केरल के एर्नाकुलम में एक ईसाई महिला ने अपने मुस्लिम शौहर पर धर्म परिवर्तन के दबाव का आरोप लगाया है। पीड़िता का कहना है कि उसे शादी के लिए दबाव दिया गया था और नजरबंद कर के रखा गया था। यह मामला तब सामने आया जब केरल हाईकोर्ट के निर्देश पर कुछ माह पहले पुलिस ने पीड़िता के बयान दर्ज किए। महिला ने आगे अपने मुस्लिम शौहर के साथ रहने से मना कर दिया है और अब अकेले रहने की इच्छा जताई है।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक महिला के शौहर ने अपनी बीवी को वापस पाने के लिए केरल उच्च न्यायलय में याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि उसकी बीवी मायके जाने के बाद वापस नहीं लौटी। महिला के शौहर ने इस मामले में लड़की के माता-पिता को भी पक्षकार बनाया था। हालाँकि हाईकोर्ट ने शौहर की याचिका को सुनवाई योग्य न मानते हुए ख़ारिज कर दिया।
जानकारी के मुताबिक 13 अक्टूबर 2021 को विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत ईसाई महिला और मुस्लिम युवक की शादी हुई थी। इसके बाद दोनों एक साथ ही रहते थे। महिला के शौहर द्वारा कोर्ट में दिए गए बयान के मुताबिक शादी के बाद 15 दिसम्बर 2021 को उनकी पत्नी अपनी बीमार दादी को देखने के लिए अपने मायके गई थी।
शौहर ने आरोप लगाया है कि क्रिसमस के बाद अभी उनकी पत्नी लौट कर नहीं आई। याचिका में कहा गया था कि उसकी पत्नी को उसके पिता ने अवैध तौर पर बिना लड़की की मर्जी के अपने पास रख रखा है। महिला की ससुराल अलाप्पुझा में है।
शौहर के इन आरोपों पर जब पुलिस उसकी पत्नी का बयान लेने पहुँची तब वहाँ कुछ और ही जानकारी मिली। याचिकाकर्ता की ईसाई पत्नी ने अपने शौहर के साथ रहने से साफ इंकार कर दिया।
पीड़िता ने पुलिस को आगे बताया कि वो अपने शौहर द्वारा आत्महत्या की दी गई धमकी के बाद उसके साथ गई थी। लड़की ने यह भी बताया कि 4 सितंबर 2021 को आरोपित मुस्लिम युवक उसे अपने घर ले गया और जबरदस्ती एक कमरे में बंद कर दिया। पीड़िता के अनुसार यहीं उस पर धमकी देते हुए शादी का दबाव बनाया गया।
पुलिस को दिए बयान में पीड़िता ने यह भी कहा कि बाद में उसकी शादी विशेष विवाह अधिनियम से करवा दी गई और मज़हबी अभिलेखों में उसका नाम ‘सारा बीवी’ करवा दिया गया। पीड़िता ने शादी के बाद अपने शौहर पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए बताया कि उसे बार-बार मुस्लिम बनाने की कोशिश की जाती रही।
इन आरोपों पर पुलिस का कहना है कि वह लोग महिला द्वारा लगाए गए आरोपों की जाँच कर रहे हैं और ये पता लगाने का प्रयास हो रहा है कि धमकी और जबरदस्ती के आरोप सही हैं या नहीं।