मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने अपने पास अनिल देशमुख मामले में सबूत होने से इनकार किया है। उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री देशमुख पर मुंबई के रेस्तरां और बार से 100 करोड़ रुपए की वसूली का टारगेट देने का आरोप लगाया था। इस केस की जाँच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित चाँदीवाल आयोग के समक्ष एफिडेविट दायर कर सिंह ने यह बात कही है। इस बीच अब मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने देशमुख के बेटे ऋषिकेश को भी पूछताछ के लिए तलब किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने 22 अक्टूबर को न्यायमूर्ति केयू चाँदीवाल (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाली जाँच आयोग को सूचित किया था कि उनके पास महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के मामले में आयोग को बताने के लिए कुछ भी नहीं है।
उल्लेखनीय है कि उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटकों से भरी कार मिलने के मामले में सचिन वाजे और अनिल देशमुख की गिरफ्तारी के मामले में परमबीर सिंह अहम कड़ी हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) देशमुख को मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार मामले में पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। मार्च में मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से हटाए जाने के तुरंत बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में सिंह ने आरोप लगाया था कि देशमुख ने वाजे को रेस्तरां और बार से 100 करोड़ रुपए की वसूली का टारगेट दे रखा था।
देशमुख के बेटे के ईडी ने किया तलब
इस बीच प्रवर्तन निदेशालय ने अनिल देशमुख के बेटे ऋषिकेश को पूछताछ के लिए समन जारी किया है। उन्हें शुक्रवार (5 नवंबर 2021) को जाँच एजेंसी के समक्ष पूछताछ के लिए उपस्थित होने को कहा गया है। ईडी के मुताबिक, सचिन वाजे ने कथित तौर पर मुंबई के आर्केस्ट्रा बार मालिकों से 4.7 करोड़ रुपए वसूले थे, जिसे उन्होंने देशमुख के सहायक सचिव संजीव पलांडे को दिया और पलांडे ने नागपुर में किसी को ये पैसे दिए। बाद में उसे हवाला के जरिए दिल्ली के सुरेंद्र कुमार जैन और वीरेंद्र जैन के पास भेजा गया और उन्होंने उस पैसे को नागपुर के साईं शिक्षण संस्थान को दान कर दिया, जिसका मालिकाना हक देशमुख परिवार के पास है।