जब इंसान का जीवन प्रपंच रचने और विरोधी विचारधारा को आईटी सेल साबित करने तक सीमित हो जाए तो वह रवीश कुमार हो जाता है। इसका एक ताजा उदाहरण स्वयं रवीश कुमार ने ही आज फिर दिया है। कल ऑपइंडिया ने NDTV के एक पत्रकार विष्णु सोम के डेस्क पर रखी आतंकवादी ओसामा बिन लादेन की प्रतिमा पर एक रिपोर्ट की थी। इस रिपोर्ट ने रवीश कुमार को परेशान कर दिया, बहुत परेशान! इतना कि उन्हें इस पर साहित्य लिखने पर विवश कर दिया।
इसके बाद रवीश कुमार आदतन अपने फेसबुक पेज, जिस पर अक्सर वो ‘प्राइम टाइम लोकपत्र सम्भाग’ में मिली चिट्ठियों के व्हाट्सएप स्क्रीनशॉट लगाया करते हैं, पर इस घटना पर साहित्य लिखते देखे गए। लेकिन जल्द ही यह आभास होने पर कि वह प्रतिमा वास्तव में ओसामा बिन लादेन की ही थी, ‘हमेशा सही होने’ की आदत वाले रवीश अपने पोस्ट को फ़टाफ़ट एडिट कर के अपने प्रोपेगेंडा के जरिए सही साबित करते नजर आए।
रवीश कुमार ने पोस्ट की सबसे पहली कॉपी में लिखा था कि आईटी सेल ओसामा बिन लादेन की फोटो को फोटोशोप कर के NDTV की छवि ख़राब करने का प्रयास करता है। तब तक भी शायद रवीश कुमार सतर्क नहीं थे कि यह फोटोशोप नहीं बल्कि वास्तव में उन्हीं के समाचार चैनल के एक पत्रकार की डेस्क पर रखी हुई प्रतिमा है।
रवीश के पोस्ट से पहले विष्णु सोम ने खुद दिया था स्पष्टीकरण
विष्णु सोम करीब दो दशक से एनडीटीवी में बतौर डिफेंस जर्नलिस्ट काम कर रहे हैं। ट्विटर पर विष्णु सोम ने ऑपइंडिया को जवाब देते हुए बताया कि यह रूसी गुड़िया मात्र्योष्का (Russian Matryoshka doll) है जो कि ऑनलाइन भी उपलब्ध है। उन्होंने ट्वीट के जरिए बताया कि कुछ साल पहले ही उन्होंने मॉस्को की ही एक रोड स्क्वायर पर इसे खरीदा था। साथ ही बताया कि उन्हें यह पूरी तरह विचित्र लगा कि विश्व के नंबर वन दुश्मन का खिलौना क्रेमिलन के बाहर बेचा रहा है। विष्णु सोम अपने ट्वीट में ऑनलाइन लिंक भी दिया, जहाँ विश्व के तानाशाहों के खिलौने बेचे जाते हैं।
हालाँकि, विष्णु सोम के स्पष्टीकरण पर कुछ लोगों ने यह भी जवाब दिया कि हर किसी के अपने नायक और भगवान होते हैं और वो भी अपनी डेस्क पर अपने भगवान की मूर्ती रखते हैं।
रवीश कुमार ने देर से ही सही लेकिन मामले को समझते हुए तुरंत अपने पोस्ट को अपडेट कर के सारा दोष आईटी सेल के उपर आरोपित करते हुए विष्णु सोम के बचाव में लिखा कि अमेरिका ने भी तो तालिबान से समझौता किया है। लेकिन यह नहीं बताया कि यह कहकर वो साबित क्या करना चाहते थे। पोस्ट की समाप्ति से पहले रवीश कुमार ने लिखा कि आपको ही तय करना है कि आप किसके द्वारा मूर्ख बनाए जाते हैं। अभी तक भी रवीश अस्पष्ट ही नजर आए। हालाँकि, पोस्ट में पहले रवीश कुमार लादेन कि फोटो को फोटोशोप बता रहे थे। अंत में रवीश कुमार ने पाठकों के लिए नोट में लिखा कि यह पोस्ट अब अपडेट कर ली गई है।
स्पष्ट दिखता है कि सिर्फ सही होने के लिए रवीश कुमार के लिए शब्दों में उचित हेर-फेर कर के अपने पूर्वग्रहों को ही सही साबित कर देना कितना आसान है। अक्सर ऐसे ही अस्वीकरण और नोट रवीश कुमार अपने ब्लॉग के आखिर में नेता और अन्य राजनीतिक हस्तियों पर आरोप लगाने के बाद लगाते देखे जाते हैं, जिसमें लिखा होता है कि इस लेख कि प्रमाणिकता कुछ नहीं है और मात्र व्यक्तिगत राय है।
रवीश कुमार द्वारा किए गए मूल पोस्ट और गलती का आभास होने पर किए गए एडिट्स की क्रोनोलॉजी आप इन स्क्रीनशॉट्स में देख सकते हैं। आखिरकार पाँचवीं बार में इस पोस्ट को फाइनल कर लिया गया। स्क्रीनशॉट की क्रोनोलॉजी में आप देख सकते हैं कि हर दूसरे ‘एडिट’ के बाद पोस्ट में ‘ज्ञान’ की मात्रा बढ़ते हुए, यानी आरोही क्रम में है –
हाल ही में रवीश कुमार एनडीटीवी में अपने प्राइम टाइम में दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों में आठ राउंड फायरिंग करने वाले शाहरुख की पहचान पर लोगों को गुमराह करने किए लिए उसे अनुराग मिश्र बताते भी पकड़े गए थे। उसके ठीक बाद अनुराग मिश्रा नाम के उस युवक को अपनी फेसबुक आईडी से पोस्ट कर के यह साबित करना पड़ा कि लोग बेवजह उसकी फोटो इस्तेमाल कर रहे हैं और वह शाहरुख़ नहीं है। अनुराग मिश्रा ने उस पर बेवजह आरोप लगाने वालों पर FIR करने की भी धमकी दी थी।
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