Sunday, September 8, 2024
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जनरल डायर की तरह लोगों पर गोली चलवा रहे अमित शाह: एनसीपी नेता नवाब मलिक

इससे पहले एनसीपी की सहयोगी और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने जामिया में पुलिस कार्रवाई को 1919 में जलियॉंवाला बाग में निहत्थों पर हुई गोलीबारी जैसा बताया था। साथ ही छात्रों को 'युवा बम' बताते हुए केंद्र सरकार को चेताया था।

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध के बहाने देश में कई जगहों पर हिंसा की गई है। इन घटनाओं के पीछे की साजिश भी धीरे-धीरे सामने आने लगी है। इनमें विपक्षी दल के नेताओं की संलिप्तता भी उजागर हुई है। जामिया में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है उसमें कॉन्ग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद खान का भी नाम है।

एक ओर विपक्षी नेता हिंसा करने वालों का बचाव करने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं, दूसरी ओर केंद्र सरकार और भाजपा नेताओं के खिलाफ विवादित टिप्पणी का सिलसिला भी जारी है। इस कड़ी में एनसीपी की मुंबई ईकाई के अध्यक्ष और विधायक नवाब मलिक ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तुलना अंग्रेज अफसर जनरल डायर से की है।

मलिक ने कहा है कि अमित शाह जनरल डायर की तरह देश के लोगों पर गोली चलवा रहे हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के उस बयान का भी समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने जामिया की घटना की तुलना जलियॉंवाला बाग में 1919 में निहत्थों पर हुई गोलीबारी से की थी। मलिक ने कहा, “जिस तरह जलियॉंवाला बाग में जनरल डायर ने लोगों पर गोली चलवाई थी, अमित शाह भी देश के लोगों पर ऐसे ही गोली चलवा रहे हैं। अमित शाह जनरल डायर से कम नहीं हैं।” उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे का वह बयान बिल्कुल सही था, जिसमें उन्होंने जामिया में पुलिस कार्रवाई को जलियॉंवाला जैसा बताया था।

ठाकरे ने कहा था कि जामिया में जो हुआ वह जलियॉंवाला बाग जैसा है। छात्र एक ‘युवा बम’ की तरह हैं। हम केंद्र सरकार से अपील कर रहे हैं कि वे छात्रों के साथ जो कर रहे हैं, वह ना करें। इस बयान को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि जामिया की घटना की जलियॉंवाला से तुलना कर उद्धव ठाकरे ने शहीदों का अपमान किया है।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में शिवसेना, कॉन्ग्रेस और एनसीपी की गठबंधन सरकार सत्ता में है। कॉन्ग्रेस के स्टैंड के विपरीत जाकर शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया था। हालॉंकि दबाव में वह राज्यसभा में बिल के पक्ष में मतदान से पीछे हट गई थी और मतदान के वक्त उसके सांसद सदन से बाहर निकल गए थे। इसके बाद से ही नागरिकता संशोधन कानून पर शिवसेना का स्टैंड पेंडुलम की तरह बना हुआ है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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