दिल्ली की एक अदालत ने राजधानी के उत्तर-पूर्वी हिस्से में फ़रवरी 2020 में हुए दंगों के मुख्य आरोपित और आम आदमी पार्टी (AAP) के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन को जमानत देने से इनकार कर दिया। एडिशनल सेशन जज विनोद यादव ने प्रमोद और प्रिंस बंसल नामक पीड़ितों को गोली लगने के मामले में दर्ज 2 FIR पर सुनवाई की। ‘सुश्रत ट्रॉमा सेंटर’ से इनकी मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश की गई।
जज विनोद यादव ने कहा कि बिना किसी पूर्व-नियोजित सोची-समझी साजिश के इतने बड़े स्तर पर इतने कम समय में दंगों का फैलना संभव नहीं है। कोर्ट ने कहा कि जब आरोपित इन मामलों में घिर चुका है, वो सीधा ये कह कर नहीं बच सकता कि वह शारीरिक रूप से इन दंगों में शामिल नहीं हुआ था, इसलिए इसमें उसका कोई हाथ नहीं है। कोर्ट ने पाया कि ताहिर हुसैन ने अपने ‘बाहुबल और राजनीतिक पहुँच’ का इस्तेमाल कर क्षेत्र में सांप्रदायिक हिंसा फैलाई।
ताहिर हुसैन ने कोर्ट में अपने बचाव में तर्क पेश करते हुए कहा कि वो AAP से संबंध रखता है और परिस्थितियों में फँस कर आरोपित बन गया। उसने दावा किया कि वो एक राजनीतिक लड़ाई के बीच में फँस गया है। उसने अपने खिलाफ लगे आरोपों को खुद की छवि धूमिल करने के लिए लगे गए राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का हिस्सा करार दिया। उसने दावा किया कि इन मामलों में उसके खिलाफ कोई ठोस या कानूनी सबूत नहीं हैं।
ताहिर हुसैन ने अपने पक्ष में दलील देते हुए कहा कि दंगों में शामिल होने या संपत्ति को नुकसान पहुँचाने के मामलों में उसके शामिल होने के कोई वीडियो सबूत उपलब्ध नहीं हैं। उसने कोर्ट से गुहार लगाई कि उसके पीछे उसकी पत्नी, 2 नाबालिग बच्चों और एक स्कूल जाने वाले बेटे की देखरेख करने वाला कोई नहीं है। विरोधी पक्ष ने दलील दी कि एक खास समुदाय का एक समूह ये बात जानता था कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दौरे के कारण पुलिस उनकी सुरक्षा में व्यस्त होगी, इसलिए वह समय चुना गया।
कोर्ट ने माना कि दंगाई भीड़ खतरनाक हथियारों से लैस थी। अदालत ने कहा कि इस दंगाई भीड़ ने लूटपाट, सार्वजनिक व प्राइवेट संपत्तियों को ध्वस्त करना और आगजनी के अलावा एक समुदाय के जान-माल को क्षति पहुँचाने को अपना लक्ष्य बनाया। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में ये कहना उचित नहीं होगा कि मुख्य आरोपित का लक्ष्य उस दंगाई भीड़ से अलग था। कोर्ट ने पुलिस से कहा कि गवाहों के बयान को दर्ज करने में देरी हो सकती है, क्योंकि ऐसे मामलों में गवाहों को चिह्नित करना मुश्किल कार्य होता है।
#Delhi | Stating that former AAP councilor Tahir Hussain used rioters as “human weapons” during the Northeast Delhi riots, a court in the national capital denied Hussain bail.@AamAadmiParty #TahirHussain #DelhiRiotshttps://t.co/lPSguQ1S8O
— Outlook Magazine (@Outlookindia) May 15, 2021
कोर्ट ने कहा कि दंगाई उस स्थिति में थे कि वो एक खास समुदाय और कानूनी एजेंसियों के खिलाफ भीड़ जुटा सकें। उन्होंने अपने समुदाय की उपस्थिति दर्ज कराने के लिए, आतंक और अफरातफरी का माहौल पैदा करने के लिए और कानून-व्यवस्था को अस्थिर करने के लिए ये सब किया, ताकि केंद्र सरकार उनकी माँगों के सामने झुक जाए। कोर्ट ने कहा कि भारत के वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने के रास्ते में ये दंगा एक जख्म की तरह बन कर आया।
अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ताहिर हुसैन के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर हैं और उसके द्वारा प्रत्यक्ष रूप से हिंसा नहीं भी की गई है तो भी वो अपने खिलाफ लगाई गई धाराओं से भाग नहीं सकता है। कोर्ट ने ये भी माना कि ताहिर हुसैन के ठिकाने ही दिल्ली कई इलाकों में सांप्रदायिक दंगों के फैलने का हब बने। कोर्ट ने कहा कि ये सब पूर्व-नियोजित था। एक सोची-समझी साजिश के तहत किया गया।