Monday, May 6, 2024
Homeदेश-समाजबीफ की दुकानों पर नग्न टँगी थी हिन्दू महिलाएँ, रेप के बाद छात्राओं को...

बीफ की दुकानों पर नग्न टँगी थी हिन्दू महिलाएँ, रेप के बाद छात्राओं को खिड़की से लटकाया: जिसने देखा ‘डायरेक्ट एक्शन डे’, उस बुजुर्ग से ही सुनिए बर्बरता

रबीन्द्रनाथ दत्ता ने अपनी आँखों से हिन्दुओं की क्षत-विक्षत लाशें देखी हैं। जमीन पर खून की धार थी, जो उनके पाँव के नीचे से भी बह कर जा रही थी।

भारत के विभाजन के लिए मुस्लिम नेताओं ने 16 अगस्त, 1946 को ‘डायरेक्ट एक्शन डे’ का ऐलान किया था, जब मुस्लिम भीड़ ने हिन्दुओं पर जम कर कहर बरपाया। बंगाल में इसका खासा असर देखने को मिला, जहाँ कई इलाकों में दंगे हुए। नोआखली के दंगे उनमें सबसे ज्यादा कुख्यात हैं। वहाँ तो कई महीनों तक दंगा चलता ही रहा था। महात्मा गाँधी को इलाके में कैंप करना पड़ा था। उस दौरान हुए इन्हीं दंगों को लेकर एक वयोवृद्ध व्यक्ति ने अपने अनुभव साझा किए हैं।

पत्रकार अभिजीत मजूमदार ने इसका वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया है। ‘डायरेक्ट एक्शन डे’ में ज़िंदा बच गए रबीन्द्रनाथ दत्ता ने अपनी आँखों के सामने मुस्लिम भीड़ की क्रूरता को देखा था। उनकी उम्र 92 साल है। इस हिसाब से उस समय वो युवावस्था में थे और उनकी उम्र 24 साल के आसपास रही होगी। उन्होंने बताया है कि कैसे राजा बाजार के बीफ की दुकानों पर हिन्दू महिलाओं की नग्न लाशें हुक से लटका कर रखी गई थीं।

उन्होंने बताया कि विक्टोरिया कॉलेज में पढ़ने वाली कई हिन्दू छात्राओं का बलात्कार किया गया, उनकी हत्याएँ हुईं और उनकी लाशों को हॉस्टल की खिड़कियों से लटका दिया गया। रबीन्द्रनाथ दत्ता ने अपनी आँखों से हिन्दुओं की क्षत-विक्षत लाशें देखी हैं। जमीन पर खून की धार थी, जो उनके पाँव के नीचे से भी बह कर जा रही थी। इनमें से कई महिलाएँ भी थीं, जिनकी लाशों से उनके स्तन गायब थे। उनके प्राइवेट पार्ट्स पर काले रंग के निशान थे।

ये क्रूरता की चरम सीमा थी। रबीन्द्रनाथ दत्ता ने अपने देखे अनुभवों को दुनिया को बताने के लिए ‘डायरेक्ट एक्शन डे’, नोआखली नरसंहार और 1971 नरसंहार पर दर्जन भर किताबें लिखीं। उनकी पत्नी का निधन होने के बाद उनके गहने बेच कर उन्होंने इसके लिए खर्च जुटाया। उनकी आँखों-देखी के साथ-साथ उनका गहन अध्ययन और रिसर्च भी इसमें शामिल था। उनका कहना है कि बंगाल के किसी नेता, फ़िल्मी हस्ती या फिर मीडिया को इससे कोई मतलब नहीं है।

डायरेक्ट एक्शन डे के दिन शुरू हुए दंगे चार दिनों तक चले और उसमें करीब दस हज़ार लोग मारे गए। महिलाएँ बलात्कार का शिकार हुईं और जबरन लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया गया। इन दंगों में हिन्दुओं की ओर से गोपाल चंद्र मुख़र्जी, जिन्हें गोपाल पाठा के नाम से भी जाना जाता है, की भूमिका की कहानी बहुत प्रसिद्ध है। गोपाल मुख़र्जी ने एक वाहिनी का गठन किया था जिसने इन दंगों के दौरान हिन्दुओं की रक्षा की और वाहिनी इस तरह से लड़ी कि ‘मुस्लिम लीग’ के नेताओं को गोपाल मुख़र्जी से खून-खराबा रोकने के लिए अनुरोध करना पड़ा।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘400 पार’ और ‘जय श्री राम’ से गूँजी अयोध्या नगरी: रामलला के सामने साष्टांग दण्डवत हुए PM मोदी, फिर किया भव्य रोडशो

पीएम मोदी ने भव्‍य एवं दिव्य राम मंदिर में रामलला के दर्शन के बाद राम जन्‍मभूमि पथ से रोड शो शुरू किया।

नसीरुद्दीन शाह की बीवी ने ‘चिड़िया की आँख’ वाली कथा का बनाया मजाक: हरिद्वार से लेकर मणिपुर और द्वारका तक घूमे थे अर्जुन, फिर...

अर्जुन ने वन, पर्वत और सागर से लेकर एक से एक रमणीय स्थल देखे। हरिद्वार में उलूपी, मणिपुर में चित्रांगदा और द्वारका में सुभद्रा से विवाह किया। श्रीकृष्ण के सबसे प्रिय सखा रहे, गुरु द्रोण के सबसे प्रिय शिष्य रहे। लेकिन, नसीरुद्दीन शाह की बीवी को लगता है कि अर्जुन के जीवन में 'चिड़िया की आँख' के अलावा और कुछ नहीं था।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -