Saturday, November 23, 2024
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सोशल मीडिया पर चुनाव आयोग सख़्त, नेताओं के अकाउंट्स पर रहेगी नज़र – दिशा-निर्देश जारी

चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त एक्सपर्ट्स फेक न्यूज़ की पहचान करेंगे, जिसके बाद आयोग उचित निर्णय लेगा। इसके अलावा राजनीतिक दल व नेतागण अपने सोशल मीडिया अकाउंट से ऐसे पोस्ट नहीं डाल सकेंगे, जिससे चुनावी प्रक्रिया में बाधा पहुँचे।

चुनाव आयोग ने आगामी लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान सोशल मीडिया के प्रयोग को लेकर भी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस दौरान चुनाव आयोग फेसबुक, ट्विटर सहित तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पैनी नज़र रखेगा। राजनीतिक पार्टियों व उम्मीदवारों द्वारा सोशल मीडिया पर किए जा रहे विज्ञापन भी अब उनके चुनावी ख़र्च में शामिल होंगे। नेता व राजनीतिक दलों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर विज्ञापन जारी करने से पहले चुनाव आयोग से उसका सत्यापन कराना होगा। अर्थात, अब सोशल मीडिया पर असत्यापित विज्ञापन पोस्ट करने पर आयोग कार्रवाई करेगा। इसके अलावा चुनाव प्रचार के लिए सेना के जवानों के फोटोज भी इस्तेमाल नहीं किए जा सकेंगे। इतना ही नहीं, फेक न्यूज़ पर भी चुनाव आयोग की कड़ी नज़र रहेगी।

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने इस बाबत अधिक जानकारी देते हुए कहा:

“ज़िला और राज्य स्तर पर MCMC (मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनिटरिंग कमिटी) सक्रिय हैं। प्रत्येक स्तर पर एक सोशल मीडिया एक्सपर्ट भी इस कमिटी का हिस्सा होगा। राजनीतिक विज्ञापनों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से पहले MCMC से प्रमाणित करवाना होगा।”

नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, नामांकन के वक़्त ही उम्मीदवारों को अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स का पूरा विवरण पेश करना पड़ेगा। चुनाव आयोग उम्मीदवारों व राजनीतिक पार्टियों के फेसबुक, ट्विटर, गूगल व व्हाट्सऐप एकाउंट्स पर निगरानी रखेगा। आदर्श आचार संहिता के प्रावधान अब सोशल मीडिया पर भी लागू होंगे। राजनीतिक दलों व नेताओं को सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट करते समय आचार संहिता के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखना पड़ेगा। चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त एक्सपर्ट्स फेक न्यूज़ की पहचान करेंगे, जिसके बाद चुनाव आयोग उचित निर्णय लेगा। इसके अलावा राजनीतिक दल व नेतागण अपने सोशल मीडिया अकाउंट से ऐसे पोस्ट नहीं डाल सकेंगे, जिससे चुनावी प्रक्रिया में बाधा पहुँचे।

वे ऐसा कोई पोस्ट नहीं डाल सकते, जिस से सामाजिक या धार्मिक सद्भावना बिगड़ने की नौबत आए या सार्वजनिक व्यवस्था पर कोई बुरा असर पड़े। बता दें कि रानजीतिक दलों व उम्मीदवारों को चुनाव आयोग के समक्ष प्रचार-प्रसार के दौरान हुए व्यय का ब्यौरा प्रस्तुत करना होता है। अब सोशल मीडिया पर किया गया प्रचार-प्रसार और विज्ञापन का ख़र्च भी इसी विवरण में शामिल होगा। इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को दिए गए रुपए से लेकर वेबसाइट्स पर दिए गए विज्ञापन तक के ख़र्च इसमें शामिल होंगे। इसके अलावा पार्टी के लिए विज्ञापन कंटेंट बनाने वाली टीम की सैलरी भी इसी ख़र्च में जुड़ेगी।

केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी से इस सम्बन्ध में बात करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर ‘पॉलिटिकल एडवर्टाइजमेंट’ को रेगुलेट करने के लिए चुनाव आयोग ने जो दिशा-निर्देश और आचार संहिता लागू की है, उसको हम भी मानेंगे और सभी को मानना चाहिए। लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया का एंटी-सोशल इस्तेमाल न हो, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। कॉन्ग्रेस ने कहा कि आयोग को ये दिशा-निर्देश बहुत पहले ही जारी करने चाहिए थे। उम्मीदवारों के अलावा ऐसे अन्य लोगों को पर भी कार्रवाई की जाएगी, जो गलत तरीके से फोटोज से साथ छेड़छाड़ करते हैं या फिर आपत्तिजनक पोस्ट्स पर कमेंट करते हैं। देश में आम चुनाव 11 अप्रैल से शुरू होंगे। यूपी, बिहार व बंगाल में सभी 7 चरणों में चुनाव होंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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