Sunday, December 22, 2024
Homeदेश-समाज'यह नरमी का हकदार नहीं': अब्दुल मर्चेंट और अब्दुल राशिद को उम्रकैद, गुलशन कुमार...

‘यह नरमी का हकदार नहीं’: अब्दुल मर्चेंट और अब्दुल राशिद को उम्रकैद, गुलशन कुमार की हत्या का मामला

12 अगस्त 1997 को मुंबई के जुहू के जीत नगर में मंदिर से बाहर निकलते समय गुलशन कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हमलावरों ने 16 गोलियाँ मारी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी।

टी-सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार की हत्या के मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार (1 जुलाई 2021) को अब्दुल रऊफ मर्चेंट की याचिका को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने उसे सेशन कोर्ट द्वारा दिए आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। सेशन कोर्ट ने 1997 में हुई गुलशन कुमार की हत्या के मामले में आतंकवादी दाऊद इब्राहिम के सहयोगी अब्दुल रऊफ को वर्ष 2002 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

इस मामले में कोर्ट ने TIPS इंडस्ट्रीज के मालिक रमेश तौरानी को बरी करने के फैसले को बरकरार रखते हुए महाराष्ट्र सरकार की अपील को खारिज कर दिया है। तौरानी को बरी करने के सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील की थी।

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एसएस जाधव और जस्टिस एनआर बोरकर की बेंच ने कहा कि अब्दुल रऊफ मर्चेंट का ‘आपराधिक इतिहास’ रहा है। बेंच ने कहा, “वह किसी तरह का छूट पाने के लायक नहीं है। वर्ष 2009 में गिरफ्तारी के बाद फरलो पर बाहर आने के बाद वह फरार हो गया था। उसके बाद भी उसने अपने आपराधिक कृत्यों को जारी रखा। इसलिए न्याय के हित में यही है कि वह किसी भी तरह का नरमी का अधिकारी नहीं है।” बता दें कि परोल पर बाहर आने के बाद वह बांग्लादेश भाग गया था।

गुलशन कुमार के हत्यारे की सजा को बरकरार रखते हुए हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “अब्दुल रऊफ मर्चेंट के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 307 के तहत सत्र अदालत के न्यायाधीश के 29 अप्रैल 2002 के फैसले को बरकरार रखा गया है। इसके अलावा, अपीलकर्ता (रऊफ) को आईपीसी की धारा 120-बी के तहत दोषी पाया गया है। हालाँकि, याचिकाकर्ता को आईपीसी की धारा 392 (डकैती) और 397 (डकैती या मौत के प्रयास में मौत का कारण बनना) के आरोपों से बरी कर दिया गया है।”

इसके साथ ही बॉम्बे हाई कोर्ट ने अब्दुल रऊफ के भाई अब्दुल राशिद मर्चेंट को बरी किए जाने के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया है। हालाँकि, अब्दुल राशिद को आजीवन कारावास की सजा काटनी ही होगी।

गौरतलब है कि 12 अगस्त 1997 को मुंबई के जुहू के जीत नगर में मंदिर से बाहर निकलते समय गुलशन कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हमलावरों ने 16 गोलियाँ मारी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। इस मामले में संगीतकार नदीम का नाम सामने आया था।

रिपोर्ट के मुताबिक गुलशन कुमार की कंपनी टी-सीरीज ने नदीम-श्रवण की जोड़ी को म्यूजिक इंडस्ट्री में सफलता दिलाई थी। कुछ समय बाद गुलशन कुमार और नदीम के बीच विवाद हो गया, जिसके बाद नदीम को इंडस्ट्री में काम मिलना ही बंद हो गया था। कहा जाता है कि नदीम ने गैंगस्टर अबु सलेम से मदद माँगी और अबु सलेम ने अपने गुर्गों से गुलशन कुमार की हत्या करवा दी। वारदात के बाद नदीम भारत से फरार हो गया। वह अभी भी वह मुंबई पुलिस की पकड़ से बाहर है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -