केरल के सायरो-मालाबार चर्च ने अपने क्षेत्र में रहने वाले उन सभी परिवारों को वित्तीय मदद देने की घोषणा की है, जिनके पाँच या उससे अधिक बच्चे हैं। इसे ईसाई समुदाय की जनसंख्या बढ़ाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। हालाँकि, ईसाई संस्था इसे ‘जन-कल्याणकारी योजना’ बता रहा है। एक तरफ जहाँ पूरे देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रयास चल रहे हैं और बहस छिड़ी हुई है, दूसरी तरफ केरल के चर्च का फैसला विवादों में आ गया है।
केरल के चर्च के प्रचार विभाग द्वारा बनाई गई नीति के अनुसार, 2000 के बाद शादी करने वाले जिन भी जोड़ों के 5 या उससे अधिक बच्चे हैं, उन्हें प्रत्येक माह 1500 रुपए की मदद दी जाएगी। साथ ही चौथे और उससे आगे होने वाले बच्चों के लिए पाला स्थित ‘सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एन्ड टेक्नोलॉजी’ में मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था भी की जाएगी। साथ ही गर्भ सम्बंधित समस्याओं के इलाज के लिए ‘मार स्लीवा मेडिसिटी हॉस्पिटल’ में मुफ्त इलाज की भी व्यवस्था होगी।
चौथे या उससे अगले बच्चों के जन्म के समय इस अस्पताल में ईसाई माँओं का मुफ्त इलाज किया जाएगा और बच्चे के जन्म के बाद देखभाल भी की जाएगी। पादरी जोसेफ कल्लारंगत्त द्वारा बुलाई गई एक ऑनलाइन बैठक में ये फैसला लिया गया था। जिन क्षेत्रों के ईसाईयों के लिए ये योजना है, वो हैं – मीनाचिल तालुका, कोट्टायम तालुका के कुछ हिस्से, एर्नाकुलम जिले में कुठाटुकुल्लम और पिरवोम क्षेत्र का कुछ भाग।
Even as the controversy over the measures to curb population growth in Uttar Pradesh continues to rage, a Catholic Church diocese in central #Kerala has announced a welfare scheme for families with five or more children.https://t.co/FG27Ak4YZc
— The Hindu (@the_hindu) July 27, 2021
साथ ही अरक्कुलम पंचायत और इडुक्की जिले के वेल्लीयमत्तम इलाके को भी इस योजना के तहत कवर किया गया है। इस योजना को ईसाई मजहब में परिवार की संख्या बढ़ाने के लिए लाया गया है। चर्च के साथ-साथ उसके समर्थकों ने भी एक से अधिक बच्चे पैदा करने पर जोर दिया। चर्च ने कहा कि इसीलिए इस योजना को लाया गया है। चर्च का कहना है कि कई परिवार कोरोना व लॉकडाउन के कारण पहले से ही वित्तीय समस्याओं से जूझ रहे हैं, इसीलिए उन्हें मदद मिलेगी।
चर्च ने कहा, “हमें हमारे समुदाय को आगे ले जाने की ज़रूरत है। भले ही ये जनसंख्या वृद्धि की दर बढ़ाने के लिए नहीं हो, लेकिन कम से कम मौजूदा जनसंख्या वृद्धि की दर को बरकरार रखने के लिए तो इसे लाया ही गया है। हम ईसाई परिवारों को ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने की सलाह देते हैं। वर्तमान में हमारे समुदाय की जनसंख्या वृद्धि दर घट रही है। इसके लिए कोई वैज्ञानिक अध्ययन नहीं किया गया है, क्योंकि इसकी ज़रूरत नहीं। पादरियों के साथ चर्चा के बाद पता चला कि यही स्थिति है।