Wednesday, December 4, 2024
Homeरिपोर्टमीडियासंभल के मुस्लिम पत्थरबाजों को बचाने में जुटा विकिपीडिया, 'जय श्रीराम' के नारों को...

संभल के मुस्लिम पत्थरबाजों को बचाने में जुटा विकिपीडिया, ‘जय श्रीराम’ के नारों को हिंसा के लिए ठहराया जिम्मेदार: ‘द वायर’ का दिया रेफरेंस, सवाल उठने पर हटाया लिंक

विकिपीडिया ने शुरू में वामपंथी प्रोपेगेंडा आउटलेट 'द वायर' के लिए विवादास्पद स्तंभकार अपूर्वानंद झा द्वारा लिखे गए एक लेख का इस्तेमाल किया था, जिसमें दावा किया गया था कि 'जय श्री राम' के नारे से मुसलमान भड़क गए थे।

संभल हिंसा पर विकिपीडिया का रुख हमेशा की तरह संदिग्ध और सवालों के घेरे में है। दरअसल, खुद को ‘विश्वकोश’ कहने वाले विकिपीडिया ने 24 नवंबर 2024 कोर्ट के आदेश से हो रहे सर्वे के दौरान हुई हिंसा को लेकर एक अलग पेज बनाया। विकिपीडिया के इस पेज में दावा किया गया कि ‘कोर्ट द्वारा नियुक्त न्यायिक आयोग के सामने मुस्लिमों को भड़काने के लिए ‘जय श्री राम’ का नारा लगाया गया’, इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। विकिपीडिया पर ऐसे दावे विपक्षी सांसदों के हवाले से किए गए।

विकिपीडिया के पेज पर लिखा है, “विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया है कि मस्जिद में अदालत द्वारा नियुक्त सर्वे टीम के सामने आए लोगों ने वरिष्ठ पुलिस और जिला अधिकारियों की मौजूदगी में मुसलमानों को भड़काने के लिए ‘जय श्री राम’ का नारा लगाया, इस घटना का वीडियो वायरल हो रहा है।”

स्रोत:विकिपीडिया

दिलचस्प बात यह है कि विकिपीडिया ने शुरू में वामपंथी प्रोपेगेंडा आउटलेट ‘द वायर’ के लिए विवादास्पद स्तंभकार अपूर्वानंद झा द्वारा लिखे गए एक लेख का इस्तेमाल किया था, जिसमें दावा किया गया था कि ‘जय श्री राम’ के नारे से मुसलमान भड़क गए थे। हालाँकि, बाद में लिंक हटा दिया गया और द टेलीग्राफ का एक अन्य लिंक उसी दावे का मुख्य स्रोत बन गया।

इस पेज के पुराने संस्करण (एडिटिंग से पहले) में पहले पैराग्राफ में “जय श्री राम” नारे का उल्लेख किया गया था, जिसे अपूर्वानंद के लेख से जोड़ा गया था।

स्रोत: विकिपीडिया

बाद में द वायर के ओपिनियन आर्टिकल के रेफरेंस लिंक को हटा दिया गया।

स्रोत: विकिपीडिया

यही नहीं, अपडेट के बाद अब लेख के पहले पैराग्राफ से ‘जय श्री राम’ नारे का उल्लेख हटा दिया गया।

स्रोत: विकिपीडिया

‘द वायर’ पर लिखे अपने लेख में अपूर्वानंद ने कई निराधार दावे किए थे। सबसे पहले झा ने दावा किया कि दूसरा सर्वे 19 नवंबर की रात को हुए शुरुआती सर्वे के ‘दो दिन बाद’ किया गया था। यह तथ्यात्मक रूप से गलत है, साथ ही द वायर की संपादकीय टीम की भी चूक है। सच ये है कि दूसरा सर्वे पाँच दिन बाद 24 नवंबर 2024 को किया गया था।

फोटो साभार: द वायर

अपूर्वानंद ने यह भी दावा किया कि सर्वे बिना किसी पूर्व सूचना के किया गया था। यह फिर से गलत है। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने एक्स पर साझा किया कि मस्जिद समिति को सर्वे के दूसरे दौर के बारे में एक दिन पहले 23 नवंबर 2024 को उचित दस्तावेज़ों के साथ सूचित किया गया था। दिलचस्प बात यह है कि यह लेख 26 नवंबर 2024 को प्रकाशित हुआ था, जबकि वकील विष्णु शंकर जैन ने 25 नवंबर 2024 को ही यह जानकारी सार्वजनिक कर दी थी कि मस्जिद समिति को इस सर्वे के बारे में 23 नवंबर 2024 को ही सूचित किया गया था।

टेलीग्राफ की रिपोर्ट में समाजवादी पार्टी के नेता और संभल के सांसद जियाउर रहमान बर्क के हवाले से कहा गया है, “आयोग के साथ मौजूद कुछ लोग ‘जय श्री राम’ के नारे लगा रहे थे। जब स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया, तो पुलिस ने गोलियाँ चलाईं और चार लोगों की मौत हो गई।” बर्क ने आगे माँग की कि पुलिस अधिकारियों की पहचान की जाए और घटना के लिए उन पर मामला दर्ज किया जाए।

फोटो साभार: टेलीग्राफ

गौरतलब है कि बर्क को संभल हिंसा मामले में दर्ज सात एफआईआर में से एक में मुख्य आरोपित के तौर पर नामित किया गया है। बर्क पर घटना से दो दिन पहले अपने दौरे के दौरान इलाके में रहने वाले मुसलमानों को भड़काने का आरोप है। दिलचस्प बात यह है कि विकिपीडिया ने यह नहीं बताया कि किस ‘विपक्षी नेता’ ने दावा किया कि हिंसा ‘जय श्री राम’ के नारे के बाद हुई, जबकि पेज पर इसका उल्लेख किया गया था। इसके अलावा, बर्क पर मामला दर्ज होने की जानकारी केवल एक अलग सेक्शन में शामिल की गई थी।

दिलचस्प बात यह है कि बातचीत के दौरान दो संपादकों, Xoocit और Cerium4B के बीच चर्चा हुई, जिसमें बाद वाले ने जोर देकर कहा कि ‘जय श्री राम’ के नारे के कारण हिंसा हुई, इस दावे को बरकरार रखा जाना चाहिए। नारे लगाने की बात ‘दावों’ के तौर पर बरकरार रखी गई, जबकि इस बात के पर्याप्त सबूत थे कि ये नारे सुबह 11 बजे के बाद लगाए गए थे, जबकि हिंसा सुबह 9:30 बजे से पहले भड़की थी।

तस्वीर स्रोत: विकिपीडिया

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने वकील विष्णु शंकर जैन और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा विवादित स्थल पर सर्वे के लिए अंदर जाने का वीडियो भी शेयर किया है। करीब 3 मिनट के इस वीडियो में ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने का कोई संकेत नहीं था।

पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा ने भी सबूत शेयर करते हुए कहा कि नारे उस समय नहीं लगाए गए जब टीम विवादित स्थल में प्रवेश कर रही थी, बल्कि नारे सुबह 11 बजे के बाद लगाए गए। उस समय तक वकील विष्णु शंकर जैन वहाँ से निकल चुके थे।

इसके अलावा, उन्होंने संभल पुलिस द्वारा बरामद सीसीटीवी फुटेज भी साझा की, जिसमें नारे लगने से काफी पहले सुबह करीब साढ़े नौ बजे उपद्रवियों द्वारा सीसीटीवी कैमरा तोड़ते हुए देखा जा सकता है।

AMASR अधिनियम और पूजा स्थल अधिनियम के बारे में गलत फैक्ट चेक

संभल हिंसा पर विकिपीडिया पेज पर गौर करने वाली एक अहम बात ये है कि इस लेख में AMASR अधिनियम और पूजा स्थल अधिनियम के बारे में जिस फैक्ट चेक का लिंक को लगाया है, वो अपेक्षाकृत अज्ञात संस्थान/वेबसाइट का लिंक है। उस संस्थान का नाम टाइमलाइन डेली है। इस फैक्ट चेक वाले लेख में भी गलत फैक्ट्स दिए गए थे।

ऑपइंडिया ने डोजियर में निकाली थी विकिपीडिया के फर्जीवाड़े की हवा

बता दें कि ऑपइंडिया ने कुछ समय पहले विकिपीडिया द्वारा गलत सूचना परोसने और भारत के खिलाफ राजनीतिक रूप से प्रेरित पूर्वाग्रह पर एक विस्तृत डोजियर जारी किया था। उस डोजियर को इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है। ऑपइंडिया के शोध में पता चला है कि विकिपीडिया ने मुट्ठी भर लोगों को असीमित शक्तियाँ दे रखी हैं, जिन्हें ‘प्रशासक’ कहा जाता है।

ऑपइंडिया द्वारा डोजियर जारी करने के तुरंत बाद एक अन्य वामपंथी प्लेटफॉर्म फेसबुक ने डोजियर को बैन कर दिया, ताकि इसके दर्शकों की संख्या सीमित हो सके। फेसबुक पर अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप करने और एक खास विचारधारा के राजनीतिक हित को आगे बढ़ाने के कई आरोप हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

असम की BJP सरकार ने गोमांस पर लगाया प्रतिबंध: बोले CM सरमा- रेस्टोरेंट-होटल में नहीं परोसा जाएगा, सावर्जनिक जगहों/कार्यक्रमों में नहीं खा सकेंगे

असम की बीजेपी सरकार ने गोमांस के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। रेस्तरां, होटलों और सार्वजनिक जगहों पर परोसा नहीं जाएगा।

फडणवीस ही ‘चाणक्य’, फडणवीस ही ‘चंद्रगुप्त’ भी: जिसके हाथ में पूरी चुनावी कमान, जिसे देख लोगों ने किया मतदान, जरूरी था उनका मुख्यमंत्री बनना

बीजेपी की दूसरी पीढ़ी के नेताओं की गिनती योगी आदित्यनाथ, हिमंता बिस्वा सरमा के साथ-साथ देवेंद्र फडणवीस का नाम लेने के बाद ही पूर्ण होगी।
- विज्ञापन -