उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के वजीरगंज थाना क्षेत्र के नौबस्ता गाँव में हुए विवाद को मुख्यधारा की मीडिया ने ‘छूआछूत’ का मामला बताकर पेश किया। गाँव में 9 दिसंबर 2022 को एक शादी हुई थी। रेनू कुमारी ने गाँव के ही 7 लोगों पर अपने 19 वर्षीय भाई लल्ला के साथ मारपीट और गाली-गलौज का आरोप लगाया था। रेनू दलित है, जबकि आरोपितों में शामिल संदीप, अमरेश, श्रवण, सौरभ, अजीत, विमल और अशोक ब्राह्मण। लेकिन जब ऑपइंडिया ने इस घटना को लेकर ग्रामीणों से बातचीत की तो पता चला कि इसके पीछे कोटेदारी का पुराना विवाद है। पुलिसिया जाँच में भी अब तक इस घटना में जातीय एंगल की पुष्टि नहीं हुई है।
दलित रेनू की शिकायत
पुलिस को 10 दिसंबर को दी गई तहरीर में रेनू ने आरोप लगया है कि गाँव में हुई एक शादी के दौरान खाना छूने पर सवर्ण समुदाय के 7 लोगों ने उसके भाई की पिटाई की। पिटाई के बाद आरोपित उसके घर आए और जातिसूचक शब्द बोलते हुए तोड़फोड़ की। परिवार और रिश्तेदारों को भी पीटा। पुलिस ने इस शिकायत पर IPC की धारा 147, 323, 427, 504, 506, 336 और SC/ST एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। जाँच चल रही है। ऑपइंडिया के पास FIR की कॉपी मौजूद है।
मीडिया ने क्या बताया
12 दिसंबर 2022 को इंडियन एक्सप्रेस और लल्लनटॉप ने इस मामले लगभग एक जैसी खबर प्रकाशित की। घटना में किसी की गिरफ्तारी नहीं होने का प्रमुखता से जिक्र किया। जबकि इस केस में नामजद 6 आरोपितों ने शांति भंग की धारा IPC 151 में अपनी जमानत मजिस्ट्रेट से करवाई थी। इसी मामले में हिंदुस्तान ने 4 लोगों की गिरफ्तारी की जानकारी दी थी। सभी खबरों में रेनू के हवाले से FIR में दर्ज बातें दोहराई गई हैं। रिपोर्ट में वजीरगंज थाने के SHO का वर्जन भी छापा गया, जिसमें जाँच जारी होने की बात कही गई थी। जबकि उत्तर प्रदेश पुलिस की नियमावली के मुताबिक SC/ST एक्ट से जुड़े मामलों की जाँच का अधिकार SHO को नहीं है। इन केसों की जाँच DSP रैंक के अधिकारी करते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस और लल्लनटॉप की ही लीक पर दैनिक भास्कर, अमर उजाला, TV9 हिंदी, आज तक और ETV भी चले। उन्होंने भी इस पूरे मामले को छूआछूत और जातीय एंगल से ही परोसा।
खाने को लेकर विवाद
ऑपइंडिया ने इस घटना पर गोंडा जिले के डिप्टी SP तरबगंज संसार सिंह राठी से बात की। DSP राठी ही इस केस के विवेचक हैं। उन्होंने बताया कि इस मालमे में छुआछूत जैसा कोई भी एंगल नहीं है। विवाद खाने को लेकर हुआ था। राठी ने बताया कि उनके सर्किल क्षेत्र में अक्सर SC/ST के मामले दर्ज होते हैं, जिस पर गहनता से जाँच की जाती है।इस मामले में अभी भी जाँच जारी है और अंतिम निष्कर्ष के तौर पर चार्जशीट नहीं लगाई गई है। उन्होंने इस घटना के पीछे गाँव में कोटेदारी का पुराना विवाद होने का भी जिक्र किया।
कोटेदार था रेनू का भाई
9 दिसंबर 2022 को हुई घटना के आरोपितों में से एक संदीप पांडेय हैं। उन्होंने ऑपइंडिया को बताया कि जिस रेनू ने शिकायत की है, उसका भाई देवीशरण गाँव का कोटेदार था। सरकारी अधिकारियों ने जाँच में उसका घोटाला पकड़ा था जिसके बाद उसे जेल भी जाना पड़ा। वह हाल में ही जमानत पर छूटा है। बकौल संदीप उन पर आरोप लगाने वाली लड़की को लगता है कि उसके भाई के घोटाले की सूचना प्रशासन तक उन लोगों ने पहुँचाई थी। इसका बदला लेने की नीयत से उसने मेरे सहित 7 लोगों पर केस दर्ज करवाया है।
कोटेदारी का विवाद
बताते चलें कि गाँव में सरकारी योजनाओं के तहत खाद्य सामग्रियों की बिक्री और बँटवारा करने वाले को कोटेदार कहते हैं। कोटेदार देवीशरण के खिलाफ 25 अगस्त 2021 को गोंडा के जिला पूर्ति अधिकारी अतुल श्रीवास्तव ने आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के तहत FIR दर्ज करवाई थी। यह FIR थाना वजीरगंज में दर्ज हुई थी। ऑपइंडिया के पास इस FIR की कॉपी भी मौजूद है।
FIR के बाद SDM तरबगंज ने देवीशरण का कोटा 13 अक्टूबर 2021 को निरस्त कर दिया था। देवीशरण ने इस आदेश को देवीपाटन मंडल के कमिश्नर के यहाँ चुनौती दी थी। एक लम्बी सुनवाई के बाद कमिश्नर IAS राकेश चंद्र शर्मा ने 21 सितम्बर 2022 को SDM के आदेश को सही बताते हुए देवीशरण के कोटेदारी को निरस्त करने के निर्णय पर अपनी भी मुहर लगा दी थी। ऑपइंडिया के पास कमिश्नर के आदेश की कॉपी मौजूद है। इस आदेश में कार्रवाई के गवाह के तौर पर दिवाकर पांडेय का नाम दर्ज है। संदीप पांडेय की माने तो दिवाकर उनके ही परिवार से हैं।
संदीप ने बताया कि देवीशरण से कोटेदारी लेकर गाँव की ही आरती पांडेय को मिला है। आरती पांडेय भी उनके परिवार से ही हैं। बताया जा रहा है कि कोटेदारी चलाने में आरती की मदद अमरेश पांडेय करते हैं। 9 दिसंबर की घटना में जो आरोपित हैं उनमें से एक अमरेश भी हैं।
खाने पर हुई थी बहस
संदीप पांडेय ने बताया कि रेनू के जिस भाई के साथ मारपीट की बात कही जा रही है, वह सबके खाने में चम्मच के बजाए सीधे हाथ डाल कर खाना निकाल रहा था। इससे रोके जाने पर उनलोगों पर झूठा केस दर्ज करवा दिया। मारपीट और घर पर हमले के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने दावा किया कि पुराने विवाद के कारण केस किया गया है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया (TOI) की रिपोर्ट में इस मामले को लेकर ग्राम प्रधान के यहाँ पंचायत होने और कथित पीड़ित दलित परिवार पर आरोपितों द्वारा हमले का जिक्र है। संदीप का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ था। FIR में जिनके नाम हैं उन्होंने चुनाव में वर्तमान प्रधान का सहयोग नहीं किया था। इसके कारण प्रधान उनका विरोध कर रहा।
आरोपितों की गिरफ्तारी न होने के मीडिया रिपोर्ट्स को संदीप पांडेय ने भ्रामक बताया। उन्होंने कहा कि अब तक 6 लोग IPC 151 (शांतिभंग) के मामले में जमानत करवा चुके हैं और SC/ST केस में जाँच की जा रही है। मामले के अन्य आरोपित अजीत मिश्रा ने ऑपइंडिया को बताया कि वे गाँव की राजनैतिक रंजिश के शिकार हैं।
नौबस्ता से सटे रामपुर टेंगराहा के बजरंगी दलित ही है। वे 9 दिसंबर की घटना का चश्मदीद होने का दावा करते हैं। उन्होंने ऑपइंडिया से बातचीत में दावा किया कि खाना हाथ से नहीं छूने की गुजारिश संदीप पांडेय ने की थी। इसके बाद शिकायतकर्ता का परिवार लड़ने के लिए वहाँ जमा हो गया था।