पंजाब के रूपनगर में मई 17, 2020 को ‘श्री मुनि देशम आश्रम’ में अवधूत अखाड़ा के 85 वर्षीय संत महा योगेश्वर महात्मा की लाश मिली थी। बताया गया था कि एक सप्ताह पहले ही उनकी हत्या कर दी गई थी, जिस कारण उनका मृत शरीर क्षत-विक्षत हो गया था। इसके बाद डेड बॉडी को जाँच के लिए फॉरेंसिक विभाग में ले जाया गया लेकिन अभी तक कुछ अता-पता नहीं है कि जाँच में क्या निकला। और न ही 21 दिनों तक उनके शिष्यों को उनकी डेड बॉडी मिली।
क्या कहना है विभिन्न संगठनों का?
विभिन्न संगठनों ने न सिर्फ़ इस हत्याकांड की निंदा की है बल्कि पंजाब सरकार और स्थानीय प्रशासन के रवैये पर भी सवाल खड़ा किया है। ‘पहला कदम’ नामक गैर-सरकारी संगठन ने कहा कि इस घटना के सामने आए 23 दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इस हत्याकांड में 4 लोगों के शामिल होने की बात कही गई थी लेकिन अभी तक सिर्फ़ 2 लोगों को ही गिरफ़्तार किया गया है।
हालाँकि, विभिन्न संगठनों द्वारा अंतिम-संस्कार के लिए उनके शरीर की माँग किए जाने के बाद अंततः प्रशासन ने बुधवार (जून 10, 2020) को उनका मृत शरीर शिष्यों को सौंप दिया। मृत शरीर के नाम पर बस हड्डियों की कुछ टुकड़ियाँ बची हैं, जिसे देख कर किसी का भी दिल दहल जाए। ‘पहला कदम’ के डायरेक्टर डॉक्टर विपिन सिंह चौहान एवं अधिवक्ता अमन कुमार ने पूछा है कि पुलिस द्वारा अब तक सभी आरोपितों को गिरफ़्तार न किए जाने के पीछे वजह क्या थी?
ऑपइंडिया के पास संत महा योगेश्वर महात्मा के मृत शरीर की तस्वीरें मौजूद हैं लेकिन ये तस्वीरें इतनी वीभत्स हैं कि हम इन्हें दिखा नहीं सकते। आपको लाश के नाम पर बस पाँव की हड्डियाँ और शरीर के कुछेक टुकड़े दिखेंगे, और कुछ नहीं। चूँकि शिष्यों का कहना है कि सनातन प्रक्रिया से विधिवत अंतिम संस्कार होना चाहिए, इसीलिए शरीर का जो भाग मौजूद हैं, उनका ही अंतिम संस्कार किया जाएगा।
एक अन्य एनजीओ ‘निर्विकल्प प्रतिष्ठान’ ने कहा कि पंजाब में आए दिन साधुओं पर हमले हो रहे हैं और सरकार इस पर मौन है। संगठन के भूपेंद्र सिंह चाहर ने विगत कुछ दिनों में साधुओं पर हुए हमले पर चिंता व्यक्त की। उनका सवाल है कि आखिर 23 दिनों तक कौन सी फॉरेंसिक जाँच की गई कि अपराधी अभी तक पुलिस की पकड़ से दूर हैं और सिर्फ़ दो लोगों को गिरफ़्तार करके इसे मामूली चोरी की घटना बताई जा रही है।
‘पहला कदम’ और ‘निर्विकल्प फाउंडेशन’, दोनों ही संगठन के लोगों ने ऑपइंडिया से बात करते हुए पुलिस की जाँच प्रक्रिया और प्रशासन के ढुलमुल रवैए पर सवाल उठाया। उनकी नाराज़गी सांसद मनीष तिवारी से भी है, जिन्होंने अभी तक इस घटना की कोई सुध नहीं ली है। आनंदपुर साहिब लोकसभा से अकाली दल के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा भी लापता हैं। लोगों ने पूछा है कि आखिर ये दोनों ही नेता हैं कहाँ?
नेताओं पर शिष्यों का सुध न लेने के आरोप
हमने मनीष तिवारी से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उनसे हमारी बात नहीं हो पाई। हाँ, पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा से ज़रूर हमारी बात हुई, जिन्होंने कहा कि वो संत योगेश्वर महात्मा की हत्या के बाद उनके शिष्यों से मिलने और घटनास्थल का दौरा करने जाने ही वाले थे और तैयार भी हो गए थे लेकिन कोरोना लॉकडाउन गाइडलाइन्स के कारण उन्हें कदम पीछे खींचने पड़े। हालाँकि, उन्होंने कहा कि वो आरोपितों की गिरफ़्तारी को लेकर लगातार पुलिस के संपर्क में हैं।
पूर्व सांसद ने कहा कि उन्हें इस घटना के सम्बन्ध में सूचनाएँ मिल रही हैं और कई मैसेज आ रहे हैं। हाल ही में कई स्थानीय लोगों और दिवंगत महात्मा के शिष्यों ने धरना देकर सरकार के समक्ष आरोपितों को गिरफ़्तार करने की माँग रखी। उनके एक शिष्य ने ऑपइंडिया को बताया कि संत योगेश्वर लॉकडाउन का पालन करते हुए अपने कमरे में रह रहे थे और उन्होंने लोगों के जुटान पर भी रोक लगा दी थी। बस उन्हें खाना देने लोग आते थे।
उन्होंने बताया कि पहले शव को फॉरेंसिक जाँच के लिए अमृतसर भेजा गया था लेकिन फिर खरड़ स्थित फॉरेंसिक लैब में भेज दिया गया। शिष्य का कहना है कि जब उनकी लाश मिली थी, तब उनके सिर पर एक बाल भी नहीं था और जिस तरह से लाश क्षत-विक्षत पड़ी हुई थी, उससे लगता है कि हत्या से पहले उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ था। शिष्यों का पूछना है कि जब लॉकडाउन अमल में है तो आखिर अपराधी भाग कहाँ गए?
चोरी व लूट के कारण हुई हत्या: पुलिस
ऑपइंडिया ने शहीद भगत सिंह नगर की एसएसपी अलका मीणा से ऑपइंडिया ने जब आरोपितों की गिरफ़्तारी के बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा कि 4 आरोपितों की पहचान हो गई है, जिनमें से 2 को पहले ही गिरफ़्तार किया जा चुका है और बाकी दोनों की तलाश में पुलिस लगी हुई है। उन्होंने कहा कि ये चोरी व लूट की ही घटना है क्योंकि गिरफ़्तार आरोपितों के ऊपर पहले से ही ऐसी वारदातों को अंजाम देने के मामले दर्ज हैं।
एसएसपी मीणा ने ऑपइंडिया से कहा कि पुलिस ने कभी इस बात से इनकार नहीं किया कि ये हत्या का मामला नहीं है। ये हत्या का मामला है, जिसे चोरी के लिए अंजाम दिया गया। उन्होंने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद फॉरेंसिक जाँच के लिए डेड बॉडी गई है, जिसकी रिपोर्ट के बारे में अभी तक कोई सूचना नहीं मिली है। कुल मिला कर पुलिस का मानना है कि ये चोरी के लिए की गई हत्या का ही मामला है।
शिष्यों ने पुलिस के वर्जन को नकारा, जताया अविश्वास
हालाँकि, महात्मा के लिए न्याय हेतु आवाज़ उठा रहे अधिवक्ता अमन कुमार पुलिस के वर्जन से इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि एक वयोवृद्ध महात्मा के पास 4 लोग चोरी करने क्यों आएँगे? उनका कहना है कि वो तो अपना भोजन तक ख़ुद से नहीं बनाते थे, दूसरों के घर से खाना आया करता था, ऐसे में उनके पास से चोरों को क्या मिल जाएगा और चोर समूह बना कर इतनी मेहनत क्यों करेंगे? वो पुलिस की बातों को नकार देते हैं। उन्होंने ऑपइंडिया से कहा:
“महात्मा योगेश्वर के घर में तो तो बिजली कनेक्शन तक नहीं था। सोलर सिस्टम से उनका काम चलता था। अगर एसएसपी कह रही हैं कि सारे आरोपितों की पहचान हो गई है तो बाकी दो को अभी तक क्यों नहीं गिरफ़्तार किया गया? लॉकडाउन के बावजूद ऐसा कैसे संभव है कि वो पुलिस की चंगुल से निकल जाएँ? मुझे पुलिस की जाँच प्रक्रिया पर संदेह है। मुझे इस हत्याकांड के पीछे कोई साजिश लगती है। उनका आश्रम 5 एकड़ की जमीन पर स्थित था और वो एक छोटी सी कुटिया में रहते थे, जहाँ चोरी लायक कुछ था ही नहीं कि 4 चोर घुस आएँ और इतनी बेरहमी से हत्या कर दें।”
अगर राष्ट्रीय मीडिया की बात करें तो सिर्फ़ ‘रिपब्लिक टीवी’ ने ही इस मामले को कवर किया है। इस मामले के सामने आने के 20 दिन बाद ‘रिपब्लिक टीवी’ इसे एक भीषण लिंचिंग का मामला बताया था। पालघर से जोड़ते हुए उस रिपोर्ट में इस घटना में न्याय के लिए आवाज़ उठाई गई थी। बाकी सभी मीडिया संस्थानों ने इस ख़बर को अभी तक नज़रअंदाज़ किया है। अब जब मृत शरीर का अंतिम संस्कार हो जाएगा, देखना है कि पुलिस की कार्रवाई से शिष्य कब संतुष्ट होते हैं।
कौन थे अवधूत अखाड़ा के संत महा योगेश्वर महात्मा?
संत महा योगेश्वर महात्मा के बारे में कहा जाता है कि उनका जन्म सरकाघाट के एक बड़े व्यापारिक खानदान में लाला रामरखा लाल के यहाँ हुआ था लेकिन उन्होंने संन्यास लेकर धन-वैभव को पीछे छोड़ दिया था। लोगों का आरोप है कि मीडिया भी इस मुद्दे को नहीं उठा रहा है और इस कारण इस मामले में राज्य सरकार व पुलिस आसानी से बिना कुछ किए निकल गई है। उनका आश्रम नूरपुर बेदी मार्ग पर स्थित था। हत्या के बाद कमरे से बल्ब वगैरह गायब थे।
लोग बताते हैं कि बाबा हमेशा हिंदुत्व के प्रचार-प्रसार के लिए चिंतित रहते थे। असल में उनके आश्रम में बिजली तक नहीं थी, उनके अनुयायियों ने ही सोलर सिस्टम की व्यवस्था की थी। लोग उनके आश्रम पर ही उन्हें भोजन पहुँचाया करते थे। भिक्षा माँग कर गुजर-बसर होता था, इसीलिए वो खाना नहीं बनाया करते थे। हत्या के बाद लोगों ने देखा कि उनका एक बाजू गायब था। और साथ ही सिर को धड़ से अलग कर दिया गया था। उनके सिर के बाल उखाड़ लिए गए थे। पूरा कमरा खून से लथपथ था।