कुछ दिन पहले देहरादून (रानीपोखरी, ऋषिकेश) के चिल्ड्रेन होम मिशनरी स्कूल भोगपुर के छात्र वासु की जान सिर्फ़ एक बिस्किट के पैकेट के कारण चली गई। जिसमें बच्चे ने स्कूल के बाहर दुकान से बिस्किट का पैकेट चुराया और दुकानदार की शिकायत पर मिशनरी स्कूल के सीनियर छात्रों ने बच्चे (वासु) की निर्मम तरीके से पिटाई की। समय पर इलाज न मिलने से बच्चे की मौत हो गई। लेकिन, इस मामले ने छात्रों की मानसिकता, स्कूल प्रबंधन के रवैये और शिक्षा विभाग की कार्यशैली सब पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।
12वीं कक्षा में पढ़ने वाले सीनियर्स ने वासु को बिस्किट का पैकेट चोरी करने का दोषी ठहराया और फिर बल्ले व स्टंप्स से पीट-पीट कर उसकी जान ले ली। सीनियर्स ने बच्चे को पहले तो ख़ूब पीटा और फिर उसे वहीं क्लास रूम में ही छोड़कर निकल गए। घायल छात्र को आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसकी मृत्यु हो गई।
चिल्ड्रेन होम एकेडमी स्कूल मामले में एक नया और बड़ा मोड़ आया है। उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस मामले की सीबीआई जाँच की माँग की है। आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर सीबीआई जाँच की माँग की है। ऊषा नेगी ने बच्चे की मेडिकल रिपोर्ट पर भी सवाल उठाए हैं। स्कूल संचालक स्टीफ़न सरकार की भूमिका को आयोग ने संदिग्ध माना है। इस पूरे प्रकरण में स्कूल प्रबंधन पर कई तरह के आरोप लगे हैं।
चिल्ड्रन्स होम एकेडमी स्कूल के छात्र वासु यादव की मौत के मामले में दो छात्रों और तीन स्कूल कर्मचारियों की गिरफ़्तारी के बाद से इस मामले में दबाव बढ़ता जा रहा है। बाल आयोग अध्यक्ष ऊषा नेगी ने भी स्कूल का दौरा किया था। इस दौरान उन्हें बच्चे स्कूल में काम करते मिले थे। जबकि प्रबंधन के सभी लोग नदारद थे। इसके बाद ऊषा नेगी ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए थे।
चिल्ड्रेन एकेडमी मिशनरी स्कूल में छात्र वासु की हत्या के बाद बाल संरक्षण आयोग इस संस्था पर नजर बनाए हुए है। उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने स्कूल पहुँचकर औचक निरीक्षण किया। जिससे बच्चों से खाना बनवाने समेत उन्हें पीने के लिए गंदा पानी दिए जाने की बात सामने आई है। इसे देखकर आयोग की अध्यक्ष भड़क गई। करीब 2 घंटे तक आयोग की अध्यक्ष हॉस्टल में मौजूद रहीं, इस दौरान स्कूल प्रबंधन समिति मौके से नदारद रही। ऊषा नेगी ने बताया कि प्रबंधक स्टीफ़न सरकार का बेटा, जो उसी स्कूल में टीचर है, ने भी एक बार पहले वासु यादव की बुरी तरह पिटाई की थी। स्कूल में CCTV कैमरे नहीं थे, जिससे यह आशंका भी बनती है कि वहाँ जो हो रहा था उसे छुपाने की कोशिश की जा रही थी।
नेशनल एसोसिएशन फॉर पेरेन्ट्स एंड स्टूडेन्ट्स राइट्स (NAPSR) के सदस्यों ने देहरादून के जिलाधिकारी से मुलाकात कर के इस स्कूल की मान्यता रद्द करने की माँग रखी है। NAPSR ने माँग की गई है कि स्कूल की जाँच कर वैधानिक तरीके से कार्रवाई की जाए। पुलिस ने भी दो साल पहले इस स्कूल से एक छात्र के गायब होने के मामले में भी स्कूल प्रबंधन की भूमिका की जाँच करने की बात कही है।