नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध के बहाने देश में कई जगहों पर हिंसा की गई है। इन घटनाओं के पीछे की साजिश भी धीरे-धीरे सामने आने लगी है। इनमें विपक्षी दल के नेताओं की संलिप्तता भी उजागर हुई है। जामिया में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है उसमें कॉन्ग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद खान का भी नाम है।
एक ओर विपक्षी नेता हिंसा करने वालों का बचाव करने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं, दूसरी ओर केंद्र सरकार और भाजपा नेताओं के खिलाफ विवादित टिप्पणी का सिलसिला भी जारी है। इस कड़ी में एनसीपी की मुंबई ईकाई के अध्यक्ष और विधायक नवाब मलिक ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तुलना अंग्रेज अफसर जनरल डायर से की है।
मलिक ने कहा है कि अमित शाह जनरल डायर की तरह देश के लोगों पर गोली चलवा रहे हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के उस बयान का भी समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने जामिया की घटना की तुलना जलियॉंवाला बाग में 1919 में निहत्थों पर हुई गोलीबारी से की थी। मलिक ने कहा, “जिस तरह जलियॉंवाला बाग में जनरल डायर ने लोगों पर गोली चलवाई थी, अमित शाह भी देश के लोगों पर ऐसे ही गोली चलवा रहे हैं। अमित शाह जनरल डायर से कम नहीं हैं।” उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे का वह बयान बिल्कुल सही था, जिसमें उन्होंने जामिया में पुलिस कार्रवाई को जलियॉंवाला जैसा बताया था।
Nawab Malik, NCP: The way General Dyer fired at the people in Jallianwala Bagh, Amit Shah is firing at citizens of the country in the same way. Amit Shah is no less than Dyer. What Uddhav ji said ("What happened at Jamia Millia Islamia, is like Jallianwala Bagh") is correct. pic.twitter.com/2F8o6wMoFE
— ANI (@ANI) December 18, 2019
ठाकरे ने कहा था कि जामिया में जो हुआ वह जलियॉंवाला बाग जैसा है। छात्र एक ‘युवा बम’ की तरह हैं। हम केंद्र सरकार से अपील कर रहे हैं कि वे छात्रों के साथ जो कर रहे हैं, वह ना करें। इस बयान को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि जामिया की घटना की जलियॉंवाला से तुलना कर उद्धव ठाकरे ने शहीदों का अपमान किया है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में शिवसेना, कॉन्ग्रेस और एनसीपी की गठबंधन सरकार सत्ता में है। कॉन्ग्रेस के स्टैंड के विपरीत जाकर शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया था। हालॉंकि दबाव में वह राज्यसभा में बिल के पक्ष में मतदान से पीछे हट गई थी और मतदान के वक्त उसके सांसद सदन से बाहर निकल गए थे। इसके बाद से ही नागरिकता संशोधन कानून पर शिवसेना का स्टैंड पेंडुलम की तरह बना हुआ है।