जेएनयू छात्र संगठन ने शरजील इमाम की गिरफ़्तारी की निंदा की है। जेएनयू छात्र संगठन ने ‘इस्लामोफ़ोबिक’ मोदी सरकार पर मुस्लिमों को निशाना बनाने और विरोधी आवाज़ों को दबाने का आरोप लगाया। जेएनयू छात्र संगठन ने कहा कि वो शरजील इमाम के साथ मजबूती से खड़ा है। बता दें कि महात्मा गाँधी को सबसे बड़ा फासिस्ट नेता बताने वाले शरजील इमाम ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकेन्स नेक) को ठप्प कर के पूरे उत्तर-पूर्वी भारत को शेष भारत से काट देने की बात की थी। उसे जहानाबाद की एक मस्जिद से गिरफ़्तार किया गया। उसके ख़िलाफ़ राजद्रोह का मुक़दमा चलाया जाएगा।
जेएनयू छात्र संगठन ने कहा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर के ख़िलाफ़ बयान देने के लिए शरजील पर यूएपीए के तहत कार्रवाई की जा रही है। संगठन ने आरोप लगाया कि शरजील पर ‘अँग्रेजों के ज़माने के निष्ठुर क़ानून’ के तहत सज़ा दी जा रही है। संगठन ने आरोप लगाया कि सीएए और एनआरसी के कारण लाखों लोग बेदखल हो जाएँगे और उनके अधिकार छीन लिए जाएँगे। जेएनयू छात्र संगठन ने आरोप लगाया कि मुस्लिमों को सरकार बेशर्मी से निशाना बना रही है।
जेएनयू छात्र संगठन ने लिखा, “शरजील उस अल्पसंख्यक मुस्लिम पहचान का नेतृत्व करते हैं, उसे तो निशाना बनाया ही जा रहा है और इसके लिए विरोधी और दबे हुए तबके की आवाज़ को कुचलने वाले क़ानून का इस्तेमाल किया जा रहा है।” छात्र संगठन ने आरोप लगाया कि सरकार अपनी मशीनरी का इस्तेमाल कर के उन मुस्लिमों को बदनाम कर रही है, जो उसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं। जेएनयूएसयू ने मीडिया के प्रति भी गुस्से का इजहार किया और आरोप लगाया कि मीडिया अलग ट्रायल कर के सरकार का साथ दे रही है।
जेएनयू छात्र संगठन शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों की छवि को लेकर भी चिंतित है। उसने अपने बयान में आरोप लगाया कि संबित पात्रा व भाजपा से जुड़े अन्य लोगों ने शरजील इमाम की वीडियो की एडिट की हुई क्लिप्स को ग़लत सन्दर्भ में पेश किया और उसे बदनाम किया।
संगठन ने दावा किया कि कई मीडिया नेटवर्क्स को भी शरजील को बदनाम करने के काम में लगाया गया है। इस बयान पर जेएनयू छात्र संगठन के 145 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। बता दें कि जेएनयू छात्र संगठन के अधिकतर महत्वपूर्ण पदों पर वामपंथियों का कब्जा है।