Sunday, September 8, 2024
Homeराजनीति‘PM मोदी संसद में हिंदी बोलकर बहस का स्तर गिरा रहे’: MDMK चीफ वायको

‘PM मोदी संसद में हिंदी बोलकर बहस का स्तर गिरा रहे’: MDMK चीफ वायको

"आज डिबेट का स्तर हिंदी की वजह से गिर गया है। पीएम मोदी भी सदन को हिंदी में संबोधित कर रहे हैं। पीएम मोदी सिर्फ हिन्दी बोलकर देश को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं।"

मरुमलारची द्रविड़ मुनेत्र कषगम (MDMK) के महासचिव और राज्यसभा सांसद वायको ने हिंदी को लेकर विवादित बयान दिया है। 23 साल बाद राज्यसभा पहुँचे वायको ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत ज्यादातर सदस्यों के हिंदी में संबोधन पर आपत्ति व्यक्त की। वायको यहीं नहीं रुके, उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी के कारण भी संसद में बहस का स्तर नीचे गिर गया है। उनके विचार में प्रधानमंत्री का सिर्फ हिंदी में संबोधन के पीछे ‘हिंदी, हिंदू, हिंदू राष्ट्र’ की सोच है। वायको का कहना है कि पीएम मोदी सिर्फ हिन्दी बोलकर देश को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं।

वायको ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि पहले संसद में विभिन्न विषयों पर गहरी जानकारी रखने वालों को भेजा जाता था। आज डिबेट का स्तर हिंदी की वजह से गिर गया है। वे बस हिंदी में चिल्लाते हैं। यहाँ तक कि पीएम मोदी भी सदन को हिंदी में संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी में कौन सा साहित्य है? इसकी तो जड़ें ही नहीं हैं। वायको ने कहा कि संस्कृत एक मृत भाषा है। संसद में किसी के हिंदी बोलने पर सदस्य हेडफ़ोन लगा लेते हैं। कोई नहीं समझ पाता इसको।

वायको ने आगे कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी संसद में अंग्रेजी बोला करते थे। मोरारजी देसाई भी संसद में इंग्लिश बोलते थे। इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी, पीवी नरिसिम्हा राव और मनमोहन सिंह भी सदन को अंग्रेजी में संबोधित करते थे। उन्होंने कहा कि सिर्फ मोदी ही बार-बार हिंदी के प्रति प्यार जताते रहते हैं। वो ही हिंदी के कट्टरपंथी हैं। उनकी नजर में हिंदी बोलने के पीछे प्रधानमंत्री की मंशा ‘हिंदी, हिंदू, हिंदू राष्ट्र’ की है। संसद में अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल होना चाहिए।

एमडीएमके महासचिव ने कहा कि जब तक संसद में संविधान की मान्यता प्राप्त सभी 28 भाषाओं में बातचीत शुरू नहीं हो जाती, तब तक सिर्फ अंग्रेजी में ही बातचीत होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू एक महान लोकतांत्रिक थे, जो संसद के सत्र को कभी नहीं छोड़ते थे। लेकिन मोदी शायद ही सत्र में भाग लेते हैं। यदि नेहरू एक पहाड़ हैं, तो मोदी उस पहाड़ का केवल एक हिस्सा हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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