नेपाल की जमीन पर चीन के कब्जे का मामला एक बार फिर तूल पकड़ रहा है। नेपाली कॉन्ग्रेस (NC) ने चीन द्वारा नेपाली क्षेत्र में किए गए अतिक्रमण की पुष्टि करते हुए इस मामले में चीन का महिमामंडन करने वाली केंद्र सरकार की चुप्पी को शर्मनाक और निंदनीय बताया है। इसके अलावा मुख्य विपक्षी दल ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की चुप्पी को देशद्रोह बताया। कथित तौर पर चीन ने हुमला जिले में नमखा ग्रामीण नगर पालिका के लिमी में कब्जा किया हुआ है।
एनसी ने सरकार पर आरोप लगाया कि जब सीडीओ के नेतृत्व वाली निरीक्षण टीम सीमा क्षेत्रों का निरीक्षण कर रही थी, तब भी सरकार ने इस मुद्दे को कवर अप करने के लिए जल्दबाजी दिखाई और इसे इनकार कर दिया था। पार्टी ने सरकार की कार्रवाइयों को ‘राष्ट्र-विरोधी’ भी कहा। उन्होंने माँग की कि सरकार को एक डिप्लोमैटिक नोट के जरिए चीन से विरोध जताना चाहिए। साथ ही बातचीत और कूटनीति के माध्यम से इसका हल निकालें।
नेपाली सांसद जीवन बहादुर शाही ने कहा, “विशेषज्ञों की एक टीम को हुमला जिले में नेपाल-चीन सीमा का दौरा करना चाहिए ताकि चीन ने जो किया है उसका वैज्ञानिक आकलन किया जा सके। हमारे निष्कर्षों में स्पष्ट रूप से दिखाया गया है कि चीन ने सीमा स्तंभ को बदलने के बाद हमारे क्षेत्र में करीब डेढ़ किलोमीटर अंदर प्रवेश किया है।” इससे पहले मीडिया में भी ऐसी ही खबरें सामने आईं थीं।
इस बीच, भारतीय सेना प्रमुख जनरल नरवणे नवंबर के महीने में नेपाल का दौरा करेंगे। इस यात्रा को चीन-नेपाल सीमा पर चीनी अतिक्रमण को देखते हुए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। नेपाल के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “नेपाल सरकार ने 3 फरवरी 2020 को ही जनरल नरवणे की यात्रा को मंजूरी दे दी थी। लेकन उसी दौरान कोरोना की वजह से दोनों देशों में लॉकडाउन लागू हो गया था जिसके चलते जनरल नरवणे का दौरा स्थगित कर दिया गया था। एक निवेश समारोह में जनरल नरवणे को नेपाली सेना के सामान्य मानद रैंक प्रदान करना है। यह समारोह 70 साल पुरानी परंपरा है, इस सम्मान की शुरुआत 1950 में की गई थी।”
रणनीतिक मामलों और विदेश नीति के विशेषज्ञ गेजा शर्मा वागले ने कहा, “यह दौरा भारत की ओर से लंबे समय से क्षेत्रीय विवाद के कारण टूटे हुए संबंध सुधारने के लिए एक प्रयास है। मुझे लगता है कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच बहुत जरूरी बातचीत को पुनर्जीवित करने की दिशा में सकारात्मक योगदान देगी। दोनों देशों के बीच हाल ही हुए गतिरोध के बीच यह यात्रा काफी महत्वपूर्ण है।”
नेपाल द्वारा हाल ही में भारतीय क्षेत्र पर दावा करने वाले एक नए नक्शे को जारी करने के बाद दोनों देशों में तनाव बढ़ गया था। इसके अलावा प्रधानमंत्री के.पी. ओली ने श्री राम और अयोध्या को लेकर भी विवादास्पद टिप्पणी की थी।