Thursday, November 14, 2024
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योगी के ‘राम राज्य’ में किसानों को चाहिए ‘आयुष्मान’: कहा- हर तरफ अमन-चैन, गोवंश आधारित प्राकृतिक खेती से भी फायदा

उन्होंने कहा कि हल धारण करने वाले भगवान बलराम का चरित्र निष्पक्ष रहा है (उन्होंने महाभारत युद्ध से दूरी बनाते हुए न कौरवों का साथ दिया, न पांडवों का), उनकी तरह ही ये संगठन भी गाँव-गाँव में फैला हुआ है और निष्पक्ष है।

दिल्ली में सोमवार (19 दिसंबर, 2022) को ‘भारतीय किसान संघ’ के बैनर तले किसानों ने दिल्ली स्थित रामलीला मैदान में अपनी 3 प्रमुख माँगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया – कृषि यंत्रों को GST से दूर रखा जाए, ‘किसान सम्मान निधि’ की राशि बढ़ाई जाए और लागत के हिसाब से उत्पाद का मूल्य तय किया जाए। हमने इस दौरान विभिन्न किसानों से बात की, जो ‘भारत माता की जय’ और ‘जय बलराम’ का नारा लगाते हुए राष्ट्रीय राजधानी में जुटे थे।

ओडिशा और मध्य प्रदेश के अलावा हमने उत्तर प्रदेश से ‘किसान गर्जना रैली’ में आए किसानों से भी बातचीत की, जिन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की। किसानों ने कहा कि MSP लागत के हिसाब से मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि कई कृषि उपकरणों पर 9% जीएसटी देनी होती है। यूपी के किसानों ने ‘किसान सम्मान निधि’ को बढ़ा कर 12,000 रुपए सलाना करने की माँग की। उन्होंने कहा कि किसानों को राजनीति के घेरे में न लाते हुए उन्हें छोटे-बड़े में न बाँटा जाए और सभी को लाभ मिले।

वाराणसी के इन किसानों ने कहा कि राकेश टिकैत जैसों के नेतृत्व में तीनों कृषि कानूनों (अब रद्द) के विरोध में 1 साल तक दिल्ली की सीमाओं को घेर कर हुए आंदोलन में वो शामिल नहीं थे। ”किसान गर्जना रैली में शामिल किसानों ने कहा कि हमारा संगठन अलग है और पूर्णतः गैर-राजनीतिक है। वाराणसी से आए इन किसानों ने कहा कि राकेश टिकैत वाला आंदोलन यूनियन का था और यूनियन कंपनियों में होता है या किसी क्षेत्र में।

उन्होंने उस आंदोलन में शामिल किसानों को सीमित क्षेत्र का और प्रांतीय बताते हुए कहा कि हमारा आंदोलन ‘भारतीय किसान संघ’ का है, जहाँ सभी प्रदेशों से अलग-अलग भाषा और परिवेश में लोक-नृत्य करते हुए उपस्थित हुए थे, जो असली किसान हैं, गाँव के किसान हैं, और भारत की आत्मा गाँवों में ही बसती है। यूपी के इन किसानों ने कहा कि खेती आजकल घाटे का सौदा हो गया है और अन्न फैक्ट्री में पैदा नहीं होता, इसीलिए किसानों की बात करने वाले नेताओं को किसानों की माँगें माननी चाहिए।

उन्होंने कहा कि ‘भारतीय किसान संघ’ एक राष्ट्रीय संगठन है और हर एक राज्य में इसकी उपस्थिति है। उन्होंने कहा कि किसानों की माँगों पर ध्यान नहीं दिया गया था तो सरकार किसानों की आत्महत्याएँ रोकने में विफल रही है, उसके और बढ़ जाने की आशंका होगी। 26 जनवरी, 2021 को लाल किले पर हिंसा करने वाले किसानों के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि वो राजनीति से प्रेरित थे, उनकी माँगें क्षेत्रीय थी। जबकि ‘भारतीय किसान संघ’ की माँगें सार्वभौमिक हैं और बृहत्तर भारत की हैं।

एक बुजुर्ग किसान ने कहा कि भारत के हर किसान को दुर्घटना बीमा का लाभ दिया जाना चाहिए। असल में इनके कहने का अर्थ ये था कि हर एक किसान को ‘आयुष्मान कार्ड’ बना कर दिया जाना चाहिए। किसानों की सुरक्षा के लिए इसे आवश्यक बताते हुए उन्होंने कहा कि सभी सरकारी कर्मचारियों को ‘आयुष्मान कार्ड’ मिला हुआ है, जबकि लघु एवं सीमांत किसानों को इससे दूर रखा गया है। हालाँकि, इस दौरान आक्रोशित बुजुर्ग किसान ने ये भी कहा कि हमारी माँगें नहीं 2024 में पता चल जाएगा कि हम क्या कर सकते हैं।

क्या इससे उनका आशय हिंसक प्रदर्शन से है? इस सवाल के जवाब में किसानों ने कहा कि वो शांतिपूर्ण और अहिंसक ढंग से विरोध प्रदर्शन करेंगे और उनकी माँगें गैर-राजनीतिक हैं। किसानों ने कहा कि हम सरकार के साथ मिल कर काम करना चाहते हैं, ताकि देश का अन्न भण्डार भरा रहे। ‘किसान गर्जना रैली’ के मंच पर भगवान बलराम की तस्वीर और रैली में गूँजते ‘जय बलराम’ के नारों पर भी यूपी के किसानों ने अपनी बात रखी।

उन्होंने कहा, “भगवान बलराम का अस्त्र हल था। किसान भी हल से ही कार्य करते हैं। इसीलिए, ‘भारतीय किसान संघ’ के लोग भगवान बलराम को अपना नायक मानते हैं।” वहाँ मौजूद अन्य किसानों ने भी इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि भगवान बलराम का चरित्र निष्पक्ष रहा है (उन्होंने महाभारत युद्ध से दूरी बनाते हुए न कौरवों का साथ दिया, न पांडवों का), उनकी तरह ही ये संगठन भी गाँव-गाँव में फैला हुआ है और निष्पक्ष है। उनका कहना है कि उनकी माँगें पर्यावरण, प्रकृति, स्वास्थ्य और सेहत के लिए हैं।

भारत को कृषि प्रधान देश बताते हुए इन किसानों ने कहा कि गोवंश आधारित प्राकृतिक खेती शुरू हो गई है और सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले कृषि क्षेत्र की बातें सरकार को सुनने की आवश्यकता है। उन्होंने आक्रोश जताते हुए ये भी कहा कि ‘भारतीय किसान संघ’ ने अगर करवट ले लिया तो जो किसानों की माँगें नहीं मानेगा, वो 2024 में दिल्ली की गद्दी पर नहीं बैठ पाएगा। इसके बाद हमारा सवाल था कि दिल्ली तो ठीक है, जरा लखनऊ के बारे में भी बता दीजिए।

लखनऊ से सरकार कैसी चल रही है, जिसके जवाब में किसानों ने कहा कि वहाँ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राम-राज्य है। एक अन्य बुजुर्ग किसान ने कहा कि उत्तर प्रदेश में योगी जी के शासन में सब कोई अमन-चैन से है और किसी को कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें योगी आदित्यनाथ से कोई शिकायत नहीं है। एक अन्य बुजुर्ग किसान ने भी कहा कि योगी सरकार अच्छा कार्य कर रही है, लेकिन एक मामले पर वो उनसे खफा हैं।

असल में मुद्दा ये है कि योगी आदित्यनाथ ने किसानों का ऋण माफ़ करने का वादा किया था। इनका कहना है कि ब्याज भरने वाले शरीफ किसानों का ऋण माफ़ नहीं किया गया, जबकि बयान न चुकाने वाले डिफॉल्टर किसानों के ऋण माफ़ कर दिया गया। उन्होंने कहा कि इस कारण अच्छे किसान भी डिफॉल्टर बन जाते हैं। उन्होंने बताया कि गोवंश आधारित प्राकृतिक खेती के मामले में भी उत्तर प्रदेश तेज़ी से कार्य कर रहा है।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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