देश का एक बड़ा वर्ग आज भी अपनी आमदनी के लिए कुटीर उद्योगों पर आधारित है। विशेषकर पूर्वोत्तर भारत के राज्य अपने रोजगार के लिए वन सम्पदा पर निर्भर रहते हैं। बाँस इस क्षेत्र के लोगों के दैनिक जीवन से हर तरह से जुड़ा है, जैसे- भोजन, कृषि, रोजगार आदि।
लेकिन एक पहलू यह भी है कि जनजातीय इलाकों में रहने वाले लोगों और आदिवासियों का यह वर्ग अक्सर वनों में उगाई जाने वाली उत्पादों का उचित मूल्य हासिल नहीं कर पाते। ऐसे में ना तो समूचे वनों में उगाई जाने वाली चीजों को ठीक से इस्तेमाल हो पाता था और ना ही इन लोगों की आर्थिक स्थिति में कोई विशेष बदलाव देखा गया। ऐसे में केंद्र सरकार की वन धन योजना का आगाज किया गया था। जिसने देश के बड़े हिस्से की आबादी को लाभान्वित किया है।
जनवरी 2020 में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब (Biplab Kumar Deb) ने राज्य में प्रधानमंत्री वन धन विकास योजना का शुभारंभ किया और इस योजना को शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा था कि यह योजना राज्य के लोगों की आजीविका में सुधार लाने पर केंद्रित है।
सोशल मीडिया पर बाँस से निर्मित ऐसी ही कुछ दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं के प्रदर्शनी की तस्वीरें शेयर करते हुए त्रिपुरा कैडर के आईएफएस अधिकारी प्रसादा राव ने लिखा है – “बाँस से निर्मित पानी पीने के बर्तन को दुनिया में पेश करने पर त्रिपुरा को गर्व है, जो कारीगरों के हाथों से बना एक अनोखा फैंसी उत्पाद है। यह उत्पाद निर्यात द्वारा विदेशी मुद्रा के साथ-साथ राज्य को अच्छी सफलता दिलाने में सक्षम है।”
Tripura is proud to introduce the Bamboo drinking ware to the world, which is a unique fancy bamboo hand crafted utility product made from the hands of the artisans. This product can bring laurels to the state along with foreign exchange by export. Is deviced & promoted by TRPC. pic.twitter.com/xwb0WONwPO
— Prasada Rao IFS (@IfsRao) June 24, 2020
आईएफएस प्रवीण कुसवान ने ट्विटर पर हाथ से निर्मित ऐसे ही एक अन्य उत्पाद की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है कि ये खूबसूरत है जो कि त्रिपुरा के स्थानीय कलाकारों द्वारा बनाया गया है। इसके डिजाइन और गुणवत्ता की तारीफ करते हुए उन्होंने लिखा है कि यह पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद होने के साथ ही लोगों को आजीविका भी प्रदान करते हैं।
This is beautiful. Made locally by artisans from Tripura. Eco-friendly products and also provide livelihood to forest fringe communities. Extra marks for design and finishing. pic.twitter.com/kNvbyOjGYt
— Parveen Kaswan, IFS (@ParveenKaswan) June 26, 2020
इस योजना के उद्घाटन के अवसर पर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव देब ने कहा, “केंद्र ने इस योजना के तहत कुल 9 परियोजना के लिए 1,21,90,000 रुपए प्रदान किए हैं। त्रिपुरा सरकार ने PMVDY योजना के तहत कुल 11 परियोजनाएँ भेजी, जिनमें से 9 परियोजनाओं को राज्य में लागू करने के लिए मंजूरी दी गई है।”
उन्होंने कहा, “यह योजना जनजातीय उत्पादों के मूल्य संवर्धन के माध्यम से जनजातीय आय में सुधार करने के लिए बनाई गई है। यह वन उत्पादों के मूल्य संवर्धन, संग्रह, पैकेजिंग और मार्केटिंग पर आधारित है।”
उल्लेखनीय है कि वन धन योजना जनजातीय मामलों के मंत्रालय और TRIFED की एक पहल है। यह भारत के प्रधानमंत्री द्वारा अप्रैल 14, 2018 को लॉन्च किया गया था।
जनजातीय मामलों के मंत्रालय के माध्यम से इस योजना को राज्य स्तर पर राज्य नोडल विभाग के रूप में लागू किया जाएगा और जिला कलेक्टरों को जमीनी स्तर पर योजना के कार्यान्वयन में एक निर्णायक भूमिका निभाने के लिए परिकल्पित किया गया है।