चुनाव आयोग की भाजपा और दक्षिणपंथी संस्थाओं के विरुद्ध कार्रवाई जारी है। मोदी की बायोपिक और योगी आदित्यनाथ के चुनाव प्रचार को प्रतिबंधित करने के बाद चुनाव आयोग ने अब दो किताबों का JNU में विमोचन करने को लेकर आयोजकों को नोटिस थमाया है।
इनमें से एक किताब ‘Safron Swords’ पिछले 1300 सालों में अंग्रेज़ और इस्लामी आक्रान्ताओं के आतंक से वीरतापूर्वक लड़ते हुए जान गँवाने वाले गुमनाम शूरवीरों में से 52 की कथाओं का संकलन है। इसकी लेखिका मानोशी भारतीय/हिन्दू संस्कृति के प्रचार और उत्थान के लिए स्थापित इंटरनेट पोर्टल ‘My India My Glory’ की भी संस्थापिका हैं, और सोशल मीडिया पर हिन्दू मंदिरों और पुरातात्विक स्थलों की अपनी यात्रा के बारे में अक्सर लिखती रहतीं हैं।
दक्षिण दिल्ली की रिटर्निंग अफ़सर निधि श्रीवास्तव ने JNU में इस कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा कार्यक्रम की पूर्वानुमति न लेने को आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन माना है और इसी पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
अकादमिक था कार्यक्रम, राजनीतिक नहीं: आयोजक
आयोजकों में से एक मनीष जांगिड़ ने इन्डियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि जिन किताबों का विमोचन प्रतिबंधित हुआ, वह दोनों, यानि मानोशी सिन्हा की ‘Safron Swords’, और पूर्व में मार्क्सवादी रह चुके आभास मालदहियार की किताब ‘मोदी अगेन’, पहले से सार्वजनिक क्षेत्र में वितरण में हैं। इसके अलावा वह यह भी कहते हैं कि लेखकों की अनुपलब्धता के चलते 12 अप्रैल को ही कार्यक्रम को टाला जा चुका था, और यही बात चुनाव आयोग को दिए गए जवाब में कह दी गई है।
एक अन्य आयोजक और जांगिड़ सहित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े दुर्गेश कुमार के अनुसार यह कार्यक्रम राजनीतिक नहीं, अकादमिक था। उन्होंने किसी भी राजनीतिक पार्टी के नेता को इस कार्यक्रम में निमंत्रण नहीं दिया था। साथ ही उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि यह (सार्वजनिक क्षेत्र में पहले से मौजूद किताबों पर आधारित गैर-राजनीतिक, अकादमिक वार्तालाप) भी चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन में आता है।
दोनों किताबें स्टार्टअप प्रकाशक ‘गरुड़ प्रकाशन’ द्वारा प्रकाशित की गईं हैं।
‘आभास’ होता है कि कार्यक्रम राजनीतिक था, इसलिए दिया नोटिस
वहीं इन्डियन एक्सप्रेस से ही बात करते हुए रिटर्निंग अफ़सर निधि श्रीवास्तव ने यह कहा कि भले ही यह किताबें पहले से वितरण में हों, पर इस कार्यक्रम को देखकर इसके राजनीतिक होने का ‘आभास’ होता है; ऐसा ‘लगता है’ कि एक नेता विशेष का प्रचार हो रहा है। इसीलिए यह नोटिस जारी किया गया।
सोशल मीडिया पर लेखकों, पत्रकारों का कड़ा विरोध शुरू
लेखक संक्रांत सानु ने इस निर्णय को आड़े हाथों लेते हुए लिखा:
@GarudaPrakashan book launch event of @Aabhas24 and @authormanoshi cancelled in JNU. EC claims “poll violation”, students deny.
— Sankrant Sanu सानु (@sankrant) April 16, 2019
Unbelievable. We should stop publishing and promoting books? Can EC name another democracy in the world where this happens?https://t.co/uXyCr6arpK
Goa Chronicles व Indian Expose पोर्टलों के संस्थापक-मुख्य संपादक सैवियो रोड्रिग्वेज़ ने क्षुब्ध प्रतिक्रिया व्यक्त की:
Shocking EC stalls book launch of #ModiAgain and #SaffronSwords at JNU under Model Code of Conduct. Movies, books and I am certain now they will stop T-Shirts too. Why not advertisement, banners and even social media campaign.
— Chowkidar Savio Rodrigues ?? (@PrinceArihan) April 16, 2019
वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने भी इसके औचित्य पर सवाल उठाते हुए लिखा:
चुनाव है तो किताबों पर भी रोक ?
— Ashok Shrivastav (@ashokshrivasta6) April 16, 2019
कल कहोगे न्यूज़ मत देखो,अखबार मत पढ़ो।
ये अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला नहीं ?
#StandbyGaruda@GarudaPrakashan
ABVP gets poll officer notice over book launch event | Elections News, The Indian Express https://t.co/U0dgaAlI0I via @IndianExpress
जिन किताबों का विमोचन रद्द हुआ, उनमें से एक के लेखक आभास ने भी ट्विटर पर कड़ी आपत्ति जताई।
1/n Thread on #ModiAgain launch stopped.
— Aabhas | आभास ?? (@Aabhas24) April 16, 2019
No FoE,just bcoz I present alternative,rather right narrative? EC halts launch of my book #ModiAgain at JNU( https://t.co/d9dlaCPhcS
If my book violates MCC,hw journos propagating negativity about @narendramodi not doing so?Cc @ABVPVoice pic.twitter.com/sO7i9u006c
उन्होंने द हिन्दू अख़बार के विवादस्पद संपादक एन राम की राफेल विवाद पर आधारित किताब का भी उदाहरण दिया।
2/3 If my book’s launch stopped why did EC allow @nramind ‘s book to be released which was an absolute propaganda?News Link: https://t.co/urv1OOLU49
— Aabhas | आभास ?? (@Aabhas24) April 16, 2019
Did EC even question publisher that why 5000 copies of N Ram’s propaganda was just sold for ₹10 each? Cc @TimesNow @SunilAmbekarM pic.twitter.com/khUiGccPN6
इंडिया टुडे की एक खबर का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि कैसे उस किताब की 5,000 प्रतियाँ दस-दस रुपए में बेचीं गईं। इंडिया टुडे की उसी रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि चुनाव आयोग के जिस उड़न-दस्ते ने इसमें हस्तक्षेप किया था, उसके सदस्यों को न केवल चुनावी ड्यूटी से हटा दिया गया है, बल्कि उन्हें खुद कारण बताओ नोटिस का सामना करना पड़ रहा है।
उनके इस ट्विटर-थ्रेड को रीट्वीट करते हुए दक्षिणपंथी स्तंभकार और रक्षा विशेषज्ञ अभिजित अय्यर-मित्रा ने लिखा:
Looks like double standards abound https://t.co/dOxWDB8ELB
— Abhijit Iyer-Mitra (@Iyervval) April 16, 2019
‘कैसा लोकतंत्र है यह?’: मानोशी सिन्हा
‘Saffron Swords’ की लेखिका मानोशी सिन्हा ने ऑपइंडिया संवाददाता से बात करते हुए अपना विरोध जताया। उन्होंने कहा कि यह कैसा लोकतंत्र है जब EC उसी JNU के प्रांगण में अन्य किताबों के विमोचन में हस्तक्षेप नहीं करता पर उनकी ‘Saffron Swords’ और आभास की Modi ‘Again’ का विमोचन रोक देता है। उन्होंने पूछा कि क्या ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि आयोजक एबीवीपी था, या फिर कारण यह था कि उनकी किताब में कम्युनिस्ट-वामपंथी नैरेटिव नहीं था; क्या ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि सिन्हा की किताब का दृष्टिकोण राष्ट्रवादी है; या फिर इसलिए कि इस किताब में हमारे वीर पूर्वजों का गुणगान है, जिनके कारण आज हम हज़ारों वर्ष पुरानी अपनी सभ्यता की पहचान को आगे ले जा पा रहे हैं।