मंत्री केंद्र सरकार में बने हुए हैं, इसीलिए कई लोगों का मानना है कि पार्टी सिर्फ़ मोलभाव कर रही है। संजय राउत ने दोनों प्रमुख विपक्षी दलों से संपर्क साधा है। कॉन्ग्रेस के कई नेताओं का कहना है कि ज़रूरी नहीं है कि पार्टी सरकार में शामिल हो, शिवसेना को बाहर से समर्थन दिया जा सकता है।

कॉन्ग्रेस यह तभी करेगी जब शिवसेना राजग से पूरी तरह अलग हो जाए। कुछ दिनों में राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आएगा। कॉन्ग्रेस की चिंता है कि अगर शिवसेना ने मंदिर बनाने का खुला समर्थन किया तो पार्टी क्या करेगी?

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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