Sunday, December 22, 2024
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18 साल के डी गुकेश वर्ल्ड चैंपियन: भारतीय की जीत पर बिलबिलाया गोरी चमड़ी वाला क्रेमनिक, उसी के देश वाले चेस-स्टार ने की बोलती बंद

डी गुकेश शतरंज की दुनिया के 18वें बादशाह बन गए हैं। वो सबसे कम उम्र के शतरंज चैंपियन हैं और विश्वनाथन आनंद के बाद चैंपियन बनने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी भी।

भारत के डी गुकेश महज 18 साल में ही शतरंज की दुनिया के नए बादशाह बन गए हैं। उन्होंने चैंपियन का ताज पहनने के लिए वर्ल्ड चैंपियन चीनी खिलाड़ी डिंग लिरेन को 7.5-6.5 से हराया। आखिरी बाजी एक समय ड्रा के लिए बढ़ रही थी, तभी डिंग लिरेन ने ऐसी गलती कर दी, जो शायद ही कोई बड़ा खिलाड़ी करता। उनकी इस गलती पर तुरंत ही डी गुकेश ने शिकंजा कस लिया और उन्हें हार के लिए मजबूर कर दिया। इसी के साथ डी गुकेश शतरंज की दुनिया के 18वें बादशाह बन गए। वो सबसे कम उम्र के शतरंज चैंपियन हैं और विश्वनाथन आनंद के बाद चैंपियन बनने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी भी।

बेहद कड़े मुकाबले में मिली जीत

डी गुकेश और डिंग लिरेन के बीच चैंपियन बनने की जंग 17 दिनों से चल रही थी, जो 14वें राउंड पर जाकर थमी। 13 राउंड तक दोनों खिलाड़ी 6.5-6.5 से बराबर थे, जिसमें दोनों ही खिलाड़ियों ने 2-2 राउंड जीते थे, तो बाकी के 9 मुकाबले ड्रॉ रहे थे। लिरेन ने पहली बाजी जीत कर बढ़त बनाई थी, तो गुकेश ने तीसरी बाजी में जीत हासिल की। 11वी बाजी गुकेश ने जीतकर बढ़त बनाई तो 12वीं बाजी में लिरेन ने जीत दर्ज कर बराबरी पाई और फिर 14वीं और आखिरी बाजी में गुकेश ने जीत दर्ज की। आखिरी बाजी 4 घंटे और 58 चालों तक चली, जो क्लासिकल शतरंज की मिसाल कहा जाएगा। हालाँकि आखिर में लिरेन ने घोड़ों को बदलने की जो गलती की, उसके बाद की तीसरी ही चाल में गुकेश ने उन्हें पराजय झेलने को मजबूर कर दिया।

वर्ल्ड चैंपियन रहे व्लादिमीर क्रेमनिक ने उठाई उंगली

दरअसल, शतरंज के मुकाबलों में छोटी-छोटी गलतियाँ अक्सर भारी पड़ जाती हैं। आखिरी बाजी में लिरेन की गलती ने उनसे वर्ल्ड चैंपियन का खिताब छीन लिया। अब इस चाल को व्लादिमीर क्रेमनिक (चैंपियन 2000-2007) ने बचकानी करार दिया है, साथ ही हैरानी जताई है कि इस सबसे छोटी गलती की वजह से लिरेन को हार झेलनी पड़ी। उन्होंने इसे ‘शतरंज का अंत’ तक करार दे दिया।

हालाँकि क्रेमनिक के दावों पर तुरंत ही सवाल भी उठ गए। लोगों ने उनके दूसरे ट्वीट पर कम्यूनिटी नोट भी जोड़ दिए। जिसमें बताया गया कि 1892 का फाइनल मुकाबला भी ऐसी ही एक गलती की वजह से हुआ था, जिसमें सिर्फ 2 मूव में ही मिखाइल चिगोरिन को हार झेलनी पड़ी थी।

बहरहाल, क्रेमनिक के दावों के तुरंत बाद ही 15 साल तक वर्ल्ड चैंपियन रहे गैरी कास्परोव (चैंपियन 1985-2000) सामने आए। उन्होंने डी गुकेश की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि गुकेश ने बेहद कम उम्र में ही सभी खिलाड़ियों को पीछे छोड़ दिया। वो पूरी तरह से तैयार थे। रही बात गलतियों की, तो उन्होंने साल 2014 के मैच की ओर ध्यान दिलाया, जब दुनिया के 2 सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों मैग्नन कार्लसन (चैंपियन-2013-23) और विश्ननाथन विश्ननाथन (चैंपियन-2007-2013) के मैच में 2-2 गलतियाँ हुईं थी।

11 साल की उम्र में देखा सपना, 18 में कर लिया पूरा

डी गुकेश ने महज 11 साल की उम्र में वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना देखा और 7 साल में ही पूरा भी कर लिया। दरअसल, 11 साल की उम्र में उन्होंने सबसे युवा विश्व चैंपियन बनने का सपना देखा था। गुकेश जब सिर्फ 11 साल 6 महीने के थे, तब चेस बेस इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वो बड़े होकर सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन बनना चाहेंगे। उन्होंने इसे सच साबित कर दिया है।

शतरंज विवादों का भी रहा है खेल

बता दें कि FIDE शतरंज चैंपियनशिप का आयोजन कराता है। कभी चैंपियनशिप को लेकर विवाद भी हुए थे। एक समय ऐसा भी था, जब 2 खिलाड़ी खुद को विश्व चैंपियन बताते थे। हालाँकि 2006 से ये विवाद किसी तरह खत्म हुए हैं। ये वही दौर था, जब क्रामनिक खुद को क्लासिक चैंपियन बताते थे। फिडे की लड़ाई के समय वो खुद को क्लासिकल चैंपियन बताते थे, यूनिफिकेशन के बाद उन्हें साल 2007 में विश्वनाथन आंनद ने हराया। एक भारतीय से लगातार हार का बदला अब वो डी-गुकेश पर उंगली उठाकर ले रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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