दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) ने एक बार फिर से सरकार बना ली है। अरविंद केजरीवाल ने रविवार (फरवरी 16, 2020) को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालाँकि दिल्ली चुनाव में AAP की इस ऐतिहासिक जीत से कॉन्ग्रेस में काफी हलचल मची हुई है। पार्टी के कुछ नेता जहाँ केजरीवाल को बधाई दे रहे हैं, तो वहीं कुछ नेता आपस में ही उलझते दिख रहे हैं।
इसी कड़ी में महाराष्ट्र कॉन्ग्रेस के नेता मिलिंद देवड़ा ने देर रात ट्वीट कर अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की तारीफ की, जिसके बाद अजय माकन ने उन्हें जवाब देते हुए कहा कि अगर आपको पार्टी छोड़नी है, तो बेशक छोड़ सकते हैं।
Sharing a lesser known & welcome fact — the @ArvindKejriwal-led Delhi Government doubled its revenues to ₹60,000 crore & maintained a revenue surplus over the last 5 years.
— Milind Deora मिलिंद देवरा (@milinddeora) February 16, 2020
Food for thought: Delhi is now one of India’s most fiscally prudent governments pic.twitter.com/bBFjbfYhoC
कॉन्ग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने रविवार देर रात को एक ट्वीट किया। जिसमें उन्होंने दिल्ली सरकार के द्वारा रेवेन्यू के मोर्चे पर काम की तारीफ की। उन्होंने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “एक ऐसी जानकारी साझा कर रहा हूँ जो कि बहुत कम लोग जानते हैं और यह स्वागत करने योग्य भी है। केजरीवाल सरकार ने पिछले पाँच साल में रेवेन्यू को डबल कर दिया है और अब ये 60 हजार करोड़ रुपए तक पहुँच गई है। दिल्ली अब भारत का सबसे आर्थिक रूप से सक्षम राज्य बन गया है।”
Brother,you want to leave @INCIndia-Please do-Then propagate half baked facts!
— अजय माकन (@ajaymaken) February 16, 2020
However,let me share even lesser know facts-
1997-98-BE (Revenue) 4,073cr
2013-14-BE (Revenue) 37,459cr
During Congress Govt Grew at 14.87% CAGR
2015-16 BE 41,129
2019-20 BE 60,000
AAP Gov 9.90% CAGR
अजय माकन ने मिलिंद देवड़ा को जवाब देते हुए दिल्ली में कॉन्ग्रेस और आम आदमी पार्टी की सरकार के दौर के तुलनात्मक आँकड़े पेश किए। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “भाई, यदि आप कॉन्ग्रेस छोड़ना चाहते हैं तो कृपया छोड़ दें। उसके बाद इस तरह के कच्चे-पक्के, आधे-अधूरे तथ्यों का आराम से फैलाइए। चलिए मैं तथ्य पेश करता हूँ, जिसके बारे में काफी कम लोगों को पता है। 1997-98 (रेवेन्यू) 4,073 करोड़, 2013-14 (रेवेन्यू) 37,459 करोड़। कॉन्ग्रेस के शासन के दौरान 14.87% राजस्व में बढ़ोतरी हुई। 2015-2016 (रेवेन्यू) 41,129, वहीं 2019-20 (रेवेन्यू) 60,000। AAP सरकार के दौरान 9.90% रेवेन्यू बढ़ा।”
Brother, I would never undermine Sheila Dikshit’s stellar performance as Delhi CM. That’s your specialty.
— Milind Deora मिलिंद देवरा (@milinddeora) February 17, 2020
But it’s never too late to change!
Instead of advocating an alliance with AAP, if only you had highlighted Sheila ji’s achievements, @INCIndia would’ve been in power today https://t.co/aiZYdizdUL
अजय माकन के ट्वीट पर पलटवार करते हुए मिलिंद देवड़ा ने उनके राजनीतिक मंशे पर ही सवाल खड़े कर दिए। मिलिंद ने कहा, “अगर आपने AAP के संग गंठबंधन की वकालत के बजाय शीला दीक्षित (जिनके कामों पर आपने हमेशा निशाना साधा) के कामों को जनता के बीच ले जाते तो आज हम सत्ता में होते।”
वहीं पहली बार चुनाव लड़ने वाली युवा कॉन्ग्रेस नेता राधिका खेड़ा ने भी मिलिंद देवड़ा के ट्वीट पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वो पहली बार पार्टी की उम्मीदवार बनकर मैदान में उतरीं और उन्हें अपने वरिष्ठ नेताओं के इस रवैये काफी दुख हुआ कि वो अपनी पार्टी को बेहतर करने के लिए प्रोतत्साहित करने की बजाए AAP की शाबाशी देने में व्यस्त हैं! दिल्ली में यह सरप्लस 1994 से चलता आ रहा है। 2011 में शीला दीक्षित के समय में यह चरम पर पहुँचा।
As a young first time contestant I find this extremely disappointing from our senior leaders, who instead of encouraging our own party to do better are busy patting AAP’s back!
— Radhika Khera (@Radhika_Khera) February 16, 2020
Food for thought: Delhi has run a surplus since 1994, this peaked in 2011 under Sheila Ji. https://t.co/v1qp2vzTeq
गौरतलब है कि इससे पहले पी चिदंबरम और अधीर रंजन चौधरी जैसे वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता भी AAP की जीत पर खुशी जता चुके हैं। चौधरी कहा था कि बीजेपी और उसके सांप्रदायिक मुद्दों के खिलाफ AAP की जीत महत्वपूर्ण है। नतीजे आने से पहले अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि अगर इस चुनाव में केजरीवाल जीतते हैं तो ये विकास के मुद्दों की जीत होगी। वहीं चिदंबरम की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी ही पार्टी के शीर्ष नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कई सवाल उठाए थे।
बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है। साल 2015 की तरह इस बार भी कॉन्ग्रेस दिल्ली में एक भी सीट हालिस नहीं कर सकी है। वहीं इस बार कॉन्ग्रेस का वोट प्रतिशत भी घटा है।