दंगों की वजह से तेलंगाना का भैंसा कई दिनों से ख़बरों में है। इस महीने की शुरुआत में हुई हिंसा में 10 लोग घायल हुए, जिसमें कुछ पत्रकार भी शामिल थे। साथ ही कुछ घरों और गाड़ियों को भी फूँक दिया गया था। यहाँ सांप्रदायिक हिंसा नई बात नहीं है। जनवरी 2020 में इसी तरह के दंगे हुए थे। इन दंगों को कवर करने वाले मिस्टर सिद्धू नामक पत्रकार ने इसके पीछे असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM का हाथ बताया है।
हाल ही में ‘गोवा क्रॉनिकल’ ने सिद्धू से संपर्क कर इस पूरे प्रकरण के बारे में जाना। उन्होंने जनवरी 2020 से लेकर मार्च 2021 तक की घटनाओं को लेकर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जनवरी 2020 में हुआ दंगा रातोंरात हिंसक हो गया था और महाराष्ट्र-तेलंगाना सीमा पर स्थित कोरभा गली सबसे ज्यादा प्रभावित हुई थी। उस समय मुस्लिमों ने ‘इज्तिमा’ का आयोजन किया था। उसमें शामिल हुए करीब 50,000 लोगों ने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के साथ-साथ CAA और NRC विरोधी नारे लगाए थे।
सिद्धू ने बताया कि 12 जनवरी 2020 को रात 8 बजे एक हिन्दू व्यक्ति ने बाहर मच रहे शोर से तंग आकर मुस्लिम समाज से कहा कि वो तेज़ आवाज़ में कार्यक्रम कर लोगों को परेशान न करें। धीरे-धीरे बहस होने लगी और एक मुस्लिम व्यक्ति ने हिन्दू लड़के को थप्पड़ जड़ दिया। उसने भी बदले में एक थप्पड़ रसीद कर डाला। फिर आसपास के इलाकों से मुस्लिम वहाँ जुट गए। 1 घंटे के भीतर हिन्दुओं के घरों पर पेट्रोल बम फेंके जाने लगे।
सिद्धू ने बताया कि मुस्लिमों ने लगातार पाकिस्तान समर्थक नारे लगाते हुए हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान किया और यहाँ तक कि भगवान गणेश की प्रतिमा पर पेशाब भी कर डाला। मकर संक्रांति पर हिन्दू महिलाओं द्वारा बनाए गए प्रसाद व भोजन की वस्तुओं में पेशाब कर दिया गया। हिन्दू महिलाओं के साथ बदतमीजी हुई और उनके गहने छीन लिए गए। वे बच्चों को भी मारना चाहते थे। मिस्टर सिद्धू का कहना है कि तेलंगाना के गठन के बाद हुए इस पहले हिन्दू-मुस्लिम दंगे के बारे में KCR सरकार नहीं चाहती थी कि किसी को पता चले।
किसी भी पत्रकार को वहाँ नहीं जाने दिया जा रहा था और मीडिया को कवरेज से मना कर दिया गया था। सिद्धू ने बताया कि उन्होंने वहाँ जाकर कई वीडियो अपलोड किए, जिनसे पता चल रहा था कि हिन्दुओं के पास रहने को घर नहीं थे और उनके साधन जला दिए गए थे। उन्होंने बताया कि उन्हें मुख्यमंत्री KCR के आईटी सेल ने धमकियाँ दी और वीडियोज डिलीट करने को कहा। उन पर FIR दर्ज किए गए।
स्थानीय RSS यूनिट ने हिन्दुओं को उनका घर फिर से बनाने में मदद की। सिद्धू ने इस साल हुए दंगों की बात करते हुए कहा कि अभी भी ‘इज्तिमा’ चल रहा था। जुल्फिकार और भट्टी गलियों में दंगों का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा और इस बार भी मीडिया को कवरेज से मना किया गया। उन्होंने बताया कि AIMIM के काउंसलर जाबिर अहमद के खिलाफ 19 मामले दर्ज हैं, लेकिन पुलिस ने उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
उसे ओवैसी भाइयों का करीबी भी माना जाता है। उन्होंने बताया कि NIA की एक टीम ने भैंसा आकर कुछ आतंकियों को गिरफ्तार किया था और उन्हें भी AIMIM के नेताओं और स्थानीय लोगों ने शरण दी हुई थी। सिद्धू का कहना है कि यहाँ के मस्जिदों में अक्सर असामाजिक तत्वों को पनाह मिलती है। मस्जिद के पास से गुजरने वाले हिन्दू जुलूसों पर पत्थरबाजी होती है। उन्होंने दावा किया कि 2008 में एक हिन्दू को मस्जिद में ले जाकर टुकड़े-टुकड़े काट डाला गया था, जिससे दंगे भड़के थे। सिद्धू ने बताया:
“हिन्दू उस इलाके में डर के साए में जीते हैं और उनकी जीवनशैली काफी कठिन हो गई है क्योंकि मौत का भय बना रहता है। भैंसा दूसरा कश्मीर बन रहा है। मुस्लिम जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हिन्दुओं के लिए आवाज़ उठाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की जाती है। पत्रकारों पर तलवार से हमले हुए। एक पत्रकार जीवन और मौत से जूझ रहा है लेकिन TRS के डर से कोई आवाज़ नहीं उठाता। मीडिया का एक बड़ा वर्ग राज्य की सत्ताधारी पार्टी के इशारों पर नाच रहा है।”
Last year when I went to #Bhainsa to report about communal violence that the Telangana govt was covering up even then, a Hindu family told me the mob urinated in the prasad they had cooked and kept in the house for next day’s Sankranti.
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) March 18, 2021
The house was almost entirely burnt down pic.twitter.com/BWOqaPGAKd
उन्होंने बताया कि मुस्लिमों के प्रभाव वाले संवेदनशील क्षेत्र भैंसा में टीआरएस और AIMIM का मुस्लिम गुंडों को समर्थन मिलता है। उन्होंने कहा कि यहाँ हिन्दुओं को पलायन के लिए मजबूर करने का लक्ष्य लेकर चला जा रहा है और पुलिसकर्मियों पर भी राजनीतिक दबाव है। बकौल सिद्धू, स्थानीय स्तर पर मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण और प्रभाव के हिसाब से डेमोग्राफी कुछ ऐसी बनाई गई है कि AIMIM की ही जीत हो।
उन्होंने ‘हिन्दू वाहिनी’ के बारे में बात करते हुए कहा कि हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए और इस्लामी जिहादियों से लड़ने के लिए यही संगठन आगे आता है। साथ ही आरोप लगाया कि सरकार के इशारे पर ‘हिन्दू वाहिनी’ के युवाओं को जहाँ गिरफ्तार किया जाता है, वहीं मुस्लिम आरोपित खुला घूमते हैं। पुलिसकर्मियों ने हिन्दू कार्यकर्ताओं को धमकाया भी है। हिन्दुओं पर झूठे केस चला कर उन्हें फँसाने के आरोप भी लगे हैं।
हाल ही में वहाँ एक नाबालिग बच्ची के यौन शोषण का मामला भी सामने आया था। पीड़ित बच्ची और आरोपित अलग-अलग समुदाय से थे और लड़की की उम्र मात्र 4 वर्ष है। आरोप लगा था कि इसके बाद पुलिस ने पीड़ित परिजनों से बिना कोई हो-हल्ला मचाए अपने गाँव वापस लौट जाने को कहा। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय कुमार ने दावा किया था कि पुलिस ने पीड़ित परिजनों पर इस हैवानियत के बारे में किसी को कुछ न बताने का दबाव बनाया।