Sunday, December 22, 2024
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सीरिया में अफगानिस्तान जैसा कब्जा, राष्ट्रपति असद की 24 साल की सत्ता छिनी-देश छोड़ भागे: जानिए जिन्हें सब बता रहे विद्रोही कौन हैं वे, अल कायदा और ISIS से रहे हैं HTS के लिंक

सीरिया में बीते लगभग 15 दिनों में हालात तेजी से बदले हैं। सीरिया के विद्रोही गुटों हयात उल शम्स अल तहरीर (HTS) और फ्री सीरियन आर्मी अथवा सीरियन नेशनल आर्मी (SNA) ने बीते लगभग एक सप्ताह में तेजी से देश के बड़े-बड़े शहरों पर कब्जा किया है। इसमें सबसे प्रमुख अलेप्पो शहर रहा है।

पश्चिम एशियाई देश सीरिया में असद सरकार का पतन हो गया है। रविवार (8 दिसम्बर, 2024) की सुबह विद्रोही गुटों के लड़ाके राजधानी दमिश्क में घुस गए हैं। सीरियाई सेना से उन्हें कोई ख़ास चुनौती नहीं मिल रही है। राष्ट्रपति बशर अल असद के देश छोड़ने की आशंका जताई गई है। बीते लगभग 5 दशक से चल रहे सीरिया में असद परिवार के शासन का अंत लगभग तय हो गया है। इस बीच सीरिया में जिन विद्रोहियों ने कब्जा किया है, उनके आतंकी लिंक को लेकर चिंताएँ जताई गईं हैं।

अभी सीरिया में क्या हो रहा?

सीरिया में बीते लगभग 15 दिनों में हालात तेजी से बदले हैं। सीरिया के विद्रोही गुटों हयात उल शम्स अल तहरीर (HTS) और फ्री सीरियन आर्मी अथवा सीरियन नेशनल आर्मी (SNA) ने बीते लगभग एक सप्ताह में तेजी से देश के बड़े-बड़े शहरों पर कब्जा किया है। इसमें सबसे प्रमुख अलेप्पो शहर रहा है। यह सीरिया का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। इसके बाद यह तेजी से दमिश्क की तरफ बढ़े हैं। यदि उनकी यही रफ़्तार रही तो वह अगले कुछ दिनों में दमिश्क पर पूरी तरह कब्जा जमा सकते हैं।

सीरियाई सेना इन विद्रोहियों के सामने लड़ने से कहीं-कहीं पीछे हट चुकी है। कई जगह पर उनकी लड़ाई इन गुटों के खिलाफ काफी कमजोर है। सीरिया में कुछ उसी तरह से परिस्थितियाँ बन रही हैं, जिस तरह से अगस्त, 2021 में अफगानिस्तान में बनी थीं। तब भी तालिबान के लड़ाके एक के बाद एक शहर पर कब्जा जमाते चले गए थे। सीरियाई राष्ट्रपति बसर अल असद के देश छोड़ने की भी इस बीच आशंका जताई गई है। विद्रोही गुटों ने ऐलान किया है कि बशर अल असद इस बीच अपने परिवार के साथ सीरिया छोड़ चुके हैं।

राष्ट्रपति असद के सीरिया छोड़ने सम्बन्धी पुष्टि अभी सरकार की तरफ से नहीं हुई है। बशर अल असद सीरिया छोड़ कर कहाँ गए हैं, अभी इसकी जानकारी नहीं है। सीरिया में असद सरकार का विरोध करने वाले गुट सड़कों पर आकर जश्न मना रहे हैं। वहीं दमिश्क पर लगभग कब्जा कर चुके गुट HTS ने कहा है कि वह ‘सामाजिक एकता’ बनाए रखेंगे। HTS ने जश्न में फायरिंग करने और सरकारी संस्थानों पर बलपूर्वक कब्जा करने से भी लड़ाकों को रोक दिया है। इस लड़ाई में शुरू में शामिल रहे ईरान और रूस की तरफ से अभी प्रतिक्रिया आना बाकी है।

कौन हैं सीरिया पर कब्जा जमाने वाले नए लड़ाके?

सीरिया में असद सरकार का तख्तापलट करने वाले प्रमुख विद्रोही समूह HTS और SNA ही हैं। यह दोनों विद्रोही गुट 2011 में अरब स्प्रिंग के बाद सामने आए थे। इनमें से HTS का नाम अल नुसरा फ्रंट था। इसने 2011 में असद सरकार के खिलाफ चालू हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के बाद जंग छेड़ दी थी। 2012 में HTS ने खुद को अल कायदा से जुड़ा हुआ बताया था। इसके ISIS से भी लिंक रहे हैं। 2016 तक इसने असद सरकार के खिलाफ भीषण लड़ाई लड़ी थी।

2016 में HTS के मुखिया अबू मोहम्मद अल जवालानी ने खुद को अल कायदा और ISIS से अलग बताया। उसने अल नुसरा को भंग कर दिया और इसे HTS नाम दिया। हालाँकि, इसके अधिकांश लड़ाके वही हैं जो पहले आतंकी थे। इस संगठन को वर्तमान में तुर्की का पूरा समर्थन हासिल है। वर्तमान में इसी के लड़ाके दमिश्क में घुस रहे हैं। यह संगठन 2016 के बाद से ही सीरिया का इदलिब प्रांत नियंत्रित कर रहा है। इस बार भी इसने लड़ाई यहीं से चालू की थी।

HTS पर मानवाधिकार उल्लंघन और बेगुनाहों के मारने के सैकड़ों आरोप हैं। भले ही इसने अपना नाम बदल लिया हो, इस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबन्ध अब भी लगे हुए हैं। यह कुर्दों के खिलाफ अब भी लड़ रहे हैं और उन पर अत्याचार कर रहे हैं। इस बीच HTS के मुखिया जुलानी ने अपने आतंकी संगठन की छवि बदलने और अपने आप को एक विद्रोही नेता दिखाने के पूरे प्रयास किए हैं। इस प्रयास में उसे पश्चिमी देशों की मीडिया का भी साथ मिल रहा है। जुलानी को 2013 में वैश्विक आतंकी घोषित किया गया था। उस पर करोड़ों का इनाम भी रखा गया था।

वहीं दूसरा गुट सीरियन नेशनल आर्मी है। जहाँ HTS एक संगठन की तरह है, SNA में कई सारे अलग-अलग विद्रोही गुट शामिल हैं। इसका गठन 2017 में हुआ था। इसका काम असद सरकार के खिलाफ लड़ने वालों को एक साथ लाना था। इसे भी तुर्की का पूरा समर्थन हासिल है। पहले इसका नाम फ्री सीरियन आर्मी हुआ करता था। इसमें भी अलग-अलग गुट शामिल थे। वर्तमान में इसमें लगभग 50,000 से अधिक लड़ाके शामिल बताए जाते हैं। SNA की HTS के साथ भी लड़ाई बताई जाती है।

क्यों गिर गई असद सरकार?

राष्ट्रपति बशर अल असद का परिवार बीते 5 दशकों से अधिक समय से सीरिया की सत्ता में रहा है। बशर अल असद के पिता हाफिज अल असद ने यहाँ सत्ता पर कब्जा जमाया था। वह 1971 में सीरिया के राष्ट्रपति बन गए थे। इसके बाद 2000 में बशर अल असद ने सत्ता संभाली। बशर अल असद को सबसे बड़ी चुनौती का सामना 2011 में करना पड़ा जब ट्यूनीशिया से सरकार विरोधी आंदोलन चालू हो गए। इसके बाद एक-एक करके अरब और अफ़्रीकी देशों में सरकारें गिरने लगीं।

बशर अल असद की सरकार इ खिलाफ भी हथियारबंद विद्रोह चालू हो गया। 2015 तक आते-आते उनकी स्थिति काफी कमजोर हो गई थी लेकिन रूस और ईरान के समर्थन से उनकी सरकार बच पाई। ईरान ने जहाँ सीरिया के भीतर हिजबुल्लाह के लड़ाके भेजे तो वहीं रूस ने भाड़े के लड़ाके भेजे। रूस ने विद्रोहियों, ISIS और बाकी लड़ाका समूहों के खिलाफ हवाई हमले किए। 2020 आते-आते असद ने सीरिया के अधिकांश हिस्सों पर अपना कब्जा जमा लिया था। हालाँकि, इदलिब जैसे कुछ प्रांत तब भी उनके शासन से बाहर रहे थे।

2024 में यह लड़ाई अक्टूबर माह में दोबारा छिड़ गई। हालाँकि, इस बार ईरान और रूस असद की सहायता नहीं कर पाए। जहाँ ईरान, इजरायल के साथ अपने संघर्ष को लेकर फंसा हुआ है, वहीं रूस यूक्रेन में उलझा हुआ है। ऐसे में बिना लड़ाकों और हवाई हमलों के HTS और SNA जैसे विद्रोही गुट बिना किसी प्रतिरोध के आगे बढ़ते गए।

भारत और अमेरिका समेत बाकी ने क्या कहा?

भारत हमेशा से ही सीरिया में चल रहे विवाद को लेकर बातचीत के समर्थन में रहा है। हाल ही में भारत ने अपने नागरिकों से कहा था कि वह जल्द से जल्द से सीरिया छोड़ दें। वहीं अमेरिका ने कहा है कि इस पूरे विवाद से उसका कोई लेना-देना नहीं है। हालाँकि, अमेरिका असद सरकार का विरोध ही करते आया है। फ्रांस और अमेरिका जैसे देश परोक्ष रूप से HTS और SNA के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं। वहीं तुर्की खुले तौर पर विद्रोहियों का समर्थन कर रहा है।

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अर्पित त्रिपाठी
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