शिवसेना, कॉन्ग्रेस और एनसीपी की संयुक्त याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को फैसला सुनाएगा। तीनों दलों ने महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री और अजित पवार के उप मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने को शीर्ष अदालत में चुनौती दे रखी है। तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम के बीच फडणवीस और पवार ने शनिवार की सुबह शपथ ली थी।
रविवार को जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने सुनवाई याचिका पर सुनवाई की। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह सोमवार सुबह राज्यपाल का आदेश और फडणवीस की तरफ से उन्हें सौंपे गए समर्थन पत्र की कॉपी पेश करें।
Breaking: Supreme Court directs SG Tushar Mehta to produce the two letters –
— Bar & Bench (@barandbench) November 24, 2019
One by Governor inviting BJP to form govt, and
Second the letter of support placed by Fadnavis tomorrow.
Appropriate orders will be passed by the Court at 10.30AM tomorrow#SupremeCourt
इसके अलावा कोर्ट की तरफ से महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस, उप मुख्यमंत्री अजित पवार, केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार को भी नोटिस जारी कर जवाब माँगा गया है। तत्काल बहुमत परीक्षण पर पीठ ने कोई फैसला नहीं दिया।
Court also issues notice to Devendra Fadnavis, Ajit Pawar, UOI, and State of Maharashtra@Dev_Fadnavis @AjitPawarSpeaks #MaharashtraCM #MahaMasterstroke #MaharashtraGovtFormation
— Bar & Bench (@barandbench) November 24, 2019
कॉन्ग्रेस-शिवसेना-एनसीपी की तरफ से कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें पेश की। सिब्बल ने राज्यपाल पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि राज्यपाल सीधे तौर पर किसी राजनीतिक दल के आदेशों पर काम कर रहे है। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र में जो हो रहा है वैसा हमने पहले कभी नहीं देखा। जब हमने शाम में सरकार बनाने की घोषणा कर दी फिर फडणवीस को कैसे शपथ दिलाई गई। “
जस्टिस अशोक भूषण ने जब सिब्बल से पूछा कि राज्यपाल के समक्ष पत्र कब पेश किया गया था तो उन्होंने कहा कि इसके बारे किसी को जानकारी नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा, “अगर बीजेपी के पास बहुमत है, तो साबित करे, वरना हमें सरकार बनाने का अवसर दें।” कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कर्नाटक की तर्ज पर 24 घंटे के भीतर बहुमत परीक्षण कराने का आदेश देने की माँग की। उन्होंने कर्नाटक का हवाला देते हुए कहा कि राज्यपाल ने येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 19 दिनों का वक्त दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था।
जस्टिस एनवी रमन्ना ने सिंघवी से पूछा कि क्या वो यह कह रहे हैं कि राज्यपाल के सामने कोई मैटेरियल प्रस्तुत नहीं किया गया था, तो उन्होंने इसका जवाब ‘हाँ’ में दिया। अभिषेक मनु सिंघवी ने अजित पवार के उप मुख्यमंत्री बनने पर सवाल उठाते हुए कहा, “वो कैसे डिप्टी सीएम बन सकते हैं, जब 41 विधायक कह रहे हैं कि वो एनसीपी के साथ हैं और अब हम उन्हें (अजित पवार) एनसीपी नेता के तौर पर नहीं जानते।” सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि जोड़-तोड़ की राजनीति को रोकना जरूरी है, इसलिए जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट हो।
गौरतलब है कि राज्यपाल ने फडणवीस सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 30 नवंबर तक का वक्त दिया है। शिवसेना-एनसीपी-कॉन्ग्रेस के ‘महा विकास अघाड़ी’ ने अपनी याचिका में राज्य में 24 घंटे के भीतर बहुमत परीक्षण का आदेश देने की माँग की थी।