मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ (MP Ex CM & Congress Leader Kamal Nath) के इंदौर के खालसा कॉलेज में पहुँचने पर बवाल हो गया है। प्रकाश पर्व (गुरु नानक जयंती) के अवसर पर मंगलवार (8 नवंबर 2022) को कीर्तन कार्यक्रम में पहुँचे कमलनाथ को सरोपा सौंपकर सम्मानित किया गया था।
कॉलेज में कमलनाथ के आगमन और उन्हें सम्मानित करने पर कीर्तनकार मनप्रीत सिंह कानपुरी नाराज हो गए। उन्होंने हजारों लोगों की उपस्थिति में समाज के सचिव जसबीर सिंह गाँधी उर्फ राजा गाँधी को लताड़ दिया। कानपुरी ने कहा, “शर्म करो गाँधी। जिसने हजारों सिखों के घर बर्बाद कर दिए, जो 1984 के सिख दंगों का दोषी है, उसके तुम गुणगान कर रहे हो।”
मनप्रीत सिंह ने कहा कि 1984 में जिस व्यक्ति के कहने पर हजारों सिखों का कत्ल कर दिया गया, दुकानें जला दी गईं, माताओं-बहनों की इज्जत पर हाथ डाला गया, उस व्यक्ति का सिखों द्वारा सम्मान किया जा रहा है। सिंह ने कहा, “मैं वाहे गुरु गोविंद सिंह की सौगन्ध खाकर कहता हूँ कि अब कभी इंदौर नहीं आऊँगा।”
मनप्रीत सिंह कानपूरी का कहना था कि समाज के पदाधिकारियों द्वारा कीर्तन के दौरान राजनीति करना गलत है। उन्होंने कमिटी को गलत बताते हुए कहा, “आप लोग सिख समाज के नहीं हो, जो गुरु साहिब के समक्ष खुलेआम राजनीति कर रहे हो।” उन्होंने कहा, “तुम लोगों के अंदर जमीर ही नहीं है। हमारी कौम मरी हुई है। याद रख लो कि दुबारा भुगतोगे। यह बात तुम लोगों को समझ में नहीं आती है।”
इस बीच जसबीर सिंह गाँधी कहते हुए नजर आए, “मैं गलत हूँ तो मैं भुगत लूँगा और आप गलत हो तो आप भुगतोगे।” इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। हालाँकि, इस बवाल के बाद गुरुसिंह सभा ने सफाई देने की कोशिश की।
इस मामले में गुरुसिंह सिख सभा के प्रभारी अध्यक्ष दानवीर सिंह छाबड़ा ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि दोपहर को कमलनाथ के आने के कारण कीर्तन का कार्यक्रम दो-पाँच मिनट लेट हो गया था। इसके कारण कीर्तनकार मनप्रीत सिंह नाराज हो गए थे।
छाबड़ा ने आगे कहा कि कीर्तनकार मनप्रीत सिंह कानपुरी की नाराजगी कमलनाथ को सरोपा सौंपे जाने को लेकर थी कि इसे सिर्फ समाज के लोगों को ही सम्मानित किया जाता है। कमलनाथ को सरोपा नहीं, स्मृति चिन्ह दिया जाना था। छाबड़ा ने कहा कि मनप्रीत सिंह ने जो कहा है कि वह उनका निजी विचार है।
दरअसल, राहुल गाँधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की तैयारियों का जायजा लेने के लिए कलमनाथ इंदौर आए हुए थे। इसी दौरान उन्हें गुरुनानक देव की जयंती पर खालसा कॉलेज में आमंत्रित किया गया था। इस दौरान कमलनाथ का सरोपा सौंपकर सम्मान किया गया। इसके बाद भड़के मनप्रीत सिंह ने जब मंच से ही 1984 के दंगों का जिक्र करना शुरू किया तो कमलनाथ वहाँ से चल दिए।
बता दें कि साल 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में कमलनाथ आरोपित हैं। सिख दंगा इंदिरा गाँधी की हत्या के विरोध में भड़का था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की उन्हीं के दो सिख गार्ड ने ऑपरेशन ब्लूस्टार के विरोध में गोली मारकर हत्या कर दी थी।