Sunday, December 22, 2024
Homeविविध विषयधर्म और संस्कृतिइन्हें कहते हैं 'ऑस्ट्रेलिया की राधा', जिन्होंने पर्थ में ही बना दिया 'मिनी वृन्दावन':...

इन्हें कहते हैं ‘ऑस्ट्रेलिया की राधा’, जिन्होंने पर्थ में ही बना दिया ‘मिनी वृन्दावन’: श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त जगत तारिणी दासी

मेलबर्न में जन्मीं जगत तारिणी दासी ने 13 वर्षों का समय वृन्दावन में बिताया था, जहाँ से उनका जीवन बदल गया। 21 वर्ष की उम्र में उन्होंने थिएटर और आर्ट के अपने शौक के कारण सिडनी का रुख किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (28 अक्टूबर, 2021) को अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ के दौरान जगत तारिणी दासी नामक एक कृष्ण भक्त महिला का जिक्र किया, जिन्हें ‘ऑस्ट्रेलिया की राधा’ भी कहा जाता है। जगत तारिणी दासी मूल रूप से ऑस्ट्रेलिया की हैं, लेकिन भारत आने के बाद हिन्दू धर्म ग्रंथों में उनकी आस्था के कारण यहाँ की मिट्टी से उन्हें इतना लगाव हो गया कि वो भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त बन गईं। आइए, सबसे पहले जानते हैं कि पीएम मोदी ने उनके बारे में क्या कहा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में एक शहर है, पर्थ। क्रिकेट प्रेमी लोग इस जगत से भली-भाँति परिचित होंगे, क्योंकि पर्थ में अक्सर क्रिकेट मैच होते रहते हैं। पर्थ में ‘Sacred India Gallery’ नाम से एक आर्ट गैलरी भी है। यह गैलरी स्वान वैली के एक खूबसूरत क्षेत्र में बनाई गई है। ये ऑस्ट्रेलिया की एक निवासी जगत तारिणी दासी जी के प्रयासों का नतीजा है। जगत तारिणी जी वैसे तो हैं ऑस्ट्रेलिया की, जन्म भी वहीं हुआ, लालन-पालन भी वहीं हुआ, लेकिन 13 साल से भी अधिक समय वृन्दावन में आकर के उन्होंने बिताया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे बताया, “उनका कहना है, कि वे ऑस्ट्रेलिया लौट तो गईं, अपने देश वापस तो गईं, लेकिन वो कभी भी वृन्दावन को भूल नहीं पाईं। इसलिए, उन्होंने वृंदावन और उसके आध्यात्मिक भाव से जुड़ने के लिए ऑस्ट्रेलिया में ही वृन्दावन खड़ा कर दिया। अपनी कला को ही एक माध्यम बना करके एक अद्भुत वृन्दावन उन्होंने बना लिया। यहाँ आने वाले लोगों को कई तरह की कलाकृतियों को देखने का अवसर मिलता है। उन्हें भारत के सर्वाधिक प्रसिद्ध तीर्थस्थलों – वृंदावन, नवाद्वीप और जगन्नाथपुरी की परंपरा और संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में इसका भी जिक्र किया गया था कि कैसे यहाँ पर भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ी कई कलाकृतियाँ भी प्रदर्शित की गई हैं। उन्होंने बताया कि इनमें से एक कलाकृति ऐसी भी है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उँगली पर उठा रखा है, जिसके नीचे वृंदावन के लोग आश्रय लिए हुए हैं। बकौल पीएम मोदी, जगत तारिणी दासी का यह अद्भुत प्रयास वाकई हमें कृष्ण भक्ति की शक्ति का दर्शन कराता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रयास के लिए उन्हें शुभकामनाएँ भी दी। मेलबर्न में जन्मीं जगत तारिणी दासी ने 13 वर्षों का समय वृन्दावन में बिताया था, जहाँ से उनका जीवन बदल गया। 21 वर्ष की उम्र में उन्होंने थिएटर और आर्ट के अपने शौक के कारण सिडनी का रुख किया। 1970 में उन्होंने भारत के उत्तर प्रदेश के मथुरा में स्थित वृन्दावन को ही अपना ठिकाना बना लिया। यहाँ के भोजन, परंपराएँ, लोगों और कला से वो जुड़ गईं। वो इस्कॉन की भी सदस्य बन गईं।

इसके बाद वो वृन्दावन आने वाले लोगों को यहाँ की संस्कृति और महिमा के बारे में जानकारी देने लगीं। वो समाजसेवा में भी रुचि रखती थीं। देश के कई अन्य धार्मिक स्थलों की यात्राएँ करने के बाद 1996 में वो वापस ऑस्ट्रेलिया तो गईं, लेकिन वहाँ भी वृन्दावन को अपने मन में ज़िंदा रखा। भारत आने से पहले उन्होंने कई अन्य देशों में भी भ्रमण किया था। एक दोस्त ने अपने निधन से पहले भारत से उन्हें श्रीकृष्ण की एक छोटी सी प्रतिमा भेजी, जिसके बाद उन्हें आर्ट गैलरी बनाने का ख्याल आया।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -