चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार से जुड़े दस्तावेज लीक होने से नया खुलासा हुआ है। इन दस्तावेजों में हजारों लोगों की तस्वीरें हैं जिन्हें जबरन कैद किया गया है। वहीं दुनिया ये देखकर हैरान है कि उइगर मुस्लिमों पर किस तरह की हिंसा हो रही है और उन्हें कैसे कैद किया गया है।
अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, शिनजियांग में आधिकारिक डेटाबेस को हैक करने वाले एक अज्ञात स्रोत द्वारा चीन पर शोध कर रहे एक शोधकर्ता एड्रियन ज़ेनज़ को भेजे गए ने इन फ़ाइलों को ऑनलाइन अपलोड करने से दुनियाभर की नजर पड़ी है। इन दस्तावेजों से यह भी खुलासा हुआ है कि चीन मुस्लिमों से कुरान, हिजाब समेत सभी धार्मिक-मजहबी चीजें जब्त कर उनकी पहचान मिटा रहा है।
बता दें कि अमेरिका स्थित एकेडेमिशियन एड्रियन ज़ेनज़ द्वारा हासिल की गई इन फाइलों को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेट के नाम से पब्लिश किया गया है। इन दस्तावेजों में इस बात का सबूत देती भी है कि बड़े पैमाने पर उइगर मुस्लिमों और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों में राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित बीजिंग के शीर्ष नेता भी शामिल हैं।
10 लाख से अधिक मुस्लिमों को कर रखा है कैद
दस्तावेजों के हवाले से एड्रियन ने खुलासा किया करते हुए कहा कि चीन ने 10 लाख से अधिक उइगर मुसलमानों और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को डिटेंशन सेण्टर (नजरबंदी केंद्रों) और जेलों में कैद किया है। वहीं, चीन इसे ट्रेनिंग सेंटर कहता है। फाइलों में शिनजियांग में कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व सचिव चेन क्वांगुओ का 2017 का स्पीच भी शामिल है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर इन हिरासत केंद्रों से भागने की कोशिश करने वालों को गोली मारने का आदेश दिया था।
वहीं, चीन के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री झाओ कीझी का 2018 का एक आतंरिक वार्ता भी शामिल है, जिसमें उल्लेख किया गया कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इन डिटेंशन सेंटरों की क्षमता बढ़ाने का आदेश दिया है। जब चीन से इन डिटेंशन सेंटरों की खबर आई तो उसने शुरू में इसका खंडन किया, लेकिन बाद में चीन ने इसके अस्तित्व को स्वीकार किया और दावा किया कि ये वोकेशनल ट्रेनिंग स्कूल हैं, जहाँ धार्मिक कट्टरवाद को रोकने के लिए शिक्षा दी जाती है।
‘देह-व्यापार का शिकार, खिलाता है सूअर का मांस’
गौरतलब है कि इससे पहले अक्टूबर 2021 में खुलासा हुआ था कि चीन उइगर मुस्लिमों के अंगों को बेच रहा है। ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न स्थित अख़बार ‘द हेराल्ड सन’ ने चीन के ऑर्गन ट्रैफिकिंग का खुलासा किया था। रिपोर्ट में बताया गया था कि उइगर मुस्लिम के स्वस्थ लिवर को चीन 1,60,000 डॉलर्स (1.20 करोड़ रुपए) में बेच रहा है। अख़बार के मुताबिक, इन धंधों से चीन को 1 बिलियन डॉलर (7492 करोड़ रुपयों) की कमाई हो रही है।
2017-19 के बीच 80,000 उइगर मुस्लिमों को देह-व्यापार का शिकार बनाया गया था। खास बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHRC) को भी चीन के इस गोरखधंधे की जानकारी है। उसी साल चीन के शिनजियांग क्षेत्र में आधी रात को गिरफ्तार हुई उइगर महिला हसिएत अहमत (57) को उसके पड़ोस के युवाओं को इस्लामिक शिक्षा देने और कुरान की प्रतियाँ छिपाने के लिए 14 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। ये भी खबर आई थी कि शिनजियांग में मुस्लिम महिलाओं की जबरन नसबंदी कराई जाती है, उन्हें सूअर का मांस खाने और शराब पीने के लिए भी मजबूर किया जाता है।
3 साल में 16000 मजहबी स्थल ध्वस्त
चीन में उइगर मुस्लिमों का होता दमन कई वर्षों से चर्चा में बना हुआ है। उनकी संस्कृति, सभ्यता, मजहबी रिवाज, तौर-तरीके, घर की बनावट, साज-सजावट का तरीका सब बदला जा रहा है। इसके अलावा डिटेंशन कैंप में रख कर महिलाओं के साथ रेप, अबॉर्शन समेत तमाम अमानवीयता की जा रही है। इमाम और मौलवियों को भी कैद में रखा जा रहा है। यही नहीं उइगरों की मस्जिद को गिरा कर होटल बनाने की तैयारी में रहने वाला चीन 3 साल में 16000 मजहबी स्थल ध्वस्त कर चुका है।
दूसरी ओर चीन इन सभी दावों को खारिज करता रहता है। उसका कहना है कि उन्होंने कोई मजहबी स्थल जबरन गिराया ही नहीं, जबकि मीडिया खबरें बताती हैं कि 2017 से 2020 के बीच में शिनजियांग के 900 क्षेत्रों में करीब 16000 मस्जिदें या तो आधी या फिर पूरी ध्वस्त हुई हैं। मीनारों को मस्जिद से हटा दिया गया है। रॉयटर्स समाचार एजेंसी की मानें तो हाल ऐसा है कि जब उनका पत्रकार रमजान के माह में उइगर गया तो उसने भी मस्जिदों को या तो पूरा गिरा हुआ या फिर आधा ध्वस्त पाया।
‘हिजाब पहनी लड़कियों को जेल’
फरवरी 2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उइगर मुस्लिमों के साथ होते अत्याचार की खबरों के बीच ये खबर आई थी कि चीन की नजर अब सान्या क्षेत्र के उत्सुल मुस्लिमों पर भी है। इस क्षेत्र में 10 हजार से भी कम संख्या में ये समुदाय रहता है। मगर, वहाँ ‘चीनी सपने’ को साकार करने की आड़ में इस समुदाय पर अप्रत्यक्ष रूप से हमले होने शुरू हो गए थे। जानकारी के अनुसार, सान्या में अब मुस्लिम घरों व दुकानों के बाहर लिखे मजहबी नारों जैसे अल्लाह-हू-अकबर को स्टिकर्स की मदद से ढका गया था। हलाल खाने के बोर्ड को भी रेस्त्रां आदि से हटाया गया था। इस्लामी स्कूलों को बंद कर दिया गया और हिजाब पहनने वाली लड़कियों को जेल भेजने की कोशिश की गई थी