गुजरात के पावागढ़ में जिस प्राचीन मंदिर के शिखर को तोड़कर एक सुल्तान ने दरगाह का निर्माण करवाया था, वहाँ दोबारा काली माता का मंदिर बनकर तैयार हो गया है। 500 साल बाद शनिवार (18 जून 2022) को प्रधानमंत्री मोदी ने यहाँ ध्वज को फहराया तो ये मंदिर दोबारा चर्चा में आया।
जानकारी के मुताबिक, इस मंदिर पर महमूद बेगड़ा नाम के सुल्तान ने 15 वीं सदी में हमला किया था। महमूद गुजरात का छठा सुल्तान था और उसका पूरा नाम अबुल फत-नासिर-उद-दीन महमूद शाह प्रथम था। मात्र 13 साल की उम्र में सुल्तान की गद्दी पर बैठने के बाद उसने गुजरात में 52 साल राज किया।
1459-1511 ई के बीच कई लोगों ने इस सुल्तान का खूँखार रूप कई बार देखा। वह इलाकों को कब्जाने के लिए जंग लड़ता और जब जीत हासिल होती तो वहाँ के राजाओं से इस्लाम कबूल करने को कहता। जैसे ही कोई राजा इस्लाम मानने से मना करता वह उन्हें मौत के घाट उतार देता।
उसने जूनागढ़ और पावागढ़ में भी अपना कब्जा बहुत जल्दी कर लिया था। इसके बाद उसने महाकाली के मंदिर और द्वारका मंदिर को तुड़वाया। हिंदू मंदिरों पर हमले से उसका उद्देश्य साफ था कि हिंदुओं की अपने भगवान के प्रति आस्था कम हो जाए और वह इस्लाम कबूलें।
राक्षसों की तरह खाता था महमूद बेगड़ा
हिंदुओं पर तमाम अत्याचार करने वाला बेगड़ा अपनी राक्षसी भूख के चलते भी कुख्यात रहा। दावा किया जाता है कि बेगड़ा अपने नाश्ते में प्याला भप के शहद, मक्खन और 100-150 केले खा जाता था। उसे रात में सोते समय भी भूख लगती थी इसलिए वह रात में सोने से पहले अपने खाने का इंतजाम करता था और तकिए के पास माँस से भरे समोसे रखवाता था।
जहरीला सुल्तान
महमूद बेगड़ा को लोगों ने जहरीला सुल्तान नाम दिया हुआ है। इसके पीछे भी एक कहानी है जिसका जिक्र ‘द बुक ऑफ ड्यूरेटे बबोसा वॉल्यूम 1’ में मिलता है। किताब में बताया गया कि बेगड़ा का अब्बा नहीं चाहता था कि उसकी औलाद को कोई जहर देकर मारे। इसलिए उसने बेगड़ा को बचपन से जहर का सेवन करवा-करवा कर इतना आदि बना दिया कि उसके शरीर पर जहर ने काम करना बंद कर दिया।
बचपन से जहर खाने की आदत ने बेगड़ा को इतना जहरीला बनाया कि मक्खी तक उसके शरीर को छूकर मर जाती थी। वहीं यदि कोई औरत उसके साथ संबंध बना ले तो वह औरत भी ज्यादा दिन बच नहीं पाती थी। सुल्तान के थूक तक में इतना जहर था कि यदि वो किसी को मारना चाहता था तो पहले पान चबाता था फिर मुँह में थूक बना कर उसकी पिचकारी सामने वाले पर मार देता था। इस तरह जिस पर सुल्तान का थूक गिरता वह आधे घंटे में मर जाता था।
उसकी दाढ़ी और मूछें इतनी बड़ी थीं कि इन्हें लेकर भी तरह तरह की कहानियाँ सुनने में आती है। बताया जाता है कि महमूद ने दाढ़ी इतनी बढ़ा रखी थी कि अगर वो चाहता तो उनके सिर पर साफा भी बाँध लेता था। उसके दरबार में उन लोगों को खास एहमियत दी जाती थी जिनकी दाढ़ी मूँछ लंबी-लंबी हों। कई मंत्री उसके लंबी दाढ़ी वाले थे।
प्राचीन मंदिर को लेकर मान्यता
बता दें कि 15वीं शताब्दी के खूँखार इस्लामी सुल्तान ने पावागढ़ में जिस महाकाली मंदिर को अपना निशाना बनाया था उसे लेकर मान्यता है कि यहाँ पर ऋषि विश्वामित्र ने माता काली की कठोर तपस्या की थी। इसके अलावा श्रीराम भगवान और माता सीता के पुत्रों ने भी पावागढ़ में ही मोक्ष प्राप्त किया था। आज इस स्थान पर बने काली मंदिर का परिसर 30 हजार वर्ग फीट में फैला है। इसके पुननिर्माणग में 120 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।