आगे बढ़ने से पहले गोवा के बारे में आधिकारिक साइट पर क्या लिखा है ये जान लेते हैं। गोवा सरकार की साइट के अनुसार, ये बात एकदम साफ है कि गोवा की संस्कृति में धर्मांतरण ने आघात किया था। गोवा में पुर्तगाली शासन के दौरान यहाँ बड़े स्तर पर लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया गया था। इसी सबको देख ईसाई समुदाय के लोग ‘सेंट’ फ्रांसिस जेवियर में अपनी अटूट श्रद्धा दिखाने लगे।
बताया जाता है कि पुर्तगाली शासन से पहले छोटे से गोवा में सैंकड़ों मंदिर थे। हालाँकि 1542 में पुर्तगाली काफिले के साथ जब ‘सेंट’ फ्रांसिस जेवियर भारत आए तो उन्होंने केवल ईसाई धर्म को फैलाना शुरू नहीं किया बल्कि कुछ ही सालों में 350+ से ज्यादा हिंदू मंदिर बंद करवा दिए। इस बीच कई मंदिर को तो जमींदोज भी किया गया।
‘सेंट’ जेवियर के काल में हिंदुओं पर हर हथकंडे आजमाते हुए उन्हें क्रिश्चियन बनाने की कोशिश हुई। लेकिन जब प्रयास विफल हुए और ‘सेंट’ जेवियर ने देखा कि सनातन को मिटाना इतना आसान काम नहीं है, अगर वो सड़कों पर हिंदू मंदिर बंद कराएँगे तो हिंदू घर में ही मंदिर बना लेंगे… ऐसी स्थिति में उन्होंने हिंसा और लोगों को भ्रमित करने का रास्ता अपनाया।
फ़िलिपो सैसेटी, एक इतालवी यात्री और व्यापारी जो 1578 से 1588 तक भारत में थे, उन्होंने गोवा में स्थिति देख कहा था कि तब हिंदुओं पर उनके पवित्र ग्रंथों और उनके धर्म का पालन करने के लिए आरोप लगाए जाते थे। हिंदू मंदिरों को नष्ट किया जाता था, और लोगों को इतना परेशान किया जाता था कि वे बड़ी संख्या में शहर छोड़कर चले जाएँ। अगर किसी ने बात सुनने से इनकार किया या अपने पूर्वजों के देवों की पूजा की तो उन्हें कारावास, यातना और मौत की सज़ा दी जा सकती थी।
‘सेंट’ जेवियर पर मौजूदा लेख बताते हैं कि उन्हें हिंदू से इतनी घृणा थी कि वह उन्हें विधर्मी, काफिर तक कहकर संबोधित करते थे। वहीं ब्राह्मणों से उन्हें इतनी दिक्कत थी कि उन्हें वो ‘धोखेबाज और झूठा’ बताकर पेश करते थे ताकि समाज का विश्वास उनपर से उठ जाए। इसके अलावा वो ईसाई धर्म में लोगों को लाने के लिए ईसाई धर्म की खूबियों के अलावा ये बताते थे कि कैसे हिंदू और उनके देवी-देवता बुरे होते हैं।
फ्रांसिस के बारे में कहा जाता है कि उनके होते हुए गोवा में इतनी तेजी से धर्मांतरण की रफ्तार बढ़ी थी कि वो कई बार पूरे के पूरे गाँव को ईसाई बनवा देते थे। फिर हिंदू बच्चों को मंदिर में ले जाते थे और उनसे देवी-देवताओं को गाली देने को कहते थे, मूर्तियाँ तोड़ने, उनपर थूकने और उन्हें रौंदने के लिए कहते थे। साथ ही उन कलाकारों को भी धमकी दी जाती थी जो मूर्तियाँ बनाने का काम करते थे।
अब ‘सेंट’ जेवियर का काल बीते कई सदी हो चुकी हैं। आज ईसाई समुदाय जो हमें उनके बारे में बताता है हम उसी को जानते हैं लेकिन अगर लोगों की सुनी सुनाई बातों से हटकर खुद समझना चाहते हैं कि ‘सेंट’ जेवियर हिंदुओं के लिए सोच क्या रखते थे तो एक पत्र में लिखी बात पढ़िए जो उन्होंने 1545 में कोचीन से लिखी थी, इसमें उन्होंने लिखा था,
“जब सभी लोग बपतिस्मा ले लेते हैं, तो मैं उनके झूठे देवताओं के सभी मंदिरों को नष्ट करने और सभी मूर्तियों को टुकड़े-टुकड़े करने का आदेश देता हूँ। मैं आपको यह नहीं बता सकता कि यह सब होते हुए देखकर मुझे कितनी खुशी हो रही है, उन लोगों द्वारा मूर्तियों को नष्ट होते हुए देखना जो हाल ही में उनकी पूजा करते थे। मैं सभी शहरों और गाँवों में ईसाई धर्म के सिद्धांतों को स्थानीय भाषा में लिखकर छोड़ता हूँ और साथ ही यह भी बताता हूँ कि सुबह और शाम के स्कूलों में इसे किस तरह पढ़ाया जाना चाहिए।”
‘सेंट’ फ्रांसिस जेवियर ने गोवा पर जब पूरा कब्जा किया तो गैर इसाइयों के लिए स्थिति और बद्तर हो गई क्योंकि तब सत्ता ईसाई पादरियों के हाथ आ गई और हिंदू विरोधी कानून बनने शरू हुए। धर्मांतरण के लिए नृशंस यातनाएँ दी जाने लगी। हिंदू माता पिता के सामने बच्चों के अंग काटे जाने लगे। वहीं जो धर्मांतरण के लिए नहीं मानता था उसे सूली पर लटकाकर जलाना शुरू कर दिया गया।
इस तरह जेवियर के काल में धर्मांतरण को अंजाम दिया गया और आगे चल कर जब इतिहासकारों ने इस सच्चाई को लिखना चाहा तो उन्हें भी असहनीय यातनाएँ दी गईं। गोवा में एक ‘हाथकाटरो’ खंभ भी है। बताया जाता है कि ये हिंदुओं पर पुर्तगाली शासकों के बर्बरता का जीवंत साक्ष्य है। ईसाइयों द्वारा हिंदुओं को इससे बाँधकर उनके अंगों को तोड़ा जाता था।
कई हिंदू मानते हैं कि ये खंबा जिसपर पर खड़ा कर हिंदुओं को इतनी यातनाएँ दी जाती थीं वो स्तंभ श्री सप्तकोटेश्वर मंदिर का अवशेष है जो कदंब वंश के शासनकाल के दौरान अस्तित्व में था और बाद में इसे पुर्तगालियों ने ध्वस्त कर दिया था और बाद में इसका प्रयोग हिंदुओं को यातना देने के लिए होने लगा।
आज ‘सेंट’ फ्रांसिस जेवियर के नाम पर भारत में न जाने कितने शैक्षणिक संस्थान, धार्मिक स्थल और स्वास्थ्य केंद्र हैं। ईसाई ‘सेंट’ जेवियर को अपना प्रतिष्ठित पादरी मानते हैं। उनके अपमान को अपना अपमान समझते हैं, लेकिन वास्तविकता ये है कि मौजूदा लेख और जानकारियाँ उनके बारे में यही बताती हैं कि उन्होंने ईसाई धर्म के प्रसार के लिए हिंदुओं को या गैर इसाइयों को प्रताड़ित किया। अगर आज भी लोग ‘सेंट’ जेवियर के दिखाए रास्ते को सबसे अच्छा बताते हैं तो क्या ये माना जाना चाहिए वो भी हिंदू विरोधी हैं जिन्हें कोई आपत्ति नहीं है जेवियर काल में हिंदुओं क साथ क्या हुआ।
जानकारी के लिए बता दें कि ‘सेंट’ फ्रांसिस जेवियर ‘सोसायटी ऑफ जीसस’ से जुड़े थे। इन्हीं सोसायटी ऑफ़ जीसस वालों को ‘जेसुइट्स’ कहा जाता है। कहते हैं कि जेसुइट्स ने एक समय में 20000 से ज्यादा लोगों को अपना गुलाम बनाया हुआ था और उनसे खेत समेत अन्य मेहनत के काम कराए जाते थे।