प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन जिलों के अधिकारियों के साथ अलग से बैठक की, जहाँ कोरोना टीकाकरण का औसत कम है। उन्होंने महत्वपूर्ण सलाह दिए और मदद का आश्वासन भी दिया। उन्होंने कहा कि दीवाली के कारण मुख्यमंत्रियों की व्यस्तताएँ समझ सकते हैं, लेकिन फिर भी उनकी उपस्थिति को लेकर वो आभारी हैं। उन्होंने कहा कि ये उन मुख्यमंत्रियों की प्रतिबद्धता को दिखाता है और इससे उन जिलों के अधिकारियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा, जहाँ कोरोना टीकाकरण का औसत कम है।
उन्होंने कहा कि आज आशा वर्कर्स से लेकर मेडिकल कर्मचारियों ने सुदूर इलाकों में भी कोरोना वैक्सीन पहुँचाई है। उन्होंने चेताया कि बीमारी और दुश्मन को कभी कम नहीं आँकना चाहिए, इसीलिए 100 करोड़ टीकाकरण के बाद अब हमें ढीला नहीं पड़ना है। उन्होंने कहा कि हमने नए-नए तरीके और तक़रीबों से टीकाकरण को सफल बनाया। उन्होंने जिलों को नए इनोवेटिव तरीकों और तकनीकों से टीकाकरण की प्रक्रिया में जान डालने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जहाँ शत-प्रतिशत टीकाकरण हुआ है, वहाँ भी कई चुनौतियाँ थीं।
उन्होंने कहा कि अब टीकाकरण से जुड़ा कई महीनों का अनुभव हमारे पास है और आशा वर्कर्स ने भी इस अज्ञात दुश्मन से लड़ने की लड़ाई सीख ली है। उन्होंने है गाँव, गाँव के मोहल्लों और कहीं 4 घर बाकी रह गए तो वो 4 घर – हमें अंत तक ध्यान देना है। उन्होंने कैम्प लगा कर और अलग-अलग रणनीति बना कर गाँव-कस्बों तक टीकाकरण पहुँचाने की सलाह दी। इसके लिए उन्होंने NCC-NSS के साथियों की मदद लेने को कहा और कहा कि महिला अधिकारी खास तौर पर वैक्सीनेशन में जी-जान से जुटी हुई हैं।
उन्होंने कहा कि पुलिस में जो महिलाएँ हैं, उन्हें भी एक सप्ताह के लिए इस कार्य में लगाया जाए तो परिणाम बेहतर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अफवाह और लोगों का भ्रम इसके मार्ग में बड़ी चुनौती है, लेकिन जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे तो पाएँगे कि कुछ कंसन्ट्रेटेड क्षेत्रों तक ही ये सीमित रहेगा। उन्होंने इस प्रक्रिया में स्थानीय लोगों को जोड़ने, उनके वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर डालने और धर्मगुरुओं से भी मदद लें। उन्होंने कहा कि सभी धर्मगुरु कोरोना टीकाकरण के हिमायती हैं और इसका विरोध नहीं करते।
उन्होंने बताया कि पोल फ्रांसिस से वेटिकन में उनकी अच्छी मुलाकात हुई और धर्मगुरु लोगों का संदेश टीकाकरण के मामले में जनता तक पहुँचाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों को टीकाकरण सेंटर तक पहुँचाने पर अब तक जोर था, अब ‘हर घर टीका, घर-घर टीका’ नारे के साथ इसमें जुटना है। उन्होंने कहा कि सामाजिक और भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से उन जिलों के सफल मॉडल को अपनाएँ, जो आपके अनुकूल हो और जहाँ सफल टीकाकरण हुआ हो।
उन्होंने ऐसे अधिकारियों से सलाह लेने को कहा, जिन्होंने अपने क्षेत्रों में सफलतापूर्वक वैक्सीनेशन किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे जिलों से सीखना चाहिए कि वहाँ क्या तकनीक अपनाई गई। उन्होंने कहा कि आदिवासियों-वनवासियों को कोरोना टीके लगाने के लिए समाज के सम्मानित साथियों का साथ और सहयोग इस मामले में एक बड़ा फैक्टर है। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे बिरसा मुंडा की जयंती आएगी तो माहौल बनाना है कि उनको श्रद्धांजलि के रूप में हम सब वैक्सीन लगवाएँगे।
उन्होंने कोरोना टीकाकरण से भावनात्मक चीजें जोड़ने की सलाह दी। उन्होंने याद दिलाया कि कई जगह ऐसे गीत बनाए गए हैं, जिनसे जागरूकता फैलाई जा रही है। उन्होंने पहली के साथ-साथ दूसरी डोज लगाने पर भी ध्यान देने की सलाह देते हुए कहा कि लोगों को लगने लगता है कि जल्दी क्या है, लगा लेंगे। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े देशों में कोरोना खतरा पैदा कर रही है, हमारे देश में हम ये स्वीकार नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि हर राज्य को एडवांस में बताया जा रहा है कि अगले एक महीने में कितनी वैक्सीन दी जाएगी, जिससे उन्हें टारगेट की योजना बनाने में आसानी हो।
उन्होंने कहा, “आप वो दिन याद कीजिए, जब आपकी सरकारी सेवा का पहला दिन था। जिले के अधिकारी कल्पना करें, वो अपने प्रशिक्षण के बाद किस भावना और जज्बा के साथ सरकारी सेवा में आए थे। इससे आपके भीतर कुछ अच्छा करने, नया करने और समाज के वंचितों को अपना जीवन समर्पित करने का इससे बड़ा कोई अवसर नहीं होगा। इस भाव के साथ आपके साझा प्रयास से आपके जिलों में कोरोना टीकाकरण की स्थिति सुधर जाएगी। ‘हर घर दस्तक’ देकर टीका लगाएँ। देश के लोग भी खुद टीका लगवाने के अलावा रोज कुछ लोगों को टीका लगाने के लिए प्रेरित करें।”