राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की 28वें स्थापना दिवस पर आयोग के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के अथक प्रयासों के कारण ही जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व के राज्यों में शांति और कानून-व्यवस्था के नए युग की शुरुआत हुई है।
उन्होंने आगे कहा, “आज भारत एक विश्व शक्ति के रूप में सामने आया है और उसे नई पहचान मिली है। इसका श्रेय नागरिकों, देश के नेतृत्व और संवैधानिक तंत्र को जाता है।” जस्टिस मिश्रा ने कहा कि भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था का आनंद लेते हैं, क्योंकि यहाँ मंदिर, मस्जिद या चर्च बनाने की स्वतंत्रता है, जो कई देशों में हासिल नहीं है।
उन्होंने कहा कि आज बाहरी ताकतों के इशारे पर भारत में मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाने का चलन बन गया है। राजनीतिक हिंसा को लेकर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि 20वीं शताब्दी में राजनीतिक हिंसा में 12 करोड़ लोग मारे गए और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजनीतिक हिंसा अभी समाप्त नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि आतंकियों को स्वतंत्रता सेनानी नहीं कहा जा सकता और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को राजनीतिक और आतंकी घटनाओं की निंदा करनी चाहिए। जस्टिस मिश्रा ने कहा, “हम उन लोगों का महिमामंडन नहीं कर सकते, जो निर्दोष लोगों की हत्या करते हैं।”
इसी कारण में प्रधानमंत्री नरेंद्र को संबोधन के लिए आमंत्रित करते हुए जस्टिस मिश्रा ने कहा कि बेहद लोकप्रिय और मेहनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करते हुए उन्हें गर्व हो रहा है। हालाँकि, जस्टिस मिश्रा के इस संबोधन पर वकील प्रशांत भूषण ने नाराजगी जाहिर की।