Saturday, November 23, 2024
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विनम्र होकर महिलाओं से माफ़ी माँगिए राहुल गाँधी

राष्ट्रीय महिला आयोग ने राहुल को नोटिस भेजते हुए कहा है कि उनकी टिप्पणी महिला-विरोधी, आक्रामक, अनैतिक है तथा सामान्य रूप से महिलाओं के मान एवं प्रतिष्ठा के विरुद्ध असम्मान ज़ाहिर करती है।

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के ताजा बयान महिलाओं के प्रति उनकी छोटी सोच को दर्शाते हैं। वैसे ये इतिहास में पहली बार नहीं है, जब राहुल गाँधी ने सार्वजनिक तौर पर ऐसी गलतियाँ की हैं। इस से पहले वो अलग-अलग तौर-तरीकों से ऐसी कई हरकतें कर चुके हैं जिस से उनकी पार्टी और पार्टी के नेताओं को उनका बचाव करने में भी शर्मिंदगी महसूस हुई है। लेकिन उनकी हर एक फूहड़ हरकत का बचाव करने के लिए टीवी पर प्रवक्ताओं की टोली खड़ी रहती है। लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ है। राहुल गाँधी अक्सर झूठ बोलते रहे हैं, अपने द्वारा गिनाए जाने वाले आँकड़ों को बार-बार बदलते रहे हैं, संवेदनशील मौकों पर भी ग़ैर -ज़िम्मेदाराना ढंग से मुस्कराते रहे हैं, गली के छिछोड़ों की तरह संसद में आँख मारते रहे हैं, लेकिन इस बार उन्होंने ट्रेंड से थोड़ा सा शिफ्ट किया है।

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री धरम सिंह के निधन के बाद शोक प्रकट करने गए राहुल गाँधी उनकी पत्नी के सामने मुस्कराते हुए।

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष ने 9 जनवरी को एक बयान देते हुए कहा कि 56 इंच वाले मोदी को एक महिला के पीछे छिपना पड़ा। राहुल गाँधी ने जयपुर की एक चुनावी सभा में कहा;

राफेल पर 56 इंच के सीने वाले प्रधानमंत्री जवाब नहीं दे पाए और उन्होंने एक महिला को आगे कर दिया। उन्होंने निर्मला सीतारमण से कहा कि आप मेरी रक्षा करो, मैं खुद अपनी रक्षा नहीं कर सकता।”

बयान के मायने और सन्दर्भ

राहुल गाँधी के इस बयान के कई मायने निकाले जा सकते हैं लेकिन उन सभी के पीछे उनकी एक ही सोच दिखती है और वो है महिलाओं के प्रति उनका छोटा नजरिया। ये नजरिया इतना ओछा है, इतना महिलाविरोधी है कि इसका हर एक महिला और महिलाधिकार के लिए लड़ने वाले संगठन को विरोध करना चाहिए। राहुल गाँधी के इस बयान का किसी भी फेमिनिस्ट और लिबरल व्यक्ति को इसीलिए विरोध करना चाहिए क्योंकि ये बयान किसी गली-मोहल्ले के नेता का नहीं बल्कि देश की सबसे पुरानी पार्टी के मुखिया का है। इस बयान के लिए उस हर एक व्यक्ति को आपत्ति जतानी चाहिए, जो महिला-पुरुष समानता की बातें करता है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि क्या ऐसा होगा? इस से पहले आइए जानते हैं कि आखिर राहुल गाँधी के बयान के क्या अर्थ निकलते हैं और उसका सन्दर्भ क्या था।

दरअसल, देश की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने 4 जनवरी को संसद में एक भाषण दिया जिसमें उन्होंने राहुल गाँधी द्वारा राफेल पर पूछे गए हर एक सवाल का बिंदुवार जवाब दिया और कॉन्ग्रेस पार्टी की एक तरह से धज्जियाँ उड़ाते हुए उनके सारे झूठे दावों की पोल खोल दी। निर्मला सीतारमण भाजपा की प्रवक्ता रही हैं और न्यूज़ चैनल पर चर्चाओं में उनकी वाक्पटुता और विषयों पर उनकी पकड़ के कारण बड़े-बड़े नेता भी उनसे उलझने से पहले बड़ी तैयारियाँ कर के आया करते थे। ऐसे में अपनी ट्विटर टीम के बलबूते फलने-फूलने वाले राहुल गाँधी उनसे उलझ गए। परिणाम प्रत्याशित रहा और संसद में रक्षा मंत्री ने राहुल गाँधी की बखिया उधेड़ दी।

भाजपा की प्रवक्ता रही निर्मला सीतारमण अपनी वाक्पटुता और विषयों पर अपनी पकड़ के कारण जानी जाती हैं।

लेकिन राहुल गाँधी तो राहुल गाँधी हैं। उन्होंने निर्मला सीतारमण के फैक्ट्स और आँकड़ों से सजे डेढ़ घंटे लम्बे भाषण को एक लाइन में ख़ारिज करते देर नहीं लगाई। उन्होंने ट्विटर पर फिर से वही सब प्रश्नों की झड़ी लगा दी, जिसका बिंदुवार जवाब सीतारमण ने संसद में दिया था। लेकिन मुद्दा यह नहीं है। ये तो सिर्फ राहुल द्वारा जयपुर में दिए गए बयान के पीछे का बैकग्राउंड था। मुद्दा ये है कि राहुल ने जयपुर की जनसभा में क्या कहा और क्यों कहा।

महिलाओं के प्रति राहुल का ओछा नजरिया

राहुल गाँधी कहते हैं कि प्रधानमंत्री ने एक ‘महिला’ को आगे कर दिया। अगर राहुल इसके बजाय ये भी कहते कि पीएम ने एक ‘केंद्रीय मंत्री’ को आगे कर दिया तो ये चल जाता क्योंकि केंद्रीय मंत्री प्रधानमंत्री के मातहत काम करते हैं। अगर राहुल गाँधी ये भी कहते तो चल जाता कि पीएम अपनी पार्टी के नेताओं के पीछे छिप रहे हैं। लेकिन उन्होंने जो कहा वो एक बेहूदा औरसेक्सिस्ट बयान था। राहुल के इस बयान से झलकता है कि किसी भी पुरुष द्वारा किसी महिला को आगे करना सही नहीं है क्योंकि पुरुष मजबूत होते हैं और महिलाएँ कमजोर होती हैं। राहुल का यह महिलाविरोधी बयान उनके इस सोच को दर्शाता है कि एक महिला को आगे आने का हक़ नहीं है, एक महिला किसी पुरुष की जगह कभी नहीं ले सकती।

आश्चर्य यह कि राहुल के इन बयानों का खुद को फेमिनिस्ट और लिबरल कहने वाले लोगों के एक बड़े वर्ग द्वारा किसी भी प्रकार का विरोध नहीं किया गया, ना ही उनसे माफ़ी मांगने की मांग की गई। और जैसा कि प्रत्याशित था, राहुल अपने इस बयान के लिए माफ़ी मांगना तो दूर, उलटा इसके बचाव में खड़े हो गए। राहुल गाँधी के बयान का तात्पर्य है कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक ‘महिला’ से कहा कि आप मेरी रक्षा करो। इस बेतुके बयान को लेकर राहुल गाँधी से पूछा जाना चाहिए कि क्या एक महिला इतनी कमजोर होती है कि वो किसी की रक्षा या किसी के बचाव के लिये आगे नहीं आ सकती? हालाँकि राहुल के इन दावों में कोई सच्चाई नहीं है कि प्रधानमंत्री ने निर्मला सीतारमण से कहा कि आप मेरी रक्षा करो, रक्षा मंत्री ने राहुल के सवालों का जवाब दिया क्योंकि ये उनके मंत्रालय से सम्बन्धित था। राहुल गाँधी पर यह सवाल भी दागा जाना चाहिए कि अगर कोई पुरुष किसी महिला को अपना बचाव करने को कहे तो क्या उसे हीन दृष्टि से देखा जाना चाहिए?

एक गलती के बचाव में दूसरी गलती करने का नाम हैं राहुल गाँधी

कहते हैं, व्यक्ति गलतियों से सीखता हैं। अखंड भारत के सूत्रधार चाणक्य ने कहा था कि समझदार व्यक्ति दूसरों की गलतियों से सीखते हैं क्योंकि आपकी अपनी ज़िंदगी इतनी छोटी है कि आप सारी गलतियाँ कर के उनसे सीखने में अपना समय नहीं गंवा सकते। राहुल गाँधी का किस्सा एकदम उलट है क्योंकि उन्होंने सारी गलतियाँ करने की ठानी है। इतना ही नहीं, उन्होंने सभी गलतियों को ज्यादा से ज्यादा दोहराने का ट्रेंड भी पाल रखा है। सोने पे सुहागा तो ये कि उनके द्वारा दोहराई गई इन गलतियों के बचाव के लिए न्यूज़ चैनलों पर प्रवक्ताओं की एक पूरी फ़ौज खड़ी रहती है। इस मामले में भी राहुल गाँधी ने यही ट्रेंड अपनाया और इसका बचाव करते हुए एक दूसरी गलती की।

जैसा कि सभी लोग वाकिफ़ हैं, हमे दो राहुल गाँधी देखने को मिलते हैं। एक वो हैं जिन्हें मानसरोवर यात्रा से वापस आने के बाद भी उसके बारे में कुछ नहीं पता होता, और दूसरे वो जिन्हें सब कुछ पता होता है- यहाँ तक कि मानसरोवर में खींचे गए चित्र की विवेचना भी वो इस तरह से कर सकते हैं, जो उनके राजनीतिक एजेंडे में भी फिट बैठ जाए। एक वो जिन्हें NCC के बारे में भी कुछ जानकारी नहीं होती और दूसरे वो जिन्हें सेना द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले फाइटर जेट की भी बारीकियाँ पता होती हैं। एक वो जो विदेशों में छुट्टियाँ मनाते हैं और दुसरे वो जो किसानों के हितैषी होने का दावा करते हैं। जी हाँ, अब तक आप समझ गए होंगे कि पहले वाले वो राहुल गाँधी हैं, जो रियल वर्ल्ड में पाए जाते हैं जबकि दूसरे वाले वो हैं जो वर्चुअल वर्ल्ड में मिलते हैं। इसका अर्थ ये कि वो सिर्फ ट्विटर पर मिलते हैं।

लेकिन ये भी जानने लायक बात है कि पहले वाले राहुल गाँधी अगर एक गलती करते हैं तो दूसरे वाले उनके बचाव में दूसरी गलती करते हैं। अगले चरण में कुछ यूं हुआ कि दूसरे वाले राहुल गाँधी ने पहले के बचाव में ट्वीट किया। इस ट्वीट में वो खुद से ही प्रतिस्पर्धा कर रहे थे। इस ट्वीट में दिए गए उनके बयान जयपुर में उनके द्वारा कहे गए महिला-विरोधी शब्दों के साथ प्रतियोगिता कर रहे थे। इस ट्वीट में राहुल गाँधी ने कहा;

पुरुष बनें और मेरे सवालों का जवाब दें।

क्यों चुप हैं लैंगिक समानता के स्वयंभू ठेकेदार

राहुल के ये बयान पितृसत्तात्मकता की सारी हदें पार कर जाते हैं। याद हो कि जब ट्विटर के CEO जैक के हाथ में ‘smash Brahminical Patriarchy’ लिखा पोस्टर देकर महिलाधिकारों और सामाजिक समानता के कुछ स्वयंभू ठेकेदारों ने फोटोशूट कराया था, तब राहुल की कॉन्ग्रेस पार्टी ने इसका समर्थन किया था। वो अलग बात है कि समानता के लिए लड़ने का दावा करने वाले ये स्वयंभू ठेकेदार आज राहुल के इस बयान को लेकर उनसे सवाल नहीं पूछ रहे क्योंकि ये उनके एजेंडे को सूट नहीं करता है। पितृसत्ता को बिना किसी डाटा या सबूत के सिर्फ व्यक्तिगत विचारों के आधार पर जाति के दायरे में बाँधने वाले ठेकेदारों ने राहुल गाँधी के इन बयानों को नजरअंदाज़ कर दिया।

महिलाओं के प्रति ऐसी सोच रखना राहुल की गलती है। अपनी इस सोच को बार-बार ज़ाहिर करना उस से भी बड़ी गलती है। और, अपनी इन गलतियों का बचाव करना, माफ़ी तक नहीं माँगना- ये सबसे बड़ी गलती है। लेकिन राहुल की इन गलतियों से भी बड़ी गलती वो लोग कर रहे हैं, जो इन सबके बावजूद सब कुछ देख-सुन कर भी चुप हैं क्योंकि इस पर बोलना उनके नैरेटिव के ख़िलाफ़ हो जाता है।

ख़ैर, राष्ट्रीय महिला आयोग ने राहुल की टिप्पणी का संज्ञान लिया है और उन्हें नोटिस भेजते हुए कहा है कि उनकी टिप्पणी महिला-विरोधी, आक्रामक, अनैतिक है तथा सामान्य रूप से महिलाओं के मान एवं प्रतिष्ठा के विरुद्ध असम्मान ज़ाहिर करती है।

अब देखना यह है कि मोदी से ‘कड़े सवाल’ पूछने की हिमाक़त करने वाला स्वयंभू ठेकेदारों का वर्ग कब जागता है।

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अनुपम कुमार सिंह
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भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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