2014 में सूरत के गोपीपुरा में रहने वाली एक जैन साध्वी ने भारत के राष्ट्रपति, गुजरात के राज्यपाल और राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, तत्कालीन मंत्री (अब उत्तर प्रदेश की राज्यपाल) आनंदीबेन पटेल को एक पत्र लिखा था। ये पत्र था उस प्रताड़ना के बारे में, जो वो झेल रही थीं। गोपीपुरा, जो कभी जैन बहुल इलाका हुआ करता था, अब मुस्लिमों के प्रभाव वाला बन गया है। उन्होंने बताया था कि वो जिस क्षेत्र में रह रही हैं, वहाँ 1 किलोमीटर के दायरे में 25 जैन मंदिर और 35 जैन उपाश्रय हैं।
सूरत का गोपीपुरा: जब एक साध्वी ने पत्र लिख कर बताया था कैसे जैन समुदाय को किया गया प्रताड़ित
वहाँ उस समय 70-80 जैन साध्वियाँ रह रही थीं। साध्वी ने उस पत्र में बताया था कि कैसे ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम उस इलाके में आकर उसे अपना निवास स्थान बना रहे हैं। नानन्द भोजाई उपाश्रय, श्री सुलसा श्राविका आराधना भवन, पराग अपार्टमेंट्स, गणेश सोसाइटी और स्मिता अपार्टमेंट्स संख्या 3 में रहने वाले सारे के सारे मुस्लिम ही थे। इसके अलावा नवपद 5-7, यश अपार्टमेंट्स, मेघगंगा, नवकार और आकाश डायमंड्स जैसे अपार्टमेंट्स में मुस्लिमों की ही अधिकतर संख्या हो गई है, ऐसा उन्होंने 8 वर्ष पूर्व ही बताया था।
इस पत्र में साध्वी ने लिखा था कि सारे मनुष्य समान ही हैं, लेकिन मुस्लिमों में ‘तामसिक और जुनूनी’ प्रवृत्ति होती है, जिससे साधु-महात्माओं को खासी परेशानी हो रही है। उन्होंने बताया था कि कैसे मुस्लिम परिवारों ने 4-5 बिल्लियाँ और बकरियाँ रखी हुई हैं। एक अपार्टमेंट में एक मुस्लिम परिवार ने अपनी दो बकरियाँ बाँध रखी थीं। ठंड से वो बकरियाँ रात में चिल्लाती रहती थीं। साध्वी ने कहा था कि इससे उन्हें काफी दुःख होता है और जिस तरह पशुओं की देखभाल करते हुए उनकी परवरिश हुई है, उनके अंदर जानवरों के प्रति दया भावना है, जिससे ये सब देखा नहीं जाता।
साध्वी ने जानकारी दी थी कि मुस्लिम लड़के कुत्तों को खदेड़ कर उन्हें बेल्ट से पीटते रहते हैं और दूसरे लोगों के घर के बाहर प्याज-लहसुन के छिलके छोड़ जाते हैं। बता दें कि जैन समाज प्याज-लहसुन और आलू का सेवन नहीं करता है। 2013 में बकरीद के दौरान की एक घटना को याद करते हुए साध्वी ने लिखा था कि एक मुस्लिम परिवार के पास भैंस का बच्चा भी था। ईद के दौरान जानबूझ कर मुस्लिम लड़के बकरियों को उपाश्रय से होकर ले जाते थे, ताकि साध्वियों को चिढ़ाया जा सके।
साध्वी ने एक महबूब भाई के बारे में भी बताया था, जिसने दो बड़े बकरों को तभी मार डाला जब वो लोग भोजन करने के लिए बैठे थे। वो बकरा जोर-जोर से चिल्ला रहा था। इसी तरह सुबह के 4 बजे एक बकरे को काट डाला गया। साध्वी ने बताया था कि तड़के उस समय को ‘ब्रह्म मुहूर्त’ कहा जाता है और वो उस समय ‘नवकार जाप’ कर रही थीं। उन्होंने बताया कि वो जोर-जोर से उस समय ये मंत्र पढ़ने लगी थीं। उन्होंने बताया कि कैसे रश्मि अपार्टमेंट के पास बकरों का खून पानी की तरह बह रहा था।
तब वो भोजन करने के लिए जैन श्राविका जा रही थीं। उन्होंने बताया कि पहले उन्हें ये पानी और कुमकुम लगा, लेकिन फिर पता चला कि ये बकरों का खून है। उन्होंने तब नरेंद्र मोदी से माँग की थी कि 2-3 लाख रुपए ज्यादा के लिए मुस्लिमों को घर बेचने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि डेमोग्राफी शिफ्ट को रोका जा सके। उक्त साध्वी ने आत्महत्या की भी कोशिश की थी, लेकिन उन्हें बचा लिया गया था। कई लोगों ने इस तरह के मामलों को झेला था और आवाज़ उठाई थी, जिसके बाद ‘डिस्टर्बड एरिया एक्ट’ बना।
बता दें कि ‘Gujarat Prohibition of Transfer of Immovable Property and Provisions of Tenants from Eviction from Premises in Disturbed Areas Act, 1991’ को ही ये नाम दिया गया है। इसे 2019 में गुजरात विधानसभा ने पारित किया था और अक्टूबर 2020 में इस पर भारत के राष्ट्रपति की मुहर लगी। 1986 में जब दंगे हुए थे और कॉन्ग्रेस के माधवसिंह सोलंकी मुख्यमंत्री थे, तभी इस बिल को लाया गया था। तब कई संपत्तियों को सस्ते में ही आनन-फानन में बेच डाला गया था।
इस एक्ट को किसी खास पुलिस थाना क्षेत्र में लागू किया जाता है। किसी खास समुदाय के ध्रुवीकरण को लेकर शिकायत आने पर कार्रवाई होती है। पुलिस कमिश्नर इसकी जाँच करते हैं। 5 साल तक किसी क्षेत्र को ‘डिस्टर्बड एरिया’ घोषित किया जाता है, जिसके बाद इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। कुछ दिनों पहले गोपीपुरा का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें एक बुर्कानशीं महिला लोगों के दरवाजा खटखटा कर पूछ रही थीं कि उनका घर बेचने के लिए उपलब्ध है या नहीं।
स्थानीय लोगों ने उस महिला का विरोध भी किया था और फटकार लगाई थी। ‘सुनिश अपार्टमेंट्स’ के सीसीटीवी में वो वीडियो रिकॉर्ड हो गया था। इस फ्लैट के पास ही जैन देरासर है। इसके 1 किलोमीटर के दायरे में 30 जैन मंदिर हैं। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में यहाँ की डेमोग्राफी में बड़ा बदलाव हुआ है। बताया जा रहा है किअब यहाँ के 50% निवासी मुस्लिम हैं। एक व्यक्ति ने बताया कि डेढ़-दो दशक पहले ही चीजें बदलनी शुरू हो गई थीं। महावीर, पीनल, नवकार, गणेश, नीरव, पंचरत्न, रंगकला और स्वाति अपार्टमेंट्स – इन सब में जैन परिवार ही रहा करते थे।
MusIim women threaten/force Jain families to sell their homes to them..This video is said to be from a M dominated area of Surat, Gujarat.
— Mr Sinha (@MrSinha_) December 21, 2021
This is what happens when they become majority.. #TwoAndHalfFrontWar pic.twitter.com/TqsN6nWtrq
उक्त व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अब उन सभी फ्लैट्स में मुस्लिम परिवार रहते हैं। उन्होंने कहा कि ये मुस्लिम परिवार मांसाहारी भोजन पकाते हैं और इतना गंदा दुर्गन्ध आता है कि जान परिवार शाम 6 बजे के बाद अपने किचन में भी नहीं जा पाते। बता दें कि ‘अहिंसा’ जैन धर्म का मूल है, जहाँ शाकाहारी भोजन का नियम बनाया गया है, क्योंकि मांसाहार हिंसा है। वहाँ के निवासी ने महिलाओं और लड़कियों की प्रताड़ना की भी बात बताई।
उसने बताया कि एक लड़की को प्रताड़ित किया गया था, जिसके बाद उसके परिवार को ये इलाका ही छोड़ना पड़ा। इसी तरह 6 महीने पहले उस व्यक्ति की बेटी के साथ ही छेड़छाड़ की गई। उसने जानकारी दी कि वहाँ चल रहे ‘श्री रत्नसागर स्कूल’ के अधिकतर छात्र भी मुस्लिम ही हैं। लोग अब वहाँ से निकलना चाहते हैं, क्योंकि मुस्लिम जनसंख्या तेज़ी से बढ़ी है। ‘सुनिश अपार्टमेंट्स’ में 14 में से 12 फ्लैट्स बिक चुके हैं और अधिकतर खरीददार मुस्लिम ही हैं।
सूत्रों का कहना है कि ये करार ‘डिस्टर्बड एरिया एक्ट’ का उल्लंघन करते हैं, इसीलिए उन्हें रद्द किया जा सकता है। 2014 में गोपीपुरा के लोगों की इस व्यथा को एक गुजरती अख़बार ने प्रकाशित भी किया था। 2014 में ‘दिव्य भास्कर’ की एक खबर में आया था कि कैसे एक जैन लड़की को लालच देकर फँसाया गया और उसकी अश्लील तस्वीरें वायरल कर दी गईं। एक अन्य महिला की सगाई के बाद इस तरह के वीडियोज वायरल कर दिए गए, जिससे उसने आत्महत्या कर ली।
तब मुंबई में उसके रिश्तेदारों तक ये वीडियोज पहुँच गए थे। एक प्रतिष्ठित स्थानीय व्यक्ति ने तब बताया था कि जान परिवारों को प्रताड़ित कर के वहाँ से भगाने के लिए इस तरह की चीजें की जा रही थीं। गोपीपुरा में एक दरगाह भी है, जिसे मेनस्ट्रीम मीडिया हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रत्येक बता कर प्रचारित करता है। वहाँ आसपास में बहुत सारे बांग्लादेशी प्रवासी बस गए हैं। लोगों का कहना है कि दरगाह में उन्हें पनाह मिलती है और प्रशासन सब कुछ जानबूझ कर भी अनजान बना हुआ है।
भरूच का सोनी फलिया: जिस शहर का नाम स्कन्द पुराण में, वहाँ मंदिरों के आसपास मुस्लिमों का बोलबाला
इसी तरह के मामले भरूच के सोनी फलिया इलाके में भी सामने आए हैं। वहाँ कई हिन्दुओं ने अपने घर बेचने के बैनर लगा दिए थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि किस तरह इस शहर की समृद्ध विरासत को धता बताया जा रहा है। ये वो शहर है, जिसका जिक्र स्कन्द पुराण तक में है। अब वहाँ स्थिति दिनोंदिन बिगड़ रही है। पुरानी संरचनाएँ, जिन्हें बचा कर रखी जानी चाहिए उन्हें बतौर शौचालय प्रयोग में लाया जा रहा है। ASI से सर्वे की माँग हो रही है।
यहाँ अधिकतर घरों में ताले जड़े हुए हैं। वहाँ से कुछ ही दूरी पर साईं जलराम मंदिर स्थित है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इसके आसपास भी मुस्लिम बस गए हैं और वो शाम में मंदिर की आरती पर आपत्ति जताते हैं। उनका कहना है कि भजन ‘हराम’ है, इसीलिए ये बंद होना चाहिए। इससे 150 यार्ड्स की दूरी पर शिव मंदिर है।वहाँ भी अधिकतर निवासी मुस्लिम हैं। लोगों का कहना है कि ‘डिस्टर्बड एरिया एक्ट’ में लूपहोल खोज कर मुस्लिमों ने संपत्तियाँ अपने नाम कराईं और विरोध करने पर पुलिस-प्रशासन ने उलटा हिन्दुओं पर ही मामला दर्ज करने की धमकी दी।
एक स्थानीय व्यक्ति ने खाली पड़ी सड़कों को दिखाया। उसने बताया कि किसी हिन्दू से हिन्दू को संपत्ति बेचीं जाती है और कुछ ही महीनों में उसे मुस्लिम को बेच दिया जाता है। उसने बताया कि पहले एक-दो मुस्लिम अधिक दाम देकर संपत्ति खरीदते हैं, जिससे प्रभावित होकर बाकी हिन्दू भी अपनी संपत्ति बेचने के बारे में सोचने लगते हैं। एक बार डेमोग्राफी बदल जाए तो बचे-खुचे हिन्दुओं को सस्ते दाम में ही अपनी संपत्ति बेचनी पड़ती है, क्योंकि वहाँ से निकलना उनकी विवशता होती है।
वहाँ एक शौकत अली आकर बसा और अब उसके कई रिश्तेदार भी इसी इलाके में रहते हैं। वहाँ के स्थानीय लोगों को विदेशी नंबर से फोन कॉल आए, जिनमें उन्हें धमकी दी गई और संपत्ति खरीदने के लिए ज्यादा रुपए का लालच दिया गया। एक व्यक्ति ने बताया कि पहले मुस्लिमों के साथ सब हँसी-ख़ुशी रहते थे और वो खुद अपने मुस्लिम दोस्तों के साथ एक ही स्कूल में जाता था, लेकिन 1992 में उन्हें लोगों ने मस्जिद से निकल कर उस पर हमला किया और उसे अधमरा छोड़ कर चले गए।
उस व्यक्ति ने बताया कि उसे 17 बार चाकुओं से गोदा गया है, ऐसे में किसी तरह बचने के बाद वो अपनी दूसरी ज़िन्दगी जी रहा है। उसने दिखाया कि कभी मोरारजी देसाई (जो भारत के प्रधानमंत्री बने) इस इलाके में रहा करते थे, जो उस समय ‘प्रान्त अधिकारी’ थे। जिला प्रशासन इन विरासतों को सँजोने में कोई रुचि नहीं दिखा रहा है। मस्जिद-दरगाहों की संख्या बढ़ रही है। अमोद के कांकरिया गाँव में कई जनजातीय लोगों को मुस्लिम बनाने का आरोप है। लोग इस्लामी धर्मांतरण को मिल रही फंडिंग रोकने की माँग भी कर रहे हैं।
(ये गुजरात में ‘लैंड जिहाद और इस्लामी धर्मांतरण’ सीरीज का तीसरा लेख है, जो मूल रूप से हमारे अंग्रेजी वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ था।)