आतंकियों से साठ-गाँठ रखने वाले कश्मीर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अल्ताफ हुसैन पंडित को बर्खास्त कर दिया गया है। उस पर न सिर्फ सक्रिय आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने बल्कि बुरहान वानी के मारे जाने के बाद सरकार विरोधी प्रदर्शनों में शामिल रहने का भी आरोप है।
बताया जा रहा है कि कश्मीर यूनिवर्सिटी में अल्ताफ हुसैन पंडित ने अपनी नियुक्ति के दौरान कैरेक्टर वेरिफिकेशन के सभी प्रक्रियाओं का पालन भी ठीक से नहीं किया था। यह बर्खास्तगी शुक्रवार (14 मई 2022) को की गई है।
Dismissal from service of Mr Altaf Hussain Pandit Professor in Chemistry Department University of Kashmir S/0 Ghulam Hassan Pandit R/o Wadoora Bala Sopore in terms of sub-clause c of the provisoto clause 2 of Article 311 of the Constitution of India. @diprjk pic.twitter.com/P2HMFe4kCh
— The News Now (@NewsNowJK) May 13, 2022
टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक प्रोफेसर अल्ताफ हुसैन साल 1990 से 1993 तक आतंकी समूह JKLF (जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट) का सक्रिय सदस्य था। इसके बाद वो 2015 से 2017 तक कश्मीर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (KUTA) का मेंबर बना। अल्ताफ इसी KUTA का उपाध्यक्ष 2017 से 2018 तक रहा था। वो सरकार के खिलाफ होने वाले कई प्रदर्शनों में प्रमुखता से शामिल रहता था।
प्रोफेसर अल्ताफ हुसैन पंडित ने हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद साल 2016 में होने वाले प्रदर्शन के लिए कॉलेज के छात्रों की भीड़ जमा की थी। खुद भी इसमें शामिल रहा था। इसके अलावा वो कश्मीर यूनिवर्सिटी का कैलेंडर भी इस तरह बनाने के प्रयास में रहता था ताकि गिलानी के द्वारा किए जाने वाले विरोध-प्रदर्शनों के समय कॉलेज-यूनिवर्सिटी बंद रहें, वहाँ के लड़के ज्यादा से ज्यादा इनमें शामिल हो सकें।
TOI EXCLUSIVE: Kashmir Univ professor sacked over terror links had mobilised students for protests after Burhan Wani’s killing in 2016 and wanted Univ academic calendar synced with Geelani protest calendar. Surprisingly, his background verification for govt service was never done https://t.co/KWLV5LDyfj
— Bharti Jain (@bhartijainTOI) May 15, 2022
अल्ताफ के खिलाफ जाँच कर रही कमेटी ने यह भी पाया कि उसने प्रोफेसर के तौर पर नियुक्ति के लिए जरूरी कैरेक्टर वेरिफिकेशन भी नहीं करवाया था। यह वेरिफिकेशन हर सरकारी सेवा में भर्ती होने से पहले जरूरी होता है। जम्मू-कश्मीर सरकार के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, “एक जाँच से पता चला है कि अल्ताफ उन सैकड़ों लोगों में से एक था, जो सरकारी विरोधी कार्यों को करने के बाद भी सरकारी नौकरी में शामिल हो गया। ऐसा इसलिए हो पाया क्योकि सिस्टम ही दूषित हो चुका था।”
अल्ताफ को उसकी हरकतों के चलते कश्मीर यूनिवर्सिटी का गिलानी कहा जाता था। वो न सिर्फ कश्मीर के प्रशासन में बल्कि वहाँ के छात्रों में हुर्रियत की विचारधारा को फैला रहा था। वह छात्रों को कभी डर और कभी सपोर्ट के बहाने पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित भारत विरोधी प्रदर्शनों के लिए तैयार करता था। जाँच एजेंसियों का दावा है कि अल्ताफ हुसैन इस बात से दुखी था कि साल 2016 के बाद कश्मीर यूनिवर्सिटी का कोई भी छात्र प्रदर्शन के दौरान मरा क्यों नहीं।
प्रोफेसर अल्ताफ हुसैन पंडित ने MSC तक पढ़ाई की है। उसने रसायन विज्ञान में पीएचडी के लिए एप्लाई कर रखा है। वह साल 2004 में कश्मीर यूनिवर्सिटी में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती हुआ था। अल्ताफ मूल रूप से सोपोर के वदूरा का रहने वाला है। बचपन से वह अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी और गुलाम मोहम्मद भट की सोच से प्रभावित था। वह सन 1990 में सीमा पर से हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी ले कर आया था और बाद में JKLF का सक्रिय आतंकी बन गया था। बाद में वह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए गया। इस दौरान वो जमात ए इस्लामी से जुड़ा रहा।
अल्ताफ कश्मीर यूनिवर्सिटी का सिस्टम पाकिस्तान के हिसाब से चलाना चाहता था। साल 2016 से कश्मीर यूनिवर्सिटी के 3 छात्र और एक असिस्टेंट प्रोफेसर आतंकी संगठन ज्वाइन कर चुके हैं। छात्रों के नाम इमरान नबी, शौकत अहमद भट और मोहम्मद आमिर मलिक हैं जबकि असिटेंट प्रोफेसर का नाम रफीक भट है। बताया जा रहा है कि एजेंसियों ने पहले ही अल्ताफ के बारे में चेतावनी दी थी कि वो अपनी भारत विरोधी विचारधारा कई लोगों के दिमाग में डाल रहा है।
कश्मीर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अल्ताफ हुसैन पंडित को बर्खास्त किए जाने से इस यूनिवर्सिटी के कुछ छात्र नाराज हैं। वो धरने पर बैठे हैं। उनका कहना है कि बर्खास्त किए प्रोफेसर को वापस नौकरी पर लाओ।