भारतीय कारोबारी समूह अडानी ग्रुप पर अमेरिका के न्याय न्यायिक विभाग और सिक्युरिटीज एक्सचेंज बोर्ड ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। अमेरिकी एजेंसियों के अनुसार, अडानी समूह ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी और इसके जरिए पेश की गई झूठी तस्वीर से समूह ने अमेरिका में निवेशकों से पैसा लिया।
अमेरिकी एजेंसियों ने अडानी समूह के मुखिया गौतम अडानी समेत 7 लोगों को इस मामले में आरोपित बनाया है। इस मामले में कॉन्ग्रेस नेता जयराम रमेश ने भारत सरकार को घेरा है। भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने मुकदमे के कागजों के सहारे ही उनके तथ्यों की बखिया उधेड़ी है और कहा है कि इतनी जल्दी अंतिम निष्कर्ष पर ना पहुँचा जाए।
विपक्ष ने अडानी-भारत सरकार पर क्या कहा?
अडानी पर बुधवार (20 नवम्बर, 2024) को लगाए गए आरोपों के बाद कॉन्ग्रेस के राज्यसभा सांसद और मीडिया प्रमुख जयराम रमेश ने मोर्चा संभाला। जयराम रमेश ने गुरुवार (22 नवम्बर, 2024) को एक्स (पहले ट्विटर) के माध्यम से अडानी समूह और सरकार को घेरा।
जयराम रमेश ने लिखा, “गौतम अडानी, सागर अडानी और अन्य के खिलाफ अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय, ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफ़ न्यूयॉर्क द्वारा चालू किए गए मुकदमे में अडानी की आपराधिक गतिविधियों के बारे में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने 2020 से 2024 के बीच भारत के सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर (₹2100 करोड़) से अधिक की रिश्वत दी गई।”
जयराम रमेश ने आगे लिखा, “मुकदमे में कहा गया है कि रिश्वत ‘भारत सरकार के साथ सोलर एनर्जी सप्लाई करने का टेंडर लेने के लिए दी गई थी। इस टेंडर के मिलने से 2 बिलियन डॉलर (₹16,800 करोड़) से अधिक का मुनाफ़ा होने होता। इसी मुकदमे में कहा गया है कि कई मौकों पर गौतम अडानी ने अपनी रिश्वत की योजना को और आगे बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत रूप से एक सरकारी अधिकारी से मुलाकात की, जिसका इलेक्ट्रॉनिक और फोन सबूत होने का दावा किया गया है।”
अडानी पर हमला करते हुए जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि उन्हें मोदी सरकार संरक्षण दे रही है। उन्होंने माँग की कि भारत में भी अडानी समूह के ऑपरेशन की जाँच करने के लिए नए SEBI मुखिया की नियुक्ति की जाए और साथ ही एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन किया जाए।
भाजपा ने दिया जवाब, कॉन्ग्रेस को ही लपेटा
जयराम रमेश के इन आरोपों का जवाब भाजपा आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने दिया। अमित मालवीय ने अमेरिकी कोर्ट के कागजों के हवाले से लिखा, “इसलिए कहते हैं कि जवाबा देने से पहले पढ़ लेना चाहिए। आपने जिन कागजों हवाला दिया है। उन्हीं में लिखा है, “मुकदमे में लगाए गए आरोप अभी सिद्ध नहीं हुए हैं और जब तक आरोपित दोषी साबित न हो जाएँ, तब तक उन्हें निर्दोष करार माना जाता है।” इसके बाद मालवीय ने इस मुकदमे के कागजों के सहारे कॉन्ग्रेस को ही कठघरे में खड़ा कर दिया।
It is always good to read before one reacts. The document you quote says, “The charges in the indictment are allegations and the defendants are presumed innocent unless and until proven guilty.”
— Amit Malviya (@amitmalviya) November 21, 2024
But be as it may, the essence of the charge is that US and Indian companies agreed… https://t.co/Y3UivigtTx pic.twitter.com/MkMri2fPQs
अमित मालवीय ने बताया, “लेकिन जैसा भी हो, पूरा मामला ये है कि अमेरिकी और भारतीय कंपनियों ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को 12 GW बिजली सप्लाई करने पर सहमति जताई थी। यह समझौता तब होता जब SECI, राज्यों की बिजली कम्पनियों (SDC) के साथ बिजली खरीदने का समझौता (PPA) करने पर आधारित था। अडानी ग्रीन एनर्जी और अमेरिकी कम्पनी एज़्योर पावर के बीच समझौता था, इसके तहत सरकार को बेची जाने वाली बिजली में से एज़्योर 4 GW जबकि अडानी ग्रीन एनर्जी को 8 GW देना था।”
अमित मालवीय ने बताया कि इन कम्पनियों द्वारा बनाई गई बिजली महँगी थी, इसलिए राज्यों की बिजली कम्पनियाँ इन्हें खरीद नहीं रही थीं। ऐसे में यह आगे SECI के पास भी नहीं जाती। अमित मालवीय ने बताया कि मुकदमे के अनुसार, इस स्थिति से निपटने के लिए अडानी ने अमेरिकी फर्म एज़्योर पावर के साथ मिलकर जुलाई 2021 से फरवरी 2022 के बीच ओडिशा (तब BJD शासित), तमिलनाडु (DMK), छत्तीसगढ़ (तब कॉन्ग्रेस शासित) और आंध्र प्रदेश (तब YSRCP) में स्थित SDC को US $265 मिलियन पैसा दिया।
अमित मालवीय ने जयराम रमेश से पूछा कि अगर मुकदमे में बताए गए सभी राज्य तब विपक्ष की पार्टियों द्वारा शासित थे तो सबसे पहले तो उन्हें जवाब देना चाहिए कि क्या उन्होंने रिश्वत ली। मालवीय ने कहा कि जयराम रमेश केंद्र सरकार को लेकर धर्मोपदेश दे रहे हैं, बजाय अपनी सरकारों पर सवाल उठाने के। अमित मालवीय ने इस पूरे मुकदमे के पीछे जॉर्ज सोरोस का हाथ होने की तरफ इशारा किया और आरोप लगाया कि कॉन्ग्रेस उसकी कठपुतली बनी हुई है।
अमेरिकी एजेंसियों के क्या हैं आरोप?
अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ़ जस्टिस और SEC ने अडानी समूह पर आरोप लगाया कि 2020 से 2024 के बीच अडानी समूह के रंजीत गुप्ता, सिरिल कैबनेस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा और रूपेश अग्रवाल ने बिजली सप्लाई के टेंडर हासिल करने के लिए लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने की साजिश रची। उन्होंने अपने हिसाब से फैसले करवाने के लिए पैसा दिया, इसके लिए शेल कम्पनियों का इस्तेमाल हुआ। इसके अलावा अमेरिकी एजेंसियों ने कहा कि इन गलत सूचना के सहारे अमेरिका में अडानी समूह के लोगों ने बॉन्ड जारी किए और निवेश हासिल किए।
अडानी समूह के लोगों पर यह भी आरोप है कि उन्होंने सबूत मिटाने की कोशिश की और न्याय के रास्ते में रोड़ा बने। यह भी आरोप लगाया गया है कि उन्होंने जाँचकर्ताओं को झूठे बयान दिए और रिश्वत की बातें छुपाई। अमेरिकी एजेंसियों ने कुल 5 आरोप अडानी पर तय किए हैं। अब इसको लेकर मुकदमा चलेगा। वहीं अडानी समूह ने एक बयान जारी करके अमेरिका में होने वाली अपनी अगली बॉन्ड की बिक्री रोक दी है। अडानी समूह ने कहा कि यह बॉन्ड इश्यु तीन गुना सबस्क्राइब हुआ था।