ई-कॉमर्स जायंट फ्लिपकार्ट की एक टिप्पणी को लेकर खासा हंगामा हो रहा है, जिसके बाद कम्पनी ने सफाई दी है। फ्लिपकार्ट ने नागालैंड को भारत से बाहर का क्षेत्र बता दिया था। इसके बाद सोशल मीडिया पर ई-कॉमर्स कम्पनी का जम कर विरोध हुआ था। अब फ्लिपकार्ट ने नागालैंड को भारत से बाहर का क्षेत्र बताने को लेकर माफ़ी माँगी है। उसने इसे ‘लापरवाही से हुई गलती’ बताया है।
दरअसल, फ्लिपकार्ट के किसी फेसबुक पोस्ट पर एक यूजर ने कमेंट के माध्यम से शिकायत करते हुए लिखा कि फ्लिपकार्ट नागालैंड में सामान क्यों नहीं डिलीवर करता है? उसने लिखा कि नागालैंड भी एक भारतीय राज्य ही है और फ्लिपकार्ट को सभी राज्यों के साथ बराबर का व्यवहार करना चाहिए। इसके जवाब में फ्लिपकार्ट ने लिखा कि वो उक्त यूजर द्वारा फ्लिपकार्ट से समान खरीदने में रूचि दिखाने की प्रशंसा करता है। साथ ही अगली पंक्ति में उसने लिखा, “हालाँकि, हमारे विक्रेतागण भारत से बाहर सेवाएँ नहीं देते हैं।”
बता दें कि उत्तर-पूर्वी राज्य नागालैंड दिसंबर 1963 में भारत का 16वाँ राज्य बना था। हरियाली के मामले में भारत के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक नागालैंड एक पहाड़ी राज्य है, जहाँ दो दर्जन से भी अधिक प्रमुख जनजातियाँ निवास करती हैं। नागालैंड की 90% जनसंख्या ईसाई है। यहाँ अन्य भारतीय राज्यों की तरह नियमित चुनाव होते रहते हैं।
Although not with Flipkart, Even I had this experience once.
— Rupin Sharma IPS (@rupin1992) October 8, 2020
Nagaland is India #Flipkart . pic.twitter.com/WDS7kodF94
अपने कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव द्वारा नागालैंड को भारत से बाहर का क्षेत्र बताए जाने को लेकर माफ़ी माँगते हुए फ्लिपकार्ट ने लिखा है कि वह पूरे भारत में सेवाएँ देने की इच्छा रखता है और इसके लिए लगातार प्रयासरत है, जिसमें नागालैंड भी शामिल है। साथ ही उसने लिखा कि उसे नागालैंड से संपर्क करने में ख़ुशी है और वहाँ के लिए सारे विकल्पों को सामने रख रहा है। कम्पनी के स्पष्टीकरण से भी लोगों का आक्रोश थमा नहीं है।
इधर संगीतकार एलोबो नागा ने फ्लिपकार्ट के इस रवैये पर टिप्पणी करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताया और कहा कि इसी पता चलता है कि लोग भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों से कितने अनजान हैं। उन्होंने कहा कि कइयों को तो ये तक नहीं पता है कि नागालैंड कहाँ है और इसके लिए उन्हें पूरा दोष नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि इस तरह की नज़रअंदाज़ी के लिए हमारी शिक्षा व्यवस्था ही जिम्मेदार है।