अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनवर्ग रिसर्च ने साल 2023 में अडानी ग्रुप के खिलाफ एक रिपोर्ट पब्लिश की थी, जिसके बाद अडानी ग्रुप को काफी नुकसान हुआ था। इसका असर भारत के बाजार पर भी पड़ा था। अब इस मामले में सेबी ने अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया है और उससे सीधे-सीधे कुछ सवाल पूछे हैं। खास बात ये है कि सेबी ने जो सवाल हिंडनबर्ग रिसर्च ग्रुप से पूछे हैं, हिंडनबर्ग ने उनके जवाब सीधे तौर पर न देकर घुमाकर अपनी बात रखी है, साथ ही अब अडानी ग्रुप के साथ ही एक और ग्रुप-कोटक महिंद्रा ग्रुप को लपेटे में लेने की कोशिश की है। जिसका असर शेयर बाजार पर भी दिखाई पड़ा है, और कोटक महिंद्रा ग्रुप के साथ ही अडानी के शेयरों में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
अडाणी मामले में घसीटा कोटक ग्रुप का नाम
अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग ने सेबी के कारण बताओ नोटिस पर कहा है कि उनसे अडानी ग्रुप के स्टॉक को शॉर्ट करने के लिए अपने निवेशक के एक ऑफ शोर फंड स्ट्रक्चर का इस्तेमाल किया और इस फंड स्ट्रक्चर को बनाने और इसकी देखरेख करने का काम कोटक महिंद्रा बैंक का था। बता दें कि कोटक मंहिंद्रा बैंक के संस्थापक उदय कोटक हैं। ये एक प्राइवेट बैंक और ब्रोकरेज फर्म है।
हालाँकि हिंडनबर्ग ने ये नहीं बताया कि उसने अपनी शॉर्ट सेलिंग जिस इन्वेस्टर के जरिए की, वो कौन है, बल्कि उसने सेबी के नोटिस का सीधे जवाब देने की जगह कोटक महिंद्रा ग्रुप को बीच में घसीटा, साथ ही आरोप भी लगा दिया कि शॉर्ट सेलिंग का सबसे ज्यादा फायदा कोटक महिंद्रा ग्रुप ने उठाया। हिंडरबर्ग रिसर्च ने सेबी पर ही आरोप मढ़ते हुए कह दिया कि सेबी उसे ‘डरा’ रही है और कोटक ग्रुप को बचा रही है।
हिंडनबर्ग ने बताया है कि उसे 46 पन्नों का नोटिस 27 जून को मिला था। उसने सेबी के नोटिस वाले मेल का स्क्रीनशॉट भी शेयर किया है। हिंडनबर्ग ने लिखा, “सेबी ने हम पर अधिकार क्षेत्र का दावा करने के लिए खुद को उलझा लिया, लेकिन इसके नोटिस में स्पष्ट रूप से उस पार्टी का नाम नहीं बताया गया जिसका भारत से असल में संबंध है- कोटक बैंक, भारत के सबसे बड़े बैंकों और ब्रोकरेज फर्मों में से एक, जिसकी स्थापना उदय कोटक ने की थी, इस कंपनी ने हमारे निवेशक पार्टनर के लिए एक ऑफ शोर फंड स्ट्रक्चर बनाया और इसकी देखरेख का काम किया, इस स्ट्रक्चर का इस्तेमाल हमारे निवेशक पार्टनर ने अडानी के खिलाफ़ बेटिंग में किया. लेकिन सेबी ने कोटक का नाम नहीं लिया। उसने केवल के-इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड का नाम दिया और ‘कोटक’ नाम को ‘केएमआईएल’ के शॉर्टफॉर्म नाम से छिपा दिया।”
अपने ब्लॉग पोस्ट में हिंडनबर्ग ने लिखा, “भारत में सबसे शक्तिशाली लोगों की ओर से भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को उजागर करने वालों को चुप कराने तथा डराने का प्रयास है।” हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा, “क्या हिंडनबर्ग ने अडानी को नुक़सान पहुँचाने के लिए दर्जनों कंपनियों के साथ काम किया, जिससे करोड़ों डॉलर कमाए? नहीं…हमारे पास एक निवेशक पार्टनर थे और लागतों के बाद हम अदानी ‘शॉर्ट’ पर ‘ब्रेक-ईवन’ से ऊपर नहीं आ पाएँ।” उसने आगे लिखा, “आज तक अडानी हमारी रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का जवाब नहीं दे पाया है। इसके बजाय उन्होंने हर सवाल जो हमने उठाए उसे नजरअंदाज करते हुए मीडिया में हमारी रिपोर्ट का खंडन किया है।”
केएमआईएल का पूरा नाम है कोटक महिंद्रा इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड है। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि सेबी के कोटक का नाम न लेने के पीछे की वजह शायद बिजनेसमैन को जाँच के दायरे से बचाना हो सकती है।
हिंडनबर्ग ने लिखा, “बैंक के संस्थापक उदय कोटक ने व्यक्तिगत रूप से सेबी की 2017 की कॉरपोरेट गवर्नेंस समिति का नेतृत्व किया था। हमें संदेह है कि सेबी द्वारा कोटक या कोटक बोर्ड के किसी अन्य सदस्य का उल्लेख न करना शायद एक और शक्तिशाली भारतीय व्यवसायी को जाँच की संभावना से बचाने के लिए किया गया है, एक ऐसी भूमिका जिसे सेबी अपनाता हुआ प्रतीत होता है।”
इस मामले में इंडियन एक्सप्रेस ने कोटक महिंद्रा ग्रुप से भी संपर्क किया, जिसमें कोटक ग्रुप ने अपना बयान जारी किया है। कोटक ग्रुप ने हिंडनबर्ग रिसर्च से जुड़ी फर्म, इन्वेस्टमेंट के बारे में कोई भी जानकारी होने से इन्कार कर दिया है। कोटक ग्रुप ने कहा, “के-इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड लिमिटेड (केआईओएफ) एक सेबी पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक है और मॉरीशस के वित्तीय सेवा आयोग द्वारा विनियमित है। विदेशी ग्राहकों को भारत में निवेश करने में सक्षम बनाने के लिए 2013 में इस फंड की स्थापना की गई थी। यह फंड ग्राहकों को जोड़ते समय उचित केवाईसी प्रक्रियाओं का पालन करता है और इसके सभी निवेश सभी लागू कानूनों के अनुसार किए जाते हैं। हमने अपने संचालन के संबंध में नियामकों के साथ सहयोग किया है और ऐसा करना जारी रखेंगे।”
कोटक महिंद्रा इंटरनेशनल लिमिटेड (केएमआईएल) और केआईओएफ ने स्पष्ट रूप से कहा है कि हिंडनबर्ग कभी भी फर्म का ग्राहक नहीं रहा है और न ही वह कभी फंड में निवेशक रहा है। फंड को कभी पता नहीं चला कि हिंडनबर्ग उसके किसी निवेशक का भागीदार था। केएमआईएल को फंड के निवेशक से एक पुष्टि और घोषणा भी मिली है कि उसके निवेश किसी अन्य व्यक्ति की ओर से नहीं बल्कि एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में किए गए थे, कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड के प्रवक्ता ने कहा।
गौरतलब है कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने जनवरी 2023 में अडाणी ग्रुप पर एक रिपोर्ट जारी की थी और अडानी ग्रुप पर गंभीर आरोप लगाए थे। हिंडनबर्ग ने कहा था कि अडानी ग्रुप के शेयरों को गलत तरीके से अधिक दाम का दिखाया जा रहा है, जबकि अडानी ग्रुप की असली वैल्यूएशन बेहद कम है। हिंडनबर्ग की ये रिपोर्ट अडाणी एंटरब्राइजेज के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर-एफपीओ के ठीक पहले जारी किया गया था, जिसके बाद कंपनी ने अपने एफपीओ को वापस ले लिया था। इस रिपोर्ट की वजह से अडानी के शेयरों के दाम काफी गिर गए थे और अडानी दुनिया के शीर्ष अमीरों की सूची से भी बाहर हो गए थे। हालाँकि मौजूदा समय में अडानी ग्रुप अपने नुकसान की भरपाई करने में सफल हो गया है।