उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर में 3 अप्रैल 2022 को ‘अल्लाहु अकबर’ के नारों के साथ हमले को अंजाम देने वाले मुर्तजा अब्बासी के लिंक वैश्विक आतंकी संगठन ISIS से जुड़े बताए जा रहे हैं। अब तक जो जानकारी सामने आई है, उससे पता चलता है कि वह यूट्यूब पर जिहाद से जुड़े वीडियो देखता था। लोन वुल्फ अटैक के भी वीडियो देखता था। जाकिर नाइक से प्रभावित था। यूपी पुलिस ने भी इस हमले के पीछे बड़ी साजिश का अंदेशा जताते हुए आतंकी एंगल से जाँच की बात कही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या गोरखनाथ मंदिर पर हुआ हमला लोन वुल्फ अटैक (Lone wolf attack) था?
क्या होता है लोन वुल्फ अटैक
लोन वुल्फ अटैक आतंकवाद फैलाने का नया जरिया बन गया है। लोन वुल्फ अटैक में दहशत फैलाने के लिए किसी बड़ी योजना या साधनों की जरूरत नहीं पड़ती। दुनिया भर में लोन वुल्फ अटैक में सैंकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। ऐसे हमलों में आतंकी आमतौर पर चाकू, ग्रेनेड और छोटे धारदार हथियारों का इस्तेमाल करते हैं। अकेला आतंकी ही ऐसे हमलों को अंजाम देता है। मकसद अकेले ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुँचाना होता है। लोन वुल्फ हमलावर इंटरनेट के जरिए आतंकी संगठनों के साथ जुड़े होते हैं और उनके उकसावे पर हमले को अंजाम देते हैं।
लोन वुल्फ हमलों में तेजी
इंडियन एक्सप्रेस ने इस साल जनवरी में अपनी रिपोर्ट में बताया था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय से प्राप्त आँकड़ों से पता चलता है कि आतंकवादी कश्मीर में सुरक्षा बलों के खिलाफ तेजी से लोन वुल्फ हमलों का सहारा ले रहे हैं। आतंकियों ने 2020 में सुरक्षा बलों पर 1 आईईडी हमला किया, वहीं 2021 में 8 ऐसे हमले किए। ऐसे हमलों को अकेला आतंकी ही अंजाम देता है, जिससे वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को मार सके। अकेले आतंकी की साजिश का पता लगाना भी काफी मुश्किल होता है।
1988 में पहला लोन वुल्फ अटैक
यूरोप और अमेरिका में 90 के दशक की शुरुआत में लोन वुल्फ अटैक के मामले दर्ज होने शुरू हो गए थे। पहला ऐसा आतंकी हमला 15 नवंबर 1988 को दुनिया के सामने आया था। साउथ अफ्रीका के प्रिटोरिया में हुए इस हमले को ब्ररेंड स्ट्रेडॉम ने अंजाम दिया था। उसने अचानक ही स्ट्रीडोम स्क्वायर पर गोलियाँ चलानी शुरू कर दी। इस घटना में सात लोगों की मौत हो गई और 15 लोग घायल हो गए थे। 14 दिसंबर 2012 को कनेक्टिकट के न्यूटाउन में 20 वर्षीय आतंकी ने फायरिंग कर 26 लोगों को मार दिया था और 20 लोग घायल हो गए थे। बाद में उसने (आतंकी) खुद को भी गोली मार ली थी। वहीं 12 जून 2016 को ओरलैंडो के एक नाइटक्लब में 29 वर्षीय अमेरिकी नागरिक उमर मतीन ने फायरिंग कर करीब 50 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इस हमले में 53 घायल भी हो गए थे।
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, अब भारत समेत पूरे दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों में लोन वुल्फ हमलों का खतरा बढ़ गया है। इसका एक मुख्य कारण यह भी है कि लोन वुल्फ आतंकी घटनाओं के बारे में जानकारी हासिल करना मुश्किल होता है। हमलावर अकेला होता है। आमतौर पर ऐसे हमलावर स्थानीय नागरिक होते हैं। सोशल मीडिया के जरिए इस्लामिक स्टेट (आईएस) जैसे आतंकी संगठनों के संपर्क में आते हैं। इन पर एजेंसियों का शक नहीं जाता। ऐसे हमलावर आतंकी सोच और मजहबी उन्माद को चुपचाप पालते रहते हैं और मौका मिलते ही आम नागरिकों को निशाना बनाते हैं।
दिल्ली में लोन वुल्फ अटैक की साजिश
अगस्त 2020 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने आतंकी संगठन ISIS के अबू यूसुफ खान को गिरफ्तार किया था। वह लोन वुल्फ अटैक की फिराक में था और उसके निशाने पर कई बड़ी हस्तियाँ थीं। अबू बाइक पर विस्फोटक लेकर दिल्ली में आतंकी हमले को अंजाम देने की कोशिश में था। पुलिस ने उसके पास से 15 किलो IED और कुकर बम बरामद किया था। ये भी पता चला था कि वह ‘इस्लामिक स्टेट इन खोरासन प्रोविंस (ISKP)’ के संपर्क में था और अफगानिस्तान के आतंकियों की मदद से भारत में हमला करने वाला था। वो कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों से भी संपर्क में था।
दशहरे पर होना था लोन वुल्फ अटैक
11 अक्टूबर 2021 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने रमेश पार्क से इलाके से मोहम्मद अशरफ उर्फ अली नाम के एक पाकिस्तानी आतंकी को गिरफ्तार किया था। वह पिछले एक दशक से अधिक समय से फर्जी पहचान पत्र पर देश में रहा था। अली आतंकियों के स्लीपर सेल के रूप में देश में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश में था। वह बांग्लादेश के रास्ते भारत में दाखिल हुआ था और भारत आकर उसने यहाँ का पासपोर्ट भी बनवा लिया था। जाँच में पता चला कि अली पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई के लगातार संपर्क में था और वह दशहरे के दौरान दिल्ली में ‘लोन वुल्फ अटैक’ की साजिश रच रहा था।